गुजरात

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सिर पर सवार है मैला उतरने का नाम नहीं लेता
Posted on 16 Oct, 2010 08:42 AM
सभ्यता के विकास में मल निस्तारण समस्या रही हो या न रही हो, लेकिन भारत में कुछ लोगों के सिर पर आज भी मैला सवार है. तमाम कोशिशों के बावजूद भारत सरकार उनके सिर से मैला नहीं उतार पायी है जो लंबे समय से इस काम से निजात पाना चाहते हैं. हालांकि सरकार द्वारा सिर से मैला हटा देने की तय आखिरी तारीख कल बीत गयी लेकिन कल ही 31 मार्च को दिल्ली में जो 200 लोग इकट्ठा हुए थे वे आज वापस अपने घरों को लौट गये हैं. तय है, आज से उन्हें फिर वही सब काम करना पड़ेगा जिसे हटाने की मंशा लिये वे दिल्ली आये थे. उमाशंकर मिश्र की रिपोर्ट-

भारत सरकार द्वारा 31 मार्च 2009 तक सिर पर मैला ढोने की प्रथा को समाप्त करने की घोषणा की वास्तविकता को उजागर करने के लिए आज छह राज्यों के 200 लोग नई दिल्ली में एकत्रित हुए। मध्यप्रदेश, गुजरात, राजस्थान, उत्तरप्रदेश,
खतरे की घंटी रेगिस्तान का विस्तार
Posted on 04 Oct, 2010 08:24 AM इधर प्राकृतिक आपदाओं की संख्या और तीव्रता में बढ़ोतरी हुई है। मौसमी परिवर्तन का एक और बड़ा संकेतक, जिस पर हम पर्याप्त ध्यान नहीं दे रहे हैं, बहुत तेजी से उभार पर है। वह है रेगिस्तानी इलाकों का विस्तार। दुनिया के लगभग सारे रेगिस्तानी क्षेत्र में विस्तार हो रहा है, लेकिन थार रेगिस्तान का विस्तार कुछ अधिक तेज गति से हो रहा है। इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन यानी इसरो की हालिया रिसर्च बताती है कि था
गुजरात के एक गांव की कमाई है 5 करोड़ रुपए
Posted on 01 Sep, 2010 09:31 AM (गुजरात चुनावों में मैं सौराष्ट्र इलाके में करीब हफ्ते भर था। गुजरात के गांवों में विकास कितना हुआ है। ये जानने के लिए मैं राजकोट के नजदीक के एक गांव में गया। और, मुझे वहां जिस तरह का विकास और विकास का जो तरीका दिखा वो, शायद पूरे देश के लिए आदर्श बन सकता है।)

गुजरात में राजकोट से 22 किलोमीटर दूर एक गांव की सालाना कमाई है करीब पांच करोड़ रुपए। इस गांव के ज्यादा लोगों की आजीविका का प्रमुख साधन खेती ही है। कपास और मूंगफली प्रमुख फसलें हैं। गांव में 350 परिवार हैं जिनके कुल सदस्यों की संख्या है करीब 1800।

छोटे-मोटे शहरों की लाइफस्टाइल को मात देने वाले राजसमढियाला गांव की कई ऐसी खासियत हैं जिसके बाद शहर में रहने वाले भी इनके सामने पानी भरते नजर आएं। 2003 में ही इस गांव की सारी सड़कें कंक्रीट की बन गईं। 350 परिवारों के गांव में करीब 30 कारें हैं तो, 400 मोटरसाइकिल।
धौलावीरा खनन
Posted on 05 Aug, 2010 09:06 AM ईसा पूर्व तीन सहस्त्राब्दी वर्ष पहले हड़प्पा या सिंधु घाटी सभ्यता के काल के प्रसिद्ध स्थान धौलावीरा की खुदाई से हाल के वर्षों में ऐतिहासिक महत्व के प्रमाण हासिल हुए हैं। यह स्थान कच्छ के रन में खादिर द्वीप के उत्तर-पश्चिमी छोर पर है। यह हड़प्पा के पांच सबसे बड़े शहरों में एक था। साठ के दशक में जगतपति जोशी
जूनागढ़ शिलालेख
Posted on 02 Aug, 2010 02:58 PM
अर्थशास्त्र में लिखी कई बातें कई प्राचीन ग्रंथों में भी पाई जाती हैं। देश के प्रायः हरेक भाग में कई कालखंडों के कई शिलालेख पाए गए हैं जिनमें बांधों, तालाबों, तटबंधों के रखरखाव और प्रबंधन की सूचनाएं खुदी हुई हैं। जूनागढ़ (गुजरात) में दो शिलालेखों में बाढ़ से नष्ट तटबंध की मरम्मत के बारे में दिलचस्प सूचनाएं हैं।
रेगिस्तान का हीरो फ़रहाद कॉंट्रेक्टर
Posted on 16 May, 2010 08:38 AM
जिस समय फ़रहाद कॉंट्रेक्टर ने अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की, तभी उन्होंने तय कर लिया था कि उन्हें यूनिवर्सिटी में पुस्तकों में अपना सिर नहीं खपाना है, न ही उन्हें “अहमदाबाद” जैसे चमक-दमक वाले शहर में ऐशोआराम का जीवन बिताने का कोई शौक था। बल्कि आम युवाओं से हटकर फ़रहाद का एक स्वप्न था, गाँव में जाकर रहना और काम करना। यह सब उनके पिता फ़िरोज़ कॉण्ट्रेक्टर की शिक्षाओं और संस्कारों का ही असर था कि फ
अहिंसक सत्याग्रहियों पर हमला
Posted on 23 Feb, 2010 11:24 PM

भावनगर 20 फरवरी 2010। गुजरात के भावनगर जिले के महुआ तहसील में हरे-भरे उपजाऊ कृषि जमीन पर प्रस्तावित निरमा सिमेंट फैक्टरी के खिलाफ गांधीवादी स्थानीय विधायक कनू भाई कलसारिया के अगुवाई में मौन जुलूस मार्च कर रही जनता पर निरमा कंपनी के दलालों और पुलिस द्वारा कातिलाना हमला किया गया जिसमें वे और उनकी पत्नी दोनों घायल हैं। हमले में सैकड़ों लोग घायल हुए हैं। और दर्जनों लोगों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिय

उर्वरकों का उपयोग
Posted on 12 Feb, 2010 04:19 PM गुजरात में कई किसान अपनी सिंचित सफेदा खेती में रासायनिक ऊर्वरकों का उपयोग कर रहे हैं, लेकिन श्री चतुर्वेदी चेताते हुए कहते हैं कि रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल बड़ी सावधानी से करना चाहिए। अकसर लोग मानते हैं कि रासायनिक उर्वरकों और पानी की मात्रा बढ़ने से सफेदे की पैदावार भी बढ़ती है। लेकिन ऊर्वरकों का अति-उपयोग मिट्टी और पेड़ दोनों को भारी क्षति पहुंचा सकता है। हमारे यहां सफेदे के लिए उर्वरकों के
बढ़ रहा है समंदर का पानी
Posted on 01 Dec, 2009 07:36 AM गांधीनगर. भारत में समुद्री किनारे के जल स्तर व क्षेत्र में वृद्धि के मद्देनजर विश्व बैंक द्वारा गठित इंटिग्रेटेड कोस्टल जोन मैनेजमेंट में अन्य राज्यों के साथ गुजरात को भी शामिल किया गया है। केंद्र को 37.33 करोड़ की मद्द देने के साथ ही इससे संबंधित प्रोजेक्ट रिपोर्ट सौंप दी गई है।
आदिवासी जानते हैं पानी की समस्या से निपटना !
Posted on 14 Nov, 2009 09:31 AM स्वजलधारा कार्यक्रम में जनभागीदारी के उदाहरण गुजरात में अनूठे रहे हैं। स्वजलधारा कार्यक्रम के तहत गुजरात सरकार का आर्थिक योगदान 224.60 करोड़ रुपयों का है। जब की जन भागीदारी से राज्य में कुल 45.0967 करोड़ रुपये एकत्र किये गये हैं। गुजरात के वलसाड जिल्ले का धरमपुर तालुका के आदिवासी इलाके के एक गांव के लोगों को सरकार के स्वजलधारा कार्यक्रम का पता चला और उन्होंने ठान लिया कि कुछ कर गुजरना है . . .
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