भारत

Term Path Alias

/regions/india

कावेरी का अपना-अपना पानी
Posted on 17 Feb, 2018 02:49 PM


प्रकृति ने जल से लेकर जंगल तक बिना किसी भेदभाव के अपनी सम्पदा मानव को दे दी थी और साथ ही अधिकार भी कि जो भी प्राकृतिक है वो तुम्हारा है। मनुष्य ने अपनी स्वार्थी प्रवृत्ति के चलते प्राकृतिक जल के बँटवारे कर डाले और दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में लोग बरसों से पानी-पानी करते जल का बँटवारा करते आ रहे हैं। महासागरों का बँटवारा हो सकता है तो हमारे देश की कावेरी नदी को बाँटना कोई बड़ी बात नहीं लगती।

कावेरी नदी
लुप्त होतीं हिमालय की जलधाराएँ
Posted on 16 Feb, 2018 05:27 PM
सूखती जलधाराएँ समाज में बढ़ती जटिलताओं और उसके समक्ष भविष्य
Pramod Bhargava
कितना पानीदार केन्द्रीय बजट (2018-19)
Posted on 16 Feb, 2018 02:14 PM
महाराष्ट्र राज्य की मात्र 20 प्रतिशत कृषि भूमि ही सिंचित क्षेत्र में है। स्पष
river water
हिमयुग के अंतिम वर्षों में मानवीय पलायन में शामिल थीं महिलाएँ
Posted on 15 Feb, 2018 06:31 PM
जब से जीवधारियों के जीनोम को पढ़ना और जीन्स को क्रमबद्ध करना सम्भव हुआ है, तब से मानव विकास क्रम के बारे में कई नए खुलासे हो रहे हैं। अब भारतीय शोधकर्ताओं द्वारा जम्मू-कश्मीर में किए गए एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि प्लाइस्टोसीन या हिमयुग के अंतिम दौर और उसके बाद भी एक जगह से दूसरी जगह होने वाले मानवीय पलायन पूरी तरह पुरुष प्रधान नहीं थे, बल्कि इसमें महिलाएँ भी शामिल थीं।
अनुपम पर्यावरण
Posted on 04 Feb, 2018 03:20 PM
गाँधीजी के पूरे लेखन में कहीं भी पर्यावरण शब्द का इस्तेमाल नहीं है। ये कितनी दिलचस्प बात है कि स्वच्छता से लेकर ‘दाओस समिट’ तक जिस महात्मा गाँधी का जिक्र होता है वह प्रकृति, ग्राम्य-जीवन, कृषि जैसी बातें तो करते हैं लेकिन पर्यावरण शब्द उनके यहाँ नहीं है। दरअसल पर्यावरण की जो नई चिन्ता है वही अपने आप में विरोधाभाषी है। गाँधी चरखा से लेकर स्वराज तक और जीवन से लेकर प्रकृति तक एक ही बात कहते हैं
टांका
फुहारों के बीच यायावरी का मजा
Posted on 03 Feb, 2018 11:26 AM
क्या कभी मानसून में घूमने का मन बनाया है?
जंगलों के अभाव में वन्यजीवों का हो रहा जीना मुश्किल
Posted on 02 Feb, 2018 02:57 PM

बीते सालों के आँकड़ों पर नजर डाली जाये तो पता चलता है कि साल 2014 से 2016 के बीच के इन तीन सालों में 1052

forest
फसलों के लिये संजीवनी बनी ठंडक और धुंध
Posted on 02 Feb, 2018 11:07 AM
मौसम में बनी ठिठुरन और धुंध ने बेशक आम आदमी की परेशानी बढ़ाने का काम किया है लेकिन यह ठंडक और धुंध का मौसम रबी की फसलों के लिये संजीवनी से कम नहीं है। रबी की फसल गेहूँ, सरसों और जौ के लिये हाल ही में हुई हल्की बूँदाबाँदी एक प्रकार से संजीवनी साबित होगी, क्योंकि फसलों की बीजाई के बाद से ही किसान कम-से-कम एक बरसात होने का इन्तजार कर रहे थे। अन्ततः किसानों की यह तमन्ना कुदरत ने पूरी कर दी। किसा
आर्द्रभूमि को लेकर सूख रही आँखों की नमी
Posted on 01 Feb, 2018 04:30 PM

विश्व आर्द्रभूमि दिवस 2 फरवरी 2018 पर विशेष


2 फरवरी को दुनिया भर में विश्व आर्द्रभूमि (वेटलैंड्स) दिवस मनाया जाता है। सन 1971 में इसी दिन वेटलैंड्स को बचाने के लिये ईरान के रामसर में पहला सम्मेलन किया गया था। इसलिये इस सम्मेलन को रामसर सम्मेलन (कन्वेंशन) भी कहा जाता है।

इस कन्वेंशन में एक अन्तरराष्ट्रीय समझौता किया गया था। इस समझौते की बुनियाद में विश्व भर की आर्द्रभूमि की सुरक्षा का संकल्प था।
लोकटक झील
×