अरविंद घोष

अरविंद घोष
प्रतिमत: जैविक खाद और प्राकृतिक कृषि (Organic manure and natural farming)
Posted on 17 Sep, 2015 12:36 PM

इस विश्लेषण में लेखक ने उर्वरकों के प्रयोग के सम्बन्ध में किसी भी प्रकार के सख्त रवैये के खिलाफ

जैविक खाद और खाद्यान्न उत्पादन
Posted on 02 Nov, 2011 04:30 PM

यह व्यवस्था मिट्टी को उसके पोषक तत्वों से अलग करने में विश्वास नहीं करती और आज की जरूरत के लिए उसे किसी प्रकार से खराब नहीं करती। इस व्यवस्था में मिट्टी एक जीवित तत्व है। मिट्टी में जीवाणुओं और अन्य जीवों की जीवित संख्या उसकी उर्वरता में महत्वपूर्ण योगदान करती है और उसे किसी भी कीमत पर सुरक्षित और विकसित किया जाना चाहिए। मृदा कि संरचना से लेकर मृदा के आवरण तक उसका पूरा वातावरण अधिक महत्वपूर्ण होता है।

हालांकि भारत इन दिनों खाद्यान्न उत्पादन के क्षेत्र में बेहतर काम कर रहा है, लेकिन लोगों के कुछ खास समूह समय-समय पर 'जैव कृषि' का मुद्दा उठाते रहते हैं। उनका दावा है कि वह 'स्वच्छ कृषि' है और फसलों की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले रसायनों के दुष्प्रभावों से मुक्त है। मानवता के भविष्य के लिए चिंतित स्थानीय पर्यावरणविद, ग्रीनपीस जैसे अंतर्राष्ट्रीय संगठन और नाना प्रकार के अन्य परोपकारी लोग 'रासायनिक उर्वरकों' का इस्तेमाल बंद न करने पर उनकी भावी पीढ़ियों के समक्ष उत्पन्न होने वाले संकट के बारे में सचेत कर रहे हैं। वास्तव में कुछ देशों के पूर्व अनुभवों को देखते हुए खाद्यान्न उत्पादन में जैव उवर्रकों का प्रयोग संकट पैदा करने का सुनिश्चित तरीका है और सिर्फ 'जैव उर्वरकों' से उगाई जाने वाली फसलों की कम उत्पादकता अकाल को प्रेरित कर सकती है। 50 के दशक में हमारे पड़ोसी देश चीन का यह अनुभव रहा है, जब सिर्फ 'जैव उर्वरकों' के प्रयोग और गोबर, मानव अवशिष्ट, पेड़ के गिरे हुए पत्तों आदि पर निर्भरता से अकाल आ गया था, जिसमें 3 करोड़ लोगों की जानें चली गई थीं।
भूकंप का पूर्वानुमान लगाना मुश्किल
Posted on 01 Oct, 2011 11:23 AM

भूकंप से क्षति न हो, इसके लिए पहला सबक भूकंपरोधी मकानों का निर्माण है, हालांकि सिर्फ विशेष प्र

प्यासे प्रायद्वीप को जलदान
Posted on 19 Jun, 2015 05:34 PM
भारत के पश्चिमी और पूर्वी घाटों का विशाल इलाका सूखे से बराबर त्रस्त
ब्रह्मपुत्र के इस्तेमाल का बेहतर विकल्प
Posted on 01 Jan, 1970 05:30 AM

चीन यारलुंग झांगबो पर जल विद्युत संयंत्र बना रहा है। एक ऐसी निर्माणाधीन परियोजना भारतीय प्रवेश

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