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जल संकट : कारण और निवारण
Posted on 25 Jun, 2015 03:36 PM आज भारत ही नहीं, तीसरी दुनिया के अनेक देश सूखा और जल संकट की पीड़ा से त्रस्त हैं। आज मनुष्य मंगल ग्रह पर जल की खोज में लगा हुआ है, लेकिन भारत सहित अनेक विकासशील देशों के अनेक गाँवों में आज भी पीने योग्य शुद्ध जल उपलब्ध नहीं है।
वाष्प स्नान : रोग-निवारण की प्राकृतिक विधा
Posted on 25 Jun, 2015 03:25 PM स्नान शुरू से ही मनुष्य के जीवन का एक अनिवार्य अंग रहा है। हम सभी का यह साधारण अनुभव है कि इससे न केवल शारीरिक स्वच्छता बल्कि मानसिक प्रफुल्लता भी मिलती है। वाष्प स्नान हमारे सामान्य शीतल जल स्नान से थोड़ा भिन्न जरूर है किंतु हमारे स्वच्छता और प्रसन्नता के साथ-साथ अत्यंत सरल तरीके से अनेक रोगों से हमारे शरीर की रक्षा हो जाती है। वर्षों पहले एक अनौपचारिक बातचीत के दौरान स्व. डॉ.
कुशल गोबर प्रबन्धन पर्यावरण सुरक्षा के लिए जरूरी
Posted on 22 Jun, 2015 01:44 PM ऐसा माना जाता है कि गोबर में श्रीगणेश का वास है और यह शुभ होता है।
मानसून की भविष्यवाणी और उसकी विविध आयामी हकीकत
Posted on 22 Jun, 2015 01:30 PM


भारतीय मौसम विभाग का अनुमान है कि सन् 2015 में भारत में सामान्य से लगभग 12 प्रतिशत पानी कम बरसेगा। मानसून की कमी का असर खेती पर होगा और उसका प्रतिकूल असर अर्थव्यवस्था पर भी देखने को मिलेगा। मानसून की कमी की सम्भावना को ध्यान में रख सरकार द्वारा आवश्यक इन्तज़ाम किये जा रहे हैं। जहाँ तक खाद्यान्नों का प्रश्न है तो देश में अनाज का पर्याप्त भण्डार उपलब्ध है इसलिये नागरिकों द्वारा अन्न की कमी महसूस नहीं की जाएगी।

मौसम विभाग द्वारा लम्बी अवधि की सालाना बरसात की मात्रा के आधार पर औसत वर्षा का निर्धारण किया जाता है। इसे सामान्य (Normal) वर्षा कहते हैं। आधुनिक युग में मौसम विभाग द्वारा हर साल वर्षा का पूर्वानुमान घोषित किया जाता है। बरसात के दिनों में वर्षा की दैनिक स्थिति की सम्भावना पर बुलेटिन जारी की जाती है।

मानसून
प्यासे प्रायद्वीप को जलदान
Posted on 19 Jun, 2015 05:34 PM भारत के पश्चिमी और पूर्वी घाटों का विशाल इलाका सूखे से बराबर त्रस्त
उपयोगी सहजन
Posted on 19 Jun, 2015 05:24 PM भारतीय मूल की वनस्पतियों में सहजन ढेर सारी विशेषताओं से युक्त है। ए
भारतीय कृषि का मूलाधार – मानसून पवन
Posted on 19 Jun, 2015 05:03 PM विख्यात वैज्ञानिक एडमंड हैली उन पहले वैज्ञानिकों में थे जिन्होंने स
औषधीय पौधे : एक बहुमूल्य धरोहर
Posted on 18 Jun, 2015 05:44 PM पेड़-पौधे हमारे शरीर में होने वाली बीमारियों से छुटकारा पाने के लि
पर्यावरण, जनसंख्या एवं आर्थिक विकास
Posted on 18 Jun, 2015 05:35 PM आदिकाल से मानव और प्रकृति का अटूट सम्बन्ध रहा है। सभ्यता के विकास में प्रकृति ने महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा की है। विकास के प्रारम्भिक चरण में कोई भी जीवधारी अथवा मनुष्य सर्वप्रथम प्रकृति के साथ सामंजस्य स्थापित करने के लिए उसके अनुकूल होने का प्रयास करता है, इसके पश्चात वह धीरे-धीरे प्रकृति में परिवर्तन करने का प्रयास करता है। अतः अनुकूलन की प्रक्रिया धरातल पर जीवन को बनाए रखने वाली एक कुंजी है, जो
झींगा पालन के पर्यावरणीय परिणाम
Posted on 18 Jun, 2015 05:24 PM झींगा पालन को न केवल अनुमति देना बिल्क इसके पालन को बढ़ावा देना युक
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