दिल्ली

Term Path Alias

/regions/delhi

विनाशकारी भूकम्प और बचाव ( Earthquakes and Rescue )
Posted on 25 May, 2015 05:01 PM

भूकम्प आने की स्थिति में तुरन्त खुले स्थान की ओर भागना चाहिए। यदि घर के भीतर फंस गये हों तो दरव

लोक जीवन की माता गंगा
Posted on 25 May, 2015 01:48 PM भारत का लोक जीवन गंगा को जीवन देने वाली माता के रूप में देखता है। हिन्दी भाषी इलाके में प्रचलित लोक गीतों और लोक कथाओं में उनका मुक्ति प्रदान करने वाला रूप उभर कर आता है। कजरी, चैती और होली-जैसे मौसमी गीतों, जन्म, मुंडन, विवाह और मृत्यु से जुड़े संस्कार गीतों, पराती, भजन- सभी में गंगा की मौजूदगी इसी रूप में देखी जा सकती है। दैनिक धार्मिक कृत्यों और पूजनोत्सवो
गंगा का लोकतन्त्र
Posted on 24 May, 2015 03:43 PM हिन्दी के प्रसिद्ध कवि निलय उपाध्याय ने गंगोत्री से गंगा सागर तक की 2500 किलोमीटर की यात्रा पैदल और साइकिल से की। इस यात्रा के दौरान उन्होंने गंगा के ‘माँ’ होने और गंगा के ‘जल संसाधन’ होने की समझ के बीच की दूरी को देखा और महसूस किया। प्रस्तुत है उनके यात्रा-वृत्तांत का एक अंश-
ग्रीन ट्रिब्यूनल क्या है (What is National Green Tribunal - NGT)
Posted on 24 May, 2015 12:08 PM 02 जून 2010 को भारत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल कानून अस्तित्व में आया। 1992 में रियो में हुई ग्लोबल यूनाइटेड नेशंस कॉन्फ्रेंस ऑन एन्वॉयरनमेंट एण्ड डेवलपमेन्ट में अन्तरराष्ट्रीय सहमती बनने के बाद से ही देश में इस कानून का निर्माण जरूरी हो गया था। भारत की कई संवैधानिक संस्थाओं ने भी इसकी संस्तुती की थी। नेशनल ग्रीन ट्रीब्यूनल एक संवैधानिक संस्था है। इसके दायरे में देश में लागू पर्यावरण, जल, जंगल, वाय
जुल्मों के खारे निशान
Posted on 24 May, 2015 11:36 AM नमक कर जैसे भयानक कर को वसूलने के लिए बनाई गई एक विशाल बागड़ पर लिखी गई पुस्तक का एक अंश प्रस्तुत है। यह बताता है कि कर के कारण एकदम महँगा हो गया नमक देश की एक बड़ी आबादी के भोजन सेे, थाली से बाहर हो गया था और इस कर की वास्तविक कीमत तो कोई पचास लाख लोगों ने अपनी जान गँवाकर चुकाई थी। नमक की कमी ने मृत्युपथ पर आने वालों की संख्या और गति एकदम बढ़ा दी थी।
एनसीआर का पानी, नदी और ग्रीन ट्रिब्युनल
Posted on 23 May, 2015 04:17 PM

दिल्ली में प्रदूषित यमुनाराष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का दायरा फैला; आबादी बढी; साथ-साथ पर्यावरण की चिन्ता की लकीरें भी। कहना न होगा कि पानी और नदी के मोर्चे पर र

polluted river
हवा और शान्ति के हक में कुछ हरित फैसले
Posted on 23 May, 2015 01:38 PM

जितना विकसित शहर, उतनी अधिक पर्यावरणीय समस्यायें। यह अनुभव सौ फीसदी सच है; भारत के महानगर, इसका उदाहरण बनकर सामने आये हैं। इस सच के सामने आने के साथ-साथ महानगर वासियों की चिन्तायें बढ़ी हैं और संचेतना भी। इस बात से भी इन्कार नहीं किया जा सकता। किन्तु संवेदना जगाने का असल काम, मीडिया, कुछ याचिका-कर्ताओं और नेशनल ग्रीन ट्रिब्युनल ने किया है; इस बात से भी शा

Air pollution
भगवान को न्याय हेतु एक न्यायाधिकरण (National Green tribunal)
Posted on 23 May, 2015 12:43 PM

राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण ने पूरे देश में नदी तट व तलहटी से बिना लाइसेंस व पर्यावरणीय मंजूरी क

Arun tiwari
खल्क खुदा का, जैव विविधता इंसानी शिकंजे में
Posted on 23 May, 2015 09:19 AM

अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस (22 मई) पर विशेष

Indian biodiversity
विकराल अकाल
Posted on 22 May, 2015 04:15 PM (वे भारत के रत्न ही थे। वर्ष 1907 में देश के अकाल पर उन्होंने जो काम किया, जो कुछ लिखा-कहा, वह सब यही बताता है कि वे भारत रत्न थे। उन्होंने तब अकाल और रेल का सम्बन्ध भी जोड़ा था। देश का अन्न रेलों के जरिए किस तरह खींच कर विलायत भेजा जाता है और फिर किस तरह यहाँ महँगाई बढ़ती जाती है- इस पर मालवीय जी की चिन्ता कितना कुछ बता जाती है। - सम्पादकीय टिप्पणी )
×