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एनजीटी ने समिति से यमुना के पर्यावरणीय बहाव पर विचार करने को कहा
Posted on 15 Jun, 2015 10:39 AM राष्ट्रीय हरित न्यायाधिकरण की ओर से गठित मुख्य समिति को न्यायाधिकरण ने हरियाणा स्थित हथनीकुण्ड बैराज से उत्तर प्रदेश के आगरा तक यमुना के पर्यावरणीय बहाव पर विचार करने के लिये एक बैठक बुलाने को कहा है। एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतन्त्र कुमार के नेतृत्व वाली पीठ ने शशि शेखर की अगुवाई वाली समिति को आदेश दिया है कि वह 22 जून को सभी सम्बद्ध राज्यों के विचार सुने। शेखर जल संसाधन मन्त्रालय में सचि
नदिया धीरे बहो
Posted on 14 Jun, 2015 04:00 PM

विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष


इस पर्यावरण दिवस पुरबियातान फेम लोकगायिका चन्दन तिवारी की पहल
नदी के मर्म को समझने, उससे रिश्ता बनाने की संगीतमय गुहार


. पाँच जून को पर्यावरण दिवस के मौके पर अपने उद्यम व उद्यमिता से एक छोटी कोशिश लोकगायिका चन्दन तिवारी भी कर रही हैं। साधारण संसाधनों से साधारण फलक पर यह असाधारण कोशिश जैसी है। चन्दन पर्यावरण बचाने के लिये अपनी विधा संगीत का उपयोग कर और उसका सहारा लेकर लोगों से नदी की स्थिति जानने, उससे आत्मीय रिश्ता बनाने और उसे बचाने की अपील करेंगी।

लोकराग के सौजन्य व सहयोग से चन्दन ने ‘नदिया धीरे बहो...’ नाम से एक नई संगीत शृंखला को तैयार किया है, जिसका पहला शीर्षक गीत वह पर्यावरण दिवस पाँच जून को ऑनलाइन माध्यम से देश तथा देश के बाहर विभिन्न स्थानों पर जनता के बीच लोकार्पित कीं। इस गीत के बोल हैं- अब कौन सुनेगा तेरी आह रे नदिया धीरे बहो...। इस गीत की रचना बिहार के पश्चिम चम्पारण के बगहा के रहने वाले मुरारी शरण जी ने की है।
नदी पुराण
Posted on 14 Jun, 2015 03:53 PM


आमतौर पर नदी वैज्ञानिक ही नदियों के जन्म या प्राकृतिक जिम्मेदारियों की हकीक़त को जानने का प्रयास करते हैं। आम नागरिक के लिये यह विषय बहुत आकर्षक नहीं है इसलिये वे उसे, सामान्यतः जानने का प्रयास नहीं करते। वास्तव में नदी की कहानी बेहद सरल और सहज है।

वैज्ञानिक बताते हैं कि प्रत्येक नदी प्राकृतिक जलचक्र का अभिन्न अंग है। उसके जन्म के लिये बरसात या बर्फ के पिघलने से मिला पानी जिम्मेदार होता है। उसका मार्ग ढ़ालू जमीन पर बहता पानी, भूमि कटाव की मदद से तय करता है। ग्लेशियरों से निकली नदियों को छोड़कर बाकी नदियों में बरसात बाद बहने वाला पानी ज़मीन के नीचे से मिलता है।

नदी
माँ गंगे
Posted on 14 Jun, 2015 12:31 PM अमृत घट प्रवहित शुचि धारा
हिमवान पिता का मधुर हास
लहरों में तेरी गूँजे था सतत
जीवन का मधुरिम उल्लास

शिव अलकों से निकलीं अविरल
कल-कल कलरव करतीं गंगे
अवनि पर स्वर्ग सोपान रहीं
सहमी सहमी बहती क्यों गंगे

कभी सूर्य रश्मियाँ भोर चढ़े
तुमसे मिलने को आती थीं
सुर सरि तुम्हरे पावन जल में
स्वर्णिम अठखेली करती थीं
‘पेयजल’ केवल अधिकार नहीं, कर्तव्य भी
Posted on 11 Jun, 2015 03:54 PM पानी के बिना जीवन सम्भव नहीं है। साफ पानी के बिना स्वस्थ जीवन सम्भव नहीं है। व्यापक साफ-सफाई के बिना साफ पानी लगातार मिल सकना सम्भव नहीं है, और क्योंकि जीवन का अधिकार सबसे मूलभूत अधिकार है, लिहाजा स्वच्छता भी मनुष्य का मूलभूत अधिकार है, और पीने का साफ पानी भी निश्चित रूप से मनुष्य का मूलभूत अधिकार है। ये दोनों मूलभूत अधिकार न केवल आपस में जुड़े हुए हैं, बल्कि मोटे तौर पर मूलभूत कर्तव्यों से प्रे
विनाशकारी है नदी जोड़ योजना
Posted on 11 Jun, 2015 01:38 PM हमारे देश में नदियों को जोड़ने का मसला लम्बे वक्त से जेरे-बहस है। नदियों को जोड़ने की वकालत करने वाली सरकारों, विशेषज्ञों के अपने-अपने दावे हैं। तमाम सारे फायदे गिनाए जा रहे हैं। मसलन, बिजली परियोजनाएँ आसानी से चल पाएंगी, सिंचाई की सहूलियत होगी, अकाल से निजात मिलेगी, बाढ़ की समस्या हल हो जाएगी- वगैरह-वगैरह। लेकिन इन दावों की हकीकत क्या है।
नदी और राजनीति
Posted on 11 Jun, 2015 12:28 PM सच तो यह है कि जब से राजनीति समाज का हिस्सा बनी है तब से नदियों को लेकर भी राजनीति होती ही आ रही है। यह राजनीति अच्छी और बुरी दोनों किस्म की रही है। नदियों को लेकर राजनीति का ज्यादा हिस्सा जरूर स्वार्थ प्रेरित रहा है। जो भी हो, इस समूची राजनीति का मूल कारण क्या रहा है, यही बता रहे हैं लेखक...
हिण्डन प्रदूषण मुक्ति हेतु दिल्ली में पंचायत
Posted on 09 Jun, 2015 02:54 PM तिथि: 11 जून, 2015
समय: 11 बजे से 4 बजे तक
स्थान: इण्डिया हैबिटेट सेंटर (भारत पर्यावास केन्द्र), लोधी रोड, नई दिल्ली
आयोजक: जल-जोड़ो अभियान


उद्देश्य :


1. हिण्डन नदी की प्रदूषण मुक्ति का समाधान खोजना।
2. समाधान हेतु सभी सम्बन्धित वर्गों को एकजुट करना।

मूल विचार :


शासन और औद्योगिक प्रतिनिधियों को शामिल किए बगैर हिण्डन प्रदूषण मुक्ति के समाधान हासिल करना असम्भव है। यह भी सच है कि हिण्डन प्रदूषण के चार बड़े स्रोत हैं - कृषि में प्रयोग होने वाले रसायन, मल, ठोस कचरा और औद्योगिक अवजल। हिण्डन में जल प्रवाह की कमी और प्रदूषण नियन्त्रण बोर्ड व शासन की नाकामी....निर्मलीकरण के मार्ग की दो अन्य बड़ी बाधाएँ हैं। हिण्डन, यमुना में मिलती है और यमुना, गंगा में। अतः यदि गंगा और यमुना को स्वच्छ करना है, तो पहले हिण्डन को स्वच्छ करना होगा। यदि हिण्डन को स्वच्छ करना है, तो काली और कृष्णी को निर्मल किए बगैर यह हो नहीं सकता। मतलब साफ है कि यदि हम चाहते हैं कि गंगा स्वच्छ हो, तो इसके लिये गंगा की सिर्फ मुख्य धारा को स्वच्छ करने से काम चलेगा नहीं; जरूरी है कि गंगा की सभी सहायक धाराओं की निर्मलता सुनिश्चित करने का काम प्राथमिकता पर हो।

जल-जन जोड़ो अभियान के संचालक जल पुरूष श्री राजेन्द्र सिंह जी द्वारा हस्ताक्षरित आमन्त्रण पत्र में कहा गया है कि हिण्डन प्रदूषण के कारण अब लोग कैंसर जैसी जानलेवा बीमारियों का शिकार बन रहे हैं।
Hindon
स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल मौलिक अधिकार
Posted on 09 Jun, 2015 12:31 PM आज जल संकट की जो स्थिति बनी हुई है ऐसे में सरकार का यह दायित्व है कि वह जल के प्रति ऐसी नीति लाए जो लोगों को स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल का मौलिक अधिकार दे। क्योंकि यह सर्वविदित है कि जल मानव को जीवित रखने के लिए आॅक्सीजन के बाद सबसे अहम तत्व है। ऐसे में यदि सरकार खाद्य सुरक्षा की तरह स्वच्छ और सुरक्षित पेयजल का अधिकार सभी नागरिकों को दे तो यह न केवल लोगों के लिए सबसे कल्याणकारी कदम होगा बल्कि इस
पानी से घिरा प्यासा देश
Posted on 09 Jun, 2015 10:03 AM

कई राज्य सरकारें पानी के इन्तजाम का दावा करती हैं, पर गर्मी के आते ही उनका दावा खोखला साबित हो

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