भोपाल जिला

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जनभागीदारी से दूर होती फ्लोरोसिस की बीमारी
Posted on 19 Nov, 2015 03:46 PM राज्य स्तरीय कार्यशाला में बनी सहमति, स्थानीय समुदायों, स्यवंसेवी संगठनों और सरकार के तालमेल से दूर हो सकती हैं फ्लोरोसिस जैसी क्षेत्र आधारित बीमारियाँ

पेयजल से पैदा होने वाली इस बीमारी की भयावहता का अन्दाजा इस बात से लगाया जा सकता है देश के 20 राज्य और अकेले मध्य प्रदेश के 27 जिले इसकी चपेट में हैं। पानी में फ्लोराइड की बढ़ी हुई मात्रा कई तरह की बीमारियों को जन्म दे सकती है। इससे निपटने के क्रम में शासकीय-स्वयंसेवी प्रयास और आम लोगों में जागरुकता दोनों समान रूप से आवश्यक हैं। प्रदेश के 27 जिलों में पेयजल फ्लोराइड से ग्रस्त है, लोक विज्ञान संस्थान तथा कुछ अन्य संस्थाओं के साथ मिलकर प्रदेश सरकार तेजी से इस समस्या से निपटने का प्रयास कर रही है।राजधानी भोपाल स्थित पलाश रेजिडेंसी होटल में 18 नवम्बर को ‘सहभागी भूजल प्रबन्धन के जरिए फ्लोरोसिस शमन’ विषय पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में पानी में फ्लोराइड की जरूरत से ज्यादा मौजूदगी से होने वाली समस्याओं और उनसे निपटने के जनभागीदारी वाले तरीकों के बारे में न केवल गहन चर्चा हुई बल्कि वहाँ ऐसे निष्कर्ष भी निकाले गए जो इस बीमारी से जूझ रहे जिलों और आबादी को नई राह दिखा सकते हैं।

कार्यशाला के समापन तक इस बात पर आम सहमति बन गई कि स्थानीय समुदायों को यदि थोड़ा शोध, थोड़ा प्रशिक्षण और सरकारी-गैरसरकारी मदद मुहैया करा दी जाये तो वे स्थानीय भौगोलिक परिस्थितियों के कारण उपजी फ्लोरोसिस जैसी समस्याओं से काफी हद तक खुद ही निपट सकते हैं।

कार्यशाला का आयोजन देहरादून स्थित शोध संस्था लोक विज्ञान संस्थान (पीएसआई), ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचईडी), भोपाल, फ्रैंक वाटर यूके, वसुधा, विकास संस्थान, वाटर एड, इनरेम फ़ाउंडेशन और अर्घ्यम के सहयोग से किया था।
meet on fluorosis
बेहाल किसान
Posted on 06 Nov, 2015 10:59 AM कई जिलों में सूखे की स्थिति नहीं है लेकिन सामान्य से कम बारिश होने
Agriculture
छह हजार जल खजाने
Posted on 25 Oct, 2015 04:27 PM

रीवा राज्य में और भी कई बड़े तालाब हैं, लेकिन सभी की स्थिति एक-सी है। विकास की दौड़ में क

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मोघा से झरता जीवन
Posted on 25 Oct, 2015 03:03 PM

आज विकसित समाज पानी की समस्या के लिये जब भी नदियों को आपस में जोड़ने की बात चले या फिर बड

Talab
नालों की मनुहार
Posted on 24 Oct, 2015 03:01 PM

मालवा में नालों को ‘खाल’ भी कहते हैं। गाँव समाज इनसे इतना प्यार करता था कि इन्हें परिजनों

nala
डग-डग डबरी
Posted on 24 Oct, 2015 01:09 PM

डबरी का लाभ प्रत्यक्ष रूप से तो उस किसान को मिलता है, जिसने अपने खेत में डबरी खोदी है, ले

dabri
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