निलय उपाध्याय

निलय उपाध्याय
गंगा का लोकतन्त्र
Posted on 24 May, 2015 03:43 PM
हिन्दी के प्रसिद्ध कवि निलय उपाध्याय ने गंगोत्री से गंगा सागर तक की 2500 किलोमीटर की यात्रा पैदल और साइकिल से की। इस यात्रा के दौरान उन्होंने गंगा के ‘माँ’ होने और गंगा के ‘जल संसाधन’ होने की समझ के बीच की दूरी को देखा और महसूस किया। प्रस्तुत है उनके यात्रा-वृत्तांत का एक अंश-
कौन थी यह नदी पद्मा
Posted on 05 Aug, 2014 08:55 AM
फरक्का से लगभग 17 किलोमीटर आगे बढ़ने पर हाईवे के पास एक स्थान आता है धुलियान। धुलियान से छह किलोमीटर और आगे से बाईं ओर मुड़कर चार किलोमीटर चलने पर एक प्यारा-सा गांव है नदी के तट पर, जिसका नाम है जगताई। जिला मुर्शिदाबाद, प्रखंड सूती; नीमतीता। इस गांव के ठीक सामने से नदी के पार बांग्लादेश आरंभ हो जाता है।
गंगा में पिता
Posted on 05 Dec, 2013 10:41 AM
कल
चुप हो गए पिता
गंगा में डुबकी मारकर

बरसों की छुटी हुई नौकरी
अपमान और असुरक्षा के बीच
पिता जानते थे कि
गंगा हिमालय से निकलती है
और हिमालय कहां है

इस माचिसनुमा शहर में
पिता ने बटोर लिए थे आंकड़े
कि घर के आंगन से बिस्तर तक कितने हिमालय हैं
और सड़क तक आते-आते
कितनी गंगाएं सूखा जाती है

फूटी हुई नाव
×