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अंतरराष्ट्रीय जल दिवस का भारतीय औचित्य
Posted on 23 Mar, 2013 10:09 AM भारत में पानी अब पुण्य कमाने का देवतत्व नहीं, बल्कि पैसा कमाने की वस्तु बन गया है। हजारों करोड़ रुपए
world water day
धरती उदास है।
Posted on 22 Mar, 2013 04:05 PM

कहते हैं, इन दिनों
धरती बेहद उदास है
इसके रंजो-गम के कारण
कुछ खास हैं।
कहते हैं, धरती को बुखार है;
फेफड़े बीमार हैं।
कहीं काली, कहीं लाल, पीली,
...तो कहीं भूरी पड़ गईं हैं
नीली धमनियां।
कहीं चटके...
कहीं गादों से भरे हैं
आब के कटोरे।
कुंए हो गये अंधे
बोतल हो गया पानी
कोई बताये
लहर कहां से आये ?

earth
मिटकर जीना
Posted on 22 Mar, 2013 03:56 PM

23 मार्च - शहीदी दिवस पर विशेष


चक्की में पिस आटा बनने को
दाने होते हैं मजबूर कई
बीज बन रहते हैं जो हरदम तैयार
मिटने को धरती के भीतर
वे ही बनते हैं दिवस शहीदी के आधार
वे ही बनते हैं वटवृक्ष एक दिन
वे ही भर सकते हैं घर
आंगन खुशबू से बन फूल
उनसे ही रहती है
यह सृष्टि सदाबहार
चक्की में........

martyr's day
मां भारती का जलगान
Posted on 22 Mar, 2013 03:48 PM

22 मार्च- विश्व जल दिवस पर विशेष


जयति जय जय जल की जय हो
जल ही जीवन प्राण है।
यह देश भारत....

सागर से उठा तो मेघ घना
हिमनद से चला नदि प्रवाह।
फिर बूंद झरी, हर पात भरी
सब संजो रहे मोती - मोती।।
है लगे हजारों हाथ,
यह देश भारत.....

कहीं नौळा है, कहीं धौरा है
कहीं जाबो कूळम आपतानी।

world water day
पानी नहीं होगा, तो क्या होगा
Posted on 21 Mar, 2013 03:36 PM भूजल स्तर का नीचे होना एक विकराल समस्या का रूप ले रहा है। हाल में विदर्भ समेत कई क्षेत्रों में सूखा प
‘जल को जानें’ बनेगा गांधी शांति प्रतिष्ठान का स्वर्ण जयंती अभियान
Posted on 21 Mar, 2013 11:35 AM कहने को पानी में सबसे कम प्रदूषण औद्योगिक इकाइयां डालती हैं, लेकिन
Gandhi Peace Foundation
गंगा जल की आणविक संरचना आंतरिक शक्ति का द्योतक है -प्रो. उदयकांत चौधरी
Posted on 20 Mar, 2013 12:04 PM नदियां केवल हमारी धार्मिक आस्था ही नहीं बल्कि मानव सभ्यता के प्रारंभिक इतिहास से ही मानव का जीवन रही है। जब धरा पर भयंकर दुर्भिक्ष पड़ा था उस वक्त भागीरथ मुनि की कठोर तपस्या ने मां गंगा को स्वर्ग से धरती पर आने के लिए विवश कर दिया। लेकिन स्वर्ग से पृथ्वी पर गिरती प्रचंड धारा को सहन करना संभव न था। यह उस वक्त की सबसे बड़ी समस्या थी कि प्रचंड वेग को धारण कौन करेगा?
मेरे लेखन और कला का केवल विषय रहा है नर्मदा - अमृतलाल बेगड़
Posted on 20 Mar, 2013 12:01 PM वर्तमान युग की बढ़ती भागदौड़, आगे बढ़ने की अंधी प्रतियोगिता में जब लोगों के पास अपनों के लिए घर-परिवार, मित्र, रिश्तेदारों के लिए, उनका हाल-चाल लेने की फुर्सत नहीं बच रही है। ऐसे में नदी, जंगल और पेड़ों, प्रकृति का हाल-चाल लेना, उनके साथ समय बिताना, उनसे बात कर उसकी भावाभिव्यक्ति को सार्थक-साकार रूप देना सचमुच आश्चर्य की बात है।
कुंभ के बाद तेरा क्या होगा, गंगा!
Posted on 19 Mar, 2013 11:30 AM

गंगा के पानी को गंदलाने में यूपी, बिहार और पश्चिम बंगाल सबसे आगे हैं। इस प्रकार के प्रदूषण की वजह औद्योगिक इकाई

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