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भोजन में मीठा जहर
Posted on 23 Apr, 2011 01:00 PM

फसलों में कीटनाशकों के इस्तेमाल की एक निश्चित मात्रा तय कर देनी चाहिए, जो स्वास्थ्य पर विपरीत असर न डालती हो। मगर सवाल यह भी है कि क्या किसान इस पर अमल करेंगे। 2005 में सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट (सीएसई) ने केंद्रीय प्रदूषण निगरानी प्रयोगशाला के साथ मिलकर एक अध्ययन किया था। इसकी रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी स्टैंडर्ड (सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन) के मुकाबले पंजाब में उगाई गई फसलों में कीटनाशकों की मात्रा 15 से लेकर 605 गुना ज्यादा पाई गई।

देश की एक बड़ी आबादी धीमा जहर खाने को मजबूर है, क्योंकि उसके पास इसके अलावा कोई दूसरा चारा नहीं है। हम बात कर रहे हैं भोजन के साथ लिए जा रहे उस धीमे जहर की, जो सिंचाई जल और कीटनाशकों के जरिए अनाज, सब्जियों और फलों में शामिल हो चुका है। देश के उत्तर-पूर्वी राज्यों में आर्सेनिक सिंचाई जल के माध्यम से फसलों को जहरीला बना रहा है। यहां भू-जल से सिंचित खेतों में पैदा होने वाले धान में आर्सेनिक की इतनी मात्रा पाई गई है, जो मानव शरीर को नुकसान पहुंचाने के लिए काफी है। इतना ही नहीं, देश में नदियों के किनारे उगाई जाने वाली फसलों में भी जहरीले रसायन पाए गए हैं। यह किसी से छुपा नहीं है कि हमारे देश की नदियां कितनी प्रदूषित हैं। कारखानों से निकलने वाले कचरे और शहरों की गंदगी को नदियों में बहा दिया जाता है, जिससे इनका पानी अत्यंत प्रदूषित हो गया है।

यमुना में पानी छोड़े जाने तक धरना चलता रहेगा
Posted on 23 Apr, 2011 11:28 AM आज 22 अप्रैल 2011 तक भी जंतर-मंतर (नई दिल्ली) में यमुना में जल छोड़े जाने की मांग को लेकर भाकियू (भानू) तथा साधू-संतों का धरना चालू है। धरना स्थल पर पंचायत में घोषणा की गई कि प्रदेश के विभिन्न जनपदों के किसानों को तुरंत दिल्ली आने की अपील की गई है। उल्लेखनीय है कि कल शाम जंतर-मंतर पर ग्रामीण राज्य मंत्री श्री प्रदीप जैन के लिखित आश्वासन पर पानी छोड़ने की प्रक्रिया के वास्ते यमुना आन्दोलन के प्रतिन
यमुना में पानी छोड़ने पर विवश सरकार
Posted on 22 Apr, 2011 12:01 PM यमुना की सफाई और पर्याप्त पानी छोड़ने की मांग को लेकर पिछले 7 दिनों से जंतर-मंतर पर बैठे साधु-संतों व किसानों का अनशन समाप्त हो गया।
प्यासी होती धरती
Posted on 22 Apr, 2011 11:34 AM

हमारे आस-पास के जीव-जन्तु और पौधे खत्म होते जा रहे हैं। हम केवल चिंता और चिंतन का नाटक कर रहे हैं। दूसरों के जीवन को समाप्त करके आदमी अपने जीवन चक्र को कब तक सुरक्षित रख पाएगा? ईश्वर के बनाए हर जीव का मनुष्य के जीवन चक्र में महत्व है। मनुष्य दूसरे जीव के जीवन में जहर घोल कर अपने जीवन में अमृत कैसे पाएगा?

'अगले सौ वर्षों में धरती से मनुष्यों का सफाया हो जाएगा।' ये शब्द आस्ट्रेलियन नेशनल युनिवर्सिटी के प्रोफेसर फ्रैंक फैनर के हैं। उनका कहना है कि ‘जनसंख्या विस्फोट और प्राकृतिक संसाधनों के बेतहाशा इस्तेमाल की वजह से इन्सानी नस्ल खत्म हो जाएगी। साथ ही कई और प्रजातियाँ भी नहीं रहेंगी। यह स्थिति आइस-एज या किसी भयानक उल्का पिंड के धरती से टकराने के बाद की स्थिति जैसी होगी।’ फ्रैंक कहते हैं कि विनाश की ओर बढ़ती धरती की परिस्थितियों को पलटा नहीं जा सकता। पर मैं ज्यादा कुछ नहीं कहना चाहता क्योंकि कई लोग हालात में सुधार की कोशिश कर रहे हैं। पर मुझे लगता है कि अब काफी देर हो चुकी है।

धीरे-धीरे धरती से बहुत सारे जीव-जन्तु विदा हो गए। दुनिया से विलुप्त प्राणियों की ‘रेड लिस्ट’ लगातार लम्बी होती जा रही है।
water importance
यमुना को साफ करने का सरकारी प्रयास बेअसर
Posted on 22 Apr, 2011 09:00 AM नई दिल्ली, 17 अप्रैल। दिल्ली की धरोहर यमुना को साफ करने का एक और सरकारी प्रयोग बेकार साबित होने वाला है। इस बार गंदे नालों के मुंहाने पर करीब दो हजार करोड़ रुपए की लागत से इंटरसेप्टर लगने वाला है। इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड की सलाह के बाद इंटरसेप्टर लगाने का ठेका दिया जाएगा। प्रक्रिया लगभग पूरी होने वाली है। जुलाई से काम शुरू भी होने वाला है। लेकिन पर्यावरण से जुड़ी संस्थाएं विज्ञान और पर्यावरण कें
यमुना-प्रदूषण का मुद्दा लोकसभा में भी गूंजेगा
Posted on 21 Apr, 2011 09:43 AM नई दिल्ली, 20 अप्रैल। राष्ट्रीय लोकदल व समाजवादी पार्टी भी यमुना बचाओ आंदोलन का एक हिस्सा बनेंगी और सड़क से लेकर संसद तक संघर्ष में अपनी भूमिका निभाएंगी। यमुना प्रदूषण का मुद्दा आगामी लोकसभा सत्र में जमकर गूंजेगा। उधर, मथुरा में भी रेल यातायात रोकने का प्रयास कर रहे किसानों, युवाओं और पुलिस व प्रशासन के बीच भी जमकर संघर्ष हुआ और दर्जनों कार्यकर्ताओं को जमकर पीटा गया। सैकड़ों लोगों को हिरासत में लि
अब सत्याग्रह से ही उम्मीद
Posted on 20 Apr, 2011 09:56 AM

जंतर-मंतर पर यमुना नदी को बचाने के लिए इस समय एक सत्याग्रह चल रहा है। उत्तर प्रदेश के किसान, कई धार्मिक संगठनों से जुड़े स्त्री-पुरुष 15 अप्रैल से वहां डेरा जमाए हैं। कुछ अनशन पर हैं, कुछ उनका साथ देने के लिए एक-एक दिन का अनशन कर रहे हैं, दिन भर भजन कीर्तन चलता है, बीच में किसी आगंतुक का भाषण भी हो जाता है। इस बीच अनशन कर रही कुछ महिलाओं की हालत खराब हुई और उन्हें अस्पताल ले जाना पड़ा है। लेकिन

अविरल यमुना, निर्मल यमुना के लिए डटे लोग
Posted on 19 Apr, 2011 04:37 PM जंतर-मंतर, दिल्ली। 14 अप्रैल से लगातार 74 लोगों का अनशन जारी है। सरकार के लोग बीच-बचाव करने की कोशिश में लगे हैं। चार दिन के बाद कई अनशनकारियों की तबीयत बिगड़ने लगी है। अविरल यमुना, निर्मल यमुना के लिए फिर भी पूरे संकल्प के साथ लोग डटे हुए हैं।
यमुना बचाओ ऐतिहासिक पद यात्रा का आमरण-अनशन तक का सफर
Posted on 19 Apr, 2011 10:34 AM यमुना बचाओ पदयात्रा जो कि 2 मार्च से हरिनाम संकीर्तन करती हुई इलाहाबाद से शुरू हुई थी 14 अप्रैल को दिल्ली पहुंची। सब यात्री केवल सर्वजनहित की कामना से एक मरणासन्न नदी के पुनर्जीवन के लिए 850 किलोमीटर पैदल तले। सब यात्रियों के मन में आशा थी कि अब हम यमुना में फिर से कलकल करता यमुनोत्री का जल देख कर जाएँगे। 13 अप्रैल को ही कुछ समर्थकों ने सोनिया गाँधी, जयराम रमेश एवं सलमान खुर्शीद से इसी सन्दर्भ में
दिल्ली सुपरबग से दस फीसदी संक्रमित : टॉलमैन
Posted on 18 Apr, 2011 02:38 PM

लाइलाज बैक्टीरिया ‘दिल्ली सुपरबग’ की खोज का दावा करके हलचल मचाने वाले इंग्लैंड के कार्डिफ युनिवर्सिटी के शोधकर्ता मार्क टॉलमैन का कहना है कि यह जानलेवा बैक्टीरिया सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरे मध्य एशिया में फैला हो सकता है। ई-मेल के जरिए भास्कर के सवालों के ब्रिटिश वैज्ञानिक ने बेबाकी से जवाब दिए।

आपने लांसेट में ‘दिल्ली सुपरबग’ पर दूसरा लेख लिखा है। अस्पतालों के बाद दिल्ली के पानी में इस बैक्टीरिया की तलाश के क्या कारण थे?
इस शोध के प्रमुख प्रो. टिम वॉल्श हैं। यह नया शोध ‘दिल्ली सुपरबग’ (एनडीएम-1) पर प्रकाशित हमारे दूसरे अध्ययन पर आधारित है जो पिछले सितंबर में लांसेट में प्रकाशित हुआ था।

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