चंपावत जिला

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नौला पानी का परम्परागत स्रोत
Posted on 08 Oct, 2018 03:05 PM

नौला पेयजल की उपलब्धता हेतु पत्थरों से निर्मित एक ऐसी संरचना है, जिसमें सबसे नीचे एक वर्ग फुट चौकोर सीढ़ीनुमा क्रमबद्ध पत्थरों की पंक्ति जिसे स्थानीय भाषा में ‘पाटा’ कहा जाता है, से प्रारम्भ होकर ऊपर की ओर आकार में बढ़ते हुए लगभग 8-10 पाटे होते हैं, सबसे ऊपर का पाटा लगभग एक डेढ़ मीटर चौड़ाई-लम्बाई व कहीं-कहीं पर ये बड़े भी होते हैं, नौला के बाह्य भाग में प्रायः तीन ओर दीवाल होती है। कहीं-कहीं प

नौला
गुलाब जल के उत्पादन से खुली आर्थिक समृद्धि की राह
Posted on 19 Mar, 2018 01:23 PM


कांटो के बीच पल्लवित होने वाला गुलाब का फूल जीवन की जटिलताओं को दूर कर उमंग भी कर सकता है, बशर्ते गुलाब की खेती बड़े पैमाने पर की जाए। इन फूलों से बना गुलाब जल सुगंध, स्वाद और सेहत के साथ ही नियमित आय का जरिया भी है।

गुलाब का फूल
गधेरों का संरक्षण भी जरूरी
Posted on 03 Nov, 2017 11:07 AM
लोहाघाट/चम्पावत/टनकपुर। गंगा बचाओ-नदी बचाओ, बहुत सुन लिये तुम्हारे ये नारे। क्या बिना गाड़-गधेरों के संरक्षण के ही ये नदियाँ अधिक दिनों तक बची रह सकेंगी?
चंपावत में पानी के लिए जूझ रहे लोग
Posted on 17 May, 2019 05:33 PM

जीआईसी रोड और कनलगांव क्षेत्र पेयजल संकट के नजरिए से संवेदनशील बने हुए हैं। दोनों क्षेत्रों में पेयजल का गंभीर संकट बना हुआ है। हालात से निपटने के लिए जल संस्थान इन क्षेत्रों में हर दिन टैंकर के जरिए चार बार पेयजल आपूर्ति कर रहा है। बावजूद इसके लोगों की पानी की जरूरत पूरी नहीं हो पा रही हैं।

चंपावत में जीआईसी रोड पर टैंकर से पानी ले रहे लोग
पिथौरागढ़ के मालदार
Posted on 30 Mar, 2019 04:55 PM
पिथौरागढ़ शहर को पूरे जुनून के साथ जिन्होंने प्यार किया ऐसे पुराने लोग कौन थे, यह पूछने पर मोष्टमानु के हर सिंह विष्ट कहते हैं- एक बार मोष्टमानु के जाने माने अध्यापक हैदर मास्टर के पिता कादर बख्श ने इसी तरह के सवाल का जवाब दिया कि जिनकी चमक से ये पिथौरागढ़ रोशन हुआ, उनमें एक थीं मिस मैरी रीड। चण्डाक में उनकी उपेक्षित कब्र के पास आने पर शान्ति का एहसास होता है। मैनेजर उस समय डाली मार्च थीं। दूरसे थ
सोर से समन्दर तक
Posted on 30 Mar, 2019 04:44 PM

पिथौरागढ़ में लॉरी बेकर (2 मार्च 1917-1 अप्रैल 2007) को करीब से जानने-पहचानने वाली पीढ़ी के लोग अब गिन-चुने रह गए हैं। जो बेकर को जानते रहे उनकी सुखद स्मृतियों में वे जीवंत हैं। बेकर का जिक्र जब तक उन तमाम वांशिदों के बीच होता रहता है जो इस नगर के बेलगाम-बेतरतीब फैलाव व अनियोजित शहरीकरण को लेकर चितिन्त हैं। शहर की बुनियादी सुविधाओं के बदतर होते हालातों से त्रस्त हैं!

युगदृष्टा जोहारी
Posted on 30 Mar, 2019 01:20 PM

बाबू रामसिंह पांगती जोहार की उन महान विभूतियों में से एक थे जिन्होंने इस क्षेत्र के तत्कालीन समाज में व्याप्त कुरीतियों, अन्धविश्वासों और डगमगाती अर्थव्यवस्था में आमूल परिवर्तन लाने का बीड़ा उठाया था। उनका जन्म जोहार के उस सम्पन्न परिवार में हुआ था। जिसका व्यापार सीधे पश्चिमी तिब्बत के सरकारी व्यापारी ज्युङ छुङ के साथ होता था। इन्होंने कुछ वर्ष पूर्व मुम्बई, कानपुर, दिल्ली और अमृतसर से कपड़ा, म

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