दिल्ली

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हमारी नदियां और पानी बिकाऊ नहीं
Posted on 01 Feb, 2011 11:37 AM 23 नवंबर 2005 को दिल्ली की सरकार ने केंद्र सरकार को एक पत्र लिखा कि वह विश्व बैंक से ऋण लेने के लिए दिया गया अपना प्रार्थनापत्र वापस लेना चाहती है। यह दिल्ली की आम जनता द्वारा एक वर्ष तक लड़ी गयी लंबी लड़ाई का परिणाम था। दिल्ली की जनता दिल्ली की सरकार द्वारा शहर के निवासियों के साथ सार्वजनिक ढंग से कोई सलाह मशविरा किये बिना दिल्ली की जलापूर्ति व्यवस्था के निजीकरण के लिए तेजी से तैयार होते कार्यक्र
पानी का निजीकरण
Posted on 01 Feb, 2011 10:53 AM

एक अध्ययन रिपोर्ट



असीम मुनाफे के उपासक भारत में भी पानी के निजीकरण के लिए दिन रात जुटे हुए हैं और काफी तैयारी पहले ही कर ली गई है। विशेषज्ञों को समझा लिया गया है, नौकरशाही को अपने खेमे में मिला लिया गया है। हर कोई पूरी लागत वसूली के नए मंत्र का जाप करता दिखाई देता है। इस पवित्र जाप की लय हर दिशा में गूंजती सुनाई देने लगी है।
वर्षाजल का संचय
Posted on 01 Feb, 2011 10:31 AM

आज विश्व के हर भाग में मनुष्यों को पानी की कमी महसूस हो रही है। जरा इन तथ्यों पर गौर करें:-
• एशिया के तीन में से एक व्यक्ति को सुरक्षित पेयजल उपलब्ध नहीं है।
• शहरी गरीबों में से 40 प्रतिशत को और कई ग्रामीण बस्तियों को सुरक्षित पेयजल नहीं मिलता।

कैसे होता है पर्यावरणीय प्रभाव का मूल्यांकन?
Posted on 28 Jan, 2011 04:33 PM राष्ट्रीय पर्यावरण नीति, 2006 पर्यावरण सुरक्षा को विकास प्रक्रिया के अभिन्न अंग और सभी विकास गतिविधियों में पर्यावरणीय प्राथमिकता के रूप में पहचान प्रदान करती है। इस नीति का मुख्य ध्येय वाक्य है कि पर्यावरणीय संसाधनों का संरक्षण जीविका, सुरक्षा और सभी के कल्याण के लिए जरूरी है। इसके साथ ही संरक्षण के लिए मुख्य आधार यह होना चाहिए कि किन्हीं खास संसाधनों पर आश्रित लोग संसाधनों के क्षरण से नहीं बल्क
जल संबंधी तकनीकी शब्दावली
Posted on 20 Jan, 2011 12:31 PM केन्द्रीय मृदा एवं सामग्री अनुसंधानशाला जल संसाधन मंत्रालय का एक सम्बद्ध कार्यालय है। इसे मुख्य रूप से राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर नदी घाटी परियोजनाओं के निर्माण से संबंधित भू-तकनीकी अभियांत्रिकी एवं निर्माण सामग्री के आधारभूत तथा अनुसंधान समस्याओं के संबंध में कार्य करने वाले एक प्रमुख संस्थान के रूप में जाना जाता है । अनुसंधानशाला में उच्च प्रशिक्षण प्राप्त इंजीनियर तथा वैज्ञानिक हैं
'पानी बचाने के सरल उपाय' पुस्तिका
Posted on 18 Jan, 2011 01:07 PM
केन्द्रिय भूमि जल बोर्ड द्वारा प्रकाशित पुस्तिका में पानी बचाने के बारे में काफी जानकारियां पा सकते हैं।

पुस्तिका पढ़ने के लिए आप यहां क्लिक करें।
 
पानी नहीं होगा तो क्या होगा
Posted on 06 Jan, 2011 09:35 AM

क्या आपने कभी सोचा है कि धरती पर से पानी खत्म हो गया तो क्या होगा। लेकिन कुछ ही सालों बाद ऐसा हो जाए तो ताज्जुब नहीं होना चाहिए। भूगर्भीय जल का स्तर तेजी से कम हो रहा है। ग्लेशियर सिकुड़ रहे हैं। यही सही समय है कि पानी को लेकर कुछ तो चेतें।

भाई हजारों साल पहले देश में जितना पानी था वो तो बढ़ा नहीं, स्रोत बढ़े नहीं लेकिन जनसंख्या कई गुना बढ़ गई। मांग उससे ज्यादा बढ़ गई। पानी के स्रोत भी अक्षय नहीं हैं, लिहाजा उन्हें भी एक दिन खत्म होना है। विश्व बैंक की रिपोर्ट को लेकर बहुत से नाक-भौं सिकोड़ सकते हैं, क्या आपने कभी सोचा है कि अगर दुनिया में पानी खत्म हो गया तो क्या होगा। कैसा होगा तब हमारा जीवन। आमतौर पर ऐसे सवालों को हम और आप कंधे उचकाकर अनसुना कर देते हैं और ये मान लेते हैं कि ऐसा कभी नहीं होगा। काश हम बुनियादी समस्याओं की आंखों में आंखें डालकर गंभीरता से उसे देख पाएं तो तर्को, तथ्यों और हकीकत के धरातल पर महसूस होने लगेगा वाकई हम खतरनाक हालात की ओर बढ़ रहे हैं।

यमुना को साफ करो
Posted on 03 Jan, 2011 01:28 PM


हिमालय की कोख से प्रवाहमान यमुना को 'आक्सीजन' के लिए संघर्ष करना पड़े... यह कम शर्म की बात नहीं है।
यमुना को आक्सीजन के लिए देश की राजधानी दिल्ली में सर्वाधिक संघर्ष करना पड़ रहा है। उत्तराचंल के शिखरखंड हिमालय से उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद तक करीब 1,370 किलो मीटर की यात्रा तय करने वाली यमुना को ज्यादा संकट दिल्ली के करीब 22 किलोमीटर क्षेत्र में है, लेकिन बेदर्द दिल्ली को यमुना के आंसुओं पर कोई तरस नहीं आया। यही कारण है कि अभी तक यमुना की निर्मलता वापस नहीं लौट सकी।

झरना
Posted on 03 Jan, 2011 12:01 PM

यह ओडियो केंद्रीय शैक्षिक प्रौद्योगिकी संस्थान और एनसीईआरटी द्वारा तैयार किया गया है। इसका शीर्षक है- उमंग। उमंग में प्रस्तुत है-उमंग की पर्यावरण श्रंखला में प्रस्तुत है झरना। सुनने के लिये क्लिक करें.....

 

 

 

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