हैदराबाद

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स्लिपेज ऑफ वाश सर्विसेस पर कार्यशाला
Posted on 12 Feb, 2009 03:35 PM

स्लिपेज ऑफ वाश सर्विसेस पर कार्यशाला का आयोजन



कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य स्लिपेज ऑफ वाश सर्विसेस चुनौती के कारणों और हद का आंकलन करना और मुख्य कारणों को समझना है। दूसरे कार्यशाला का उद्देश्य वाश स्लिपेज चैलेंज पर की गई कार्यशालाओं और अनुसंधानों के परिणामों को बांटना है।

सम्पर्कः slippage-workshop-2009@googlegroups.com
- स्थान:
एक एक बूंद का इस्तेमाल करना होगा
Posted on 06 May, 2019 04:12 PM

पिछले साल गर्मियों में हिमालय की गोद में बसे शहर शिमला में पानी की भारी किल्लत हो गई थी। इस शहर को अपनी जरूरतें पूरी करने के लिए रोजाना 440 लाख लीटर पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन उस वक्त हालात ऐसे हो गए थे कि हर दिन 150 लाख लीटर पानी जुटाना भी मुश्किल हो गया था। इस कारण स्थानीय लोगों को तो परेशानी से गुजर ना ही पड़ा, यहां आने वाले पर्यटकों को भी खासी मुश्किलें पेश आई। हालांकि इस तरह का जल संकट

एक-एक बूँद पानी का महत्व समझना होगा
आर्सेनिक मुक्त ट्रांसजेनिक चावल
Posted on 19 Nov, 2018 06:03 PM


हैदराबाद: चावल की फसल में आर्सेनिक का संचयन एक गम्भीर कृषि समस्या है। भारतीय वैज्ञानिकों ने अब फफूँद के अनुवांशिक गुणों का उपयोग करके चावल की ऐसी ट्रांसजेनिक प्रजाति विकसित की है, जिसमें आर्सेनिक संचयन कम होता है। वैज्ञानिकों का कहना है कि इस प्रजाति के उपयोग से आर्सेनिक के खतरे से निपटने में मदद मिल सकती है।

अध्ययन में शामिल शोधकर्ताओं की टीम
बहाव मोड़ने की मुहिम
Posted on 30 Jun, 2010 09:02 AM

एक फ़िल्म स्टार और सामाजिक उद्दमी के नेतृत्व में चल रहा एक अमेरिकी समूह भारतीयों को सुरक्षित पानी उपलब्ध कराने में मदद कर रहा है।

जेंडर, वाटर एंड इक्विटी - प्रशिक्षण कार्यशाला
Posted on 24 Oct, 2009 03:52 PM

दिनांक : 23 नवम्बर 2009 (सोमवार) से 27 नवम्बर 2009 (शुक्रवार) तक


तृतीय जेंडर, वाटर एंड इक्विटी ट्रेनिंग वर्कशॉप का आयोजन इस वर्ष दक्षिण एशिया में आयोजित करने का फ़ैसला किया गया है। यह आयोजन 23 से 27 नवम्बर 2009 के बीच होगा जिसके आयोजन स्थल के बारे में जानकारी बाद में दी जायेगी।

इस वर्कशॉप में सहभागिता के क्या-क्या लाभ हैं -

water scarcity
एक नई हरित क्रांति
Posted on 13 Jul, 2009 11:58 AM
मात्र 52 परिवारों वाला एक छोटा सा गांव एनाबावी आजकल चर्चा का विषय बना हुआ है। इन दिनों यहां पास के गांव कालेम के किसान लाभदायक कृषि के तौर-तरीके सीखने के लिए जुटे रहते हैं. जिन लोगों ने 1960 के दशक में हरित क्रांति के उत्साह को नहीं देखा था, वे उस जोश की झलक यहां देख सकते हैं. हरित क्रांति और इस क्रांति में फर्क इतना ही है कि अब के किसान सिंथेटिक रसायनों का इस्तेमाल किए बिना ही उत्पादन में जुटे हैं.

हैदराबाद में एयर इंडिया कर्मी अजीत कुमार रोजाना कृषि सहकारी भंडार से सब्जियां खरीदने जाते हैं जो उसके दफ्तर के बगल में ही है. कुमार की पत्नी उसे रोज समय से ऑफिस छोड़ने सहकारी स्टोर पर जाने की याद दिलाती रहती है, क्योंकि वहां मिलने वाली ताजा और कीटनाशक मुक्त सब्जियां दो घंटे के अंदर ही बिक जाती हैं. इसीलिए जैसे ही स्टोर पर सब्जी पहुंचती है,
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