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जानलेवा कचरे का अधूरा निपटान
Posted on 29 Nov, 2015 01:29 PM

भोपाल गैस कांड पर विशेष


सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद भोपाल के यूनियन कार्बाइड कारखाने का घातक कचरा पीथमपुर में निपटाया जाना शुरू कर दिया गया है लेकिन पर्यावरणविद और विशेषज्ञ मानते हैं कि यह कचरा स्थानीय पर्यावरण को बहुत अधिक हानि पहुँचा सकता है।

.सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश के बाद यूनियन कार्बाइड कारखाने का विषाक्त कचरा निपटाने की प्रक्रिया इन्दौर के निकट पीथमपुर औद्योगिक क्षेत्र में शुरू कर दी गई है। लेकिन विषय विशेषज्ञों का कहना है कि कचरा निपटाने के लिये समुचित मानकों का ध्यान नहीं रखा जा रहा है जो आसपास की आबादी के लिये घातक हो सकता है।

दरअसल यूनियन कार्बाइड का जहरीला कचरा तीन दशक बाद भी विवाद का विषय बना हुआ है। इस कचरे को दुनिया का कोई भी देश अपने यहाँ निपटाने को तैयार नहीं है। हालांकि बीच में जर्मनी की एजेंसी जीईजेड इस कचरे को जर्मनी ले जाकर कुशलतापूर्वक नष्ट करने को तैयार थी लेकिन बाद में अज्ञात कारणों से उससे करार नहीं हो सका।

भारत नदी दिवस
Posted on 28 Nov, 2015 08:58 AM

तिथि : 28 नवम्बर, 2015
कार्यक्रम समय: प्रातः 11 बजे से दोपहर 1.30 बजे
पंजीकरण एवं चाय : प्रातः 10.30 बजे
स्थान : इनटेक (71, लोदी स्टेट, नई दिल्ली)


आयोजक : पीस इंस्टीट्ययुट चेरिटेबल ट्रस्ट, डब्ल्यू डब्ल्यू एफ इण्डिया, इनटेक, टॉक्सिक लिंक एवं सैंड्रप

विशेष सहयोग : लोक विज्ञान संस्थान (देहरादून) तथा अर्घ्यम ट्रस्ट (बंगलुरु)
कार्यक्रम अध्यक्ष : श्री शशि शेखर (सचिव, जल संसाधन, नदी विकास एवं गंगा पुनरोद्धार मंत्रालय, भारत सरकार)

कार्यक्रम मुख्य अतिथि : श्री कपिल मिश्र (जल मंत्री, दिल्ली सरकार)विशेष आकर्षण

1. प्रदर्शनी एवं उसका उद्घाटन (11.00 से 11.10 बजे)
विषय : यमुना नदी - अतीत, वर्तमान एवं भविष्य।

प्रदर्शनी का उद्घाटन दिल्ली सरकार के जल मंत्री श्री कपिल मिश्र करेंगे।

विकास के आड़े नहीं आएगा उत्सर्जनः अशोक लवासा
Posted on 27 Nov, 2015 08:00 PM भारत सरकार ने कहा कि भारत ने दुनिया के सामने बहुत ही महत्वाकांक्षी आईएनडीसी प्रस्तुत किया है। दुनिया के अन्य देशों ने इसकी प्रशंसा की है। जलवायु परिवर्तन पर एक बैठक को सम्बोधित करते हुए अशोक लवासा, सचिव-वन, पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन विभाग ने यह बात कही।
उत्सर्जन नहीं, कार्बन अवशोषण भी है महत्त्वपूर्ण
Posted on 26 Nov, 2015 04:06 PM गंगा को प्रवाह देने वाली धाराओं में करीब 106 धाराएँ सूख गई हैं। सिक
भारत के सर्वाधिक लुभावने समुद्र तट
Posted on 26 Nov, 2015 02:55 PM

समुद्र का भारतीय सभ्यता, संस्कृति, धर्म और अर्थ के क्षेत्र में विशेष स्थान रहा है। रत्नाक

पर्वतों का रहस्यवाद, रोमांस और निमंत्रण
Posted on 26 Nov, 2015 01:10 PM

वनों और बर्फ के बीच काव्यात्मकता से ओतप्रोत वे पर्वत क्षेत्र होते हैं जहाँ ऊपर चढ़ते हुए

नदी और जल के सवाल पर दुनिया की साहसी महिलाओं का अभियान
Posted on 26 Nov, 2015 12:23 PM

गंगा का सवाल पूरे देश के लिये महत्त्वपूर्ण सवाल है। एक ओर करोड़ों देशवासियों के आस्था का प्रतीक है। हमारे पर्व त्योहार और धार्मिक अनुष्ठान नदियों के किनारे होते हैं। वहीं एक बड़ी आबादी की ​जीविका का आधार भी है। देश की तमाम ​नदियाँ कचरा ढोने वाले मालवाहक के रूप में तब्दील हो गई है। इससे जहाँ प्रदूषण का स्तर बढ़ा है और तरह-तरह की बीमारियाँ हो रही हैं। वहीं

स्थायी पर्वत विकास
Posted on 26 Nov, 2015 12:07 PM

पर्वतीय क्षेत्रों और समुदायों के सामने उपस्थित समस्याएँ उनके पर्यावरण की अनूठी विशिष्टताओ

फसलें और पानी
Posted on 26 Nov, 2015 09:49 AM

संसार की अपेक्षा हमारे देश में सबसे अधिक सिंचाई के संसाधन उपलब्ध हैं। हमारी 22 प्रतिशत भूमि पर

फ्लश टॉयलेट की गन्दगी बनाम सूखे शौचालयों की पवित्रता
Posted on 25 Nov, 2015 04:34 PM ‘हर घर में शौचालय अपना, यही है हमारा सपना’ का सरकारी नारा अक्सर सुनाई पड़ता है। सपने को साकार करने में विभिन्न सरकारें अपनी ओर से तत्पर भी हैं। पर अगर हर घर में शौचालय बन गए तो स्वच्छता के लिहाज से बहुत बुरा होगा क्योंकि प्रचलित ढंग के शौचालयों से मानव-मल का निपटारा नहीं होता।

महज खुले में मल त्याग करने से छुटकारा मिल जाती है और शौचालयों में एकत्र मानवमल आखिरकार जलस्रोतों को मैला करता है। तकनीकी विकास के आधुनिक दौर में भी मानव मल का निपटारा एक बड़ी समस्या बना हुआ है। ऐसे में बरबस गाँधीजी की सीख ‘मल पर मिटटी’ की याद आती है। उस तकनीक के आधार पर बिहार के बाढ़ग्रस्त क्षेत्रों में खास किस्म के शौचालयों का विकास हुआ जिसके परिष्कृत रूप को ‘इकोसेन’ कहा जा सकता है।
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