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हैदराबाद
पर्यावरण के लिये खतरनाक अक्वाफार्मिंग
Posted on 17 Nov, 2015 12:37 PM
आन्ध्र प्रदेश के पूर्वी गोदावरी जिले का कोनासीमा इलाका गोदावरी नदी की दो शाखाओं के बीच बसा गहरी हरियाली, घने नारियल के पेड़ों और धान के खेतों का इलाक़ा है जिसके एक ओर बंगाल की खाड़ी है।
लेकिन धीरे-धीरे यहाँ की तस्वीर बदल रही है पिछले दो साल में बहुत से धान के खेत खारे पानी के जलाशयों में तब्दील हो गए हैं जिनमें समुद्री मछलियों, झींगा और समुद्री पौधों की खेती या अक्वा फार्मिंग की जा रही है।
हैदराबाद: शहरीकरण के सुरसामुख में समाई झीलें
Posted on 21 Oct, 2014 04:20 PMआंध्र प्रदेश राज्य के प्रस्तावित बंटवारे में सबसे बड़ा पेंच राजधानी हैदराबाद को ले कर है और हो भी क्यों ना, आखिर लगभग सभी सियासती दलों के बड़े नेताओं के व्यापारिक प्रतिष्ठान यहीं पर हैं। वैसे यह त्रासदी बड़ी चालाकी से छिपाई जाती रही है कि हैदराबाद की ऊपरी चकाचौंध के पीछे उसकी प्यास, पानी की कमी और प्रदूषण का विद्रूप चेहरा भी है यह हालात वहां के पारंपरिक तालाबों पर बलात कब्जों के कारण पैदा हुए हैं।वैसे तो हैदराबाद भारत के सबसे तेजी से उभरते शहर, चारमीनार, बिरयानी और हुसैन सागर के लिए बेहद मशहूर है, लेकिन असलियत में इसकी सांसों में भीतर-ही-भीतर ऐसा जहर घुल रहा है कि आने वाले दिनों में यहां के दमकते चेहरे की चमक बनाए रखना मुश्किल होगा। असल में पंद्रहवीं सदी में बसाया गया यह शहर उस समय वेनिस की तरह ढेर सारी झीलों और तालाबों के किनारे संवारा गया था। जुड़वां शहर - हैदराबाद और सिंकंदराबाद का विभाजन दुनिया की सबसे बड़ी मानव-निर्मित झील ‘‘हुसैन सागर’’ से हुआ।
जैव विविधता बनाए रखने की चुनौती
Posted on 09 Oct, 2012 05:00 PMजैव विविधता पर 01 अक्टूबर से शुरू हुआ संयुक्त राष्ट्र का सम्मेलन 16 अक्टूबर को खत्म होगा। भारत के हैदराबाद के इंटरनेशनल कंवेशन सेंटर और इंटरनेशनल ट्रेड एक्जीविशन में चल रहा यह सम्मेलन अंतरराष्ट्रीय कार्यक्रमों की दृष्टि से एक बड़ा आयोजन है। ‘कांफ्रेंस ऑफ द पार्टीज टू द कन्वेंशन ऑन बायोलॉजिकल डायवर्सिटी (सीओपी 11)’ नाम से हो रहे इस कन्वेंशन में 150 देशों के पर्यावरण व वन मंत्री और विश्व बैंक, एडीबी जैसे संगठनों के अधिकारी भी भागीदारी करेंगे। जैव विविधता को बचाने के दृष्टिकोण से यह अनूठा सम्मेलन होगा, बता रहे हैं कुमार विजय।
दुनिया में 17 मेगा बायो डाइवर्सिटी हॉट स्पॉट हैं, जिनमें भारत भी है। हमारे देश में दुनिया की 12 फीसदी जैव विविधता है, लेकिन उस पर कितना काम हो पाया है, कितने वनस्पति और जीव के जीन की पहचान हो पाई है, यह एक अहम सवाल है। लोकलेखा समिति की एक रिपोर्ट के मुताबिक, पर्यावरण और वन मंत्रालय 45,000 पौधों और 91,000 जानवरों की प्रजातियों की पहचान के बावजूद जैव विविधता के संरक्षण के मोर्चे पर विफल रहा है।आंध्र प्रदेश की राजधानी हैदराबाद में जैव विविधता पर पिछले एक अक्तूबर से शुरू हुआ सम्मेलन 19 अक्टूबर तक चलेगा। यह इस तरह का ग्यारहवां सम्मेलन है, जिसमें दुनिया के 193 देशों के लगभग 15,000 प्रतिनिधि भाग ले रहे हैं। इस तरह का इतना बड़ा आयोजन सुबूत है कि जैव विविधता के संरक्षण और इसके टिकाऊ उपयोग के लिए इस वार्ता का कितना महत्व है। जैव विविधता के मामले में भारत एक समृद्ध राष्ट्र है। इसकी एक बड़ी वजह यह है कि देश में कृषि और पशुपालन, दोनों का काफी महत्व है। लेकिन दुर्भाग्य से यह विविधता अब बहुत तेजी से खत्म होती जा रही है।
आंध्र : मछुआरे, नदी और पानी
Posted on 29 Aug, 2011 01:07 PMइस गांव के रामबाबू का कहना है हम करीब 25 वर्ष पूर्व इसी जिले के तल्लापुड़ी गांव से इसलिए यहां आ
मछुआरों का न तो नदी पर और न ही पानी पर अधिकार
Posted on 25 Jun, 2011 11:03 AMआंध्रप्रदेश में गोदावरी नदी पर पोलावरम बांध बनने से हजारों मछुआरे दैनिक मजदूर में परिवर्तित हो
Training on Basic & Advanced Analysis using SPSS
Posted on 12 Apr, 2009 07:41 PMएक्सिला ऑरबिट, संबोधी रिसर्च एंड कम्युनिकेशन प्रा. लिमिटेड का एक प्रभाग है जो विभिन्न शहरों में एसपीएसएस का उपयोग करते हुए बुनियादी और अग्रिम विश्लेषण पर प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन कर रहा है। यह प्रशिक्षण निम्न शहरों में कराया जाएगा-
जून 23 - 26, 2009 - चेन्नई,
15 जुलाई - 18, 2009 - मुंबई,
28 जुलाई - 31, 2009 - हैदराबाद,