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उपजाऊ भूमियों पर बंजरीकरण का खतरा
Posted on 10 Aug, 2012 02:29 PM देश के उपजाऊ भूमि पर बंजर होने का खतरा बढ़ता जा रहा है। दुनिया में मात्र 11 प्रतिशत जमीन ही उपजाऊ जमीन है। गोबी रेगिस्तान से लेकर अपने थार रेगिस्तान तक मरुस्थलीकरण का क्षेत्रफल बढ़ता जा रहा है। भारत के कुल 32 करोड़ 90 लाख हेक्टेयर जमीन में से 12 करोड़ 95 लाख 70 हजार हेक्टेयर भूमि बंजर है। अगर इस बढ़ते हुए बंजर जमीन को रोका नहीं गया तो भारत में आने वाले समय में अनाज का संकट पैदा हो जाएगा। उपजाऊ
पत्रकारिता में करियर
Posted on 10 Aug, 2012 01:17 PM भारत में विकास तथा गवर्नेंस का क्षेत्र हाल ही में एक नया उदाहरण बना है, जिसका मुख्य आधार नई नीतिगत व्यवस्था, परिवर्तित व्यवसाय परिवेश और सार्वभौमिकरण है। इन समसामयिक स्थितियों के कारण पत्रकारिता की प्रासंगिकता व्यापक रूप से बढ़ गई है। पत्रकारिता के बढ़ रहे महत्व को देखते हुए, कई मीडिया संस्थाएं शैक्षिक संस्थाएं और इलेक्ट्रॉनिक चैनल स्थापित किए गए हैं। मीडिया समाज तथा शासन का वास्तविक दर्पण बन गया
विज्ञापन एवं प्रचार में करियर
Posted on 10 Aug, 2012 11:16 AM
विज्ञापन एवं प्रचार, दृश्य अथवा मौखिक संदेश के माध्यम से उत्पाद या सेवाएं खरीदने के लिए आम व्यक्ति को सूचना देने अथवा प्रभावित करने के साधन हैं। किसी उत्पाद अथवा सेवा का विज्ञापन, संभावित क्रेताओं के मस्तिष्क में जागरूकता लाने के लिए किया जाता है। विज्ञापन तथा प्रचार के लिए आम तौर पर प्रयुक्त किए जाने वाले कुछ मीडिया इस प्रकार हैं: दूरदर्शन, रेडियो, वेबसाइट, समाचार पत्र, पत्रिकाएं, बिल बोर्ड
न बरखा, न खेती
Posted on 10 Aug, 2012 10:45 AM भारत एक कृषि प्रधान देश है और यहां की 70 प्रतिशत जनता कृषि से जुड़ी हुई है। भारतीय कृषि मानसून आधारित कृषि है। कृषि के लिए पानी की कोई भी व्यवस्था कर ली जाए लेकिन आसमान से वर्षा के रूप में ही पानी हमें मिलता है। इस बार कमजोर मानसून की वजह से सारी भविष्यवाणियां धरी की धरी रह गई हैं और देश में खतरे की घंटी बजनी शुरू हो गई है। जहां एक तरफ लोग गर्मी से बेहाल हुए हैं वहीं दूसरी ओर बारिश कम होने से फ
भारत में सामाजिक कार्य की वर्तमान संभावनाएं
Posted on 10 Aug, 2012 09:53 AM

व्यावसायिक सामाजिक कार्यकर्ता सामुदायिक जीवन के प्रत्येक पक्ष - वृद्धाश्रमों, अनाथालयों, स्कूलों, अस्पतालों, मान

सरकार और समाज को चेतना होगा
Posted on 09 Aug, 2012 05:05 PM

पानी के प्रति शिक्षण सही हो तो समाज का बदलाव होता है राजस्थान के लोगों ने 1200 से ज्यादा बेपानीदार गांवों को पान

खाद्य प्रसंस्करण इंजिनियरी एवं प्रौद्योगिकी में करियर की सम्भावनाएं
Posted on 09 Aug, 2012 04:40 PM खाद्य प्रसंस्करण खाद्य विज्ञान की एक शाखा है और यह ऐसी पद्धतियों तथा तकनीकों का मिला जुला रूप है जिसके द्वारा कच्ची सामग्रियों (raw ingredients) को मनुष्यों तथा पशुओं के उपयोग के लिए भोजन में परिवर्तित किया जाता है। खाद्य प्रसंस्करण खाद्य को परिरक्षित करता है, उसके सुस्वाद में वृद्धि करता है और खाद्य-उत्पाद में टॉक्सिन्स को कम करता है। आधुनिक खाद्य प्रसंस्करण तकनीकों ने आज के सुपर-मार्केट्स के वि
डरना सूखे के जिक्र से
Posted on 09 Aug, 2012 03:35 PM जीडीपी में 14 फीसद का योगदान करनेवाले कृषि क्षेत्र की सरकार को कोई खास परवाह नहीं
मीडिया मानवविज्ञान में करियर
Posted on 09 Aug, 2012 02:36 PM

शैक्षिक संस्थाओं, अनुसंधान संगठनों तथा मीडिया निर्माण ग्रहों के लिए अनुसंधान आधारित मानवविज्ञानी एवं सांस्कृतिक

मानवाधिकार के क्षेत्र में करियर
Posted on 09 Aug, 2012 12:18 PM मानवाधिकार राष्ट्रीयता, निवास- स्थान, लिंग, राष्ट्रीय या नैतिक स्रोत, रंग, धर्म, भाषा या किसी अन्य स्थिति से परे सभी व्यक्तियों में निहित अधिकार हैं। हम सभी, बिना किसी भेदभाव के अपने मानवाधिकार के समान रूप से हकदार हैं। ये अधिकार परस्पर संबंधी, एक-दूसरे पर आश्रित तथा अविभाज्य होते हैं।
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