फुहारों के बीच यायावरी का मजा


क्या कभी मानसून में घूमने का मन बनाया है? यदि नहीं, तो बना लीजिये, क्योंकि हिन्दुस्तान में ऐसे कई पर्यटन स्थल हैं, जिनकी फिजा मानसून में निराली ही होती है। पर्यटन विशेषज्ञों की मानें तो हिन्दुस्तान के कई पर्यटन स्थलों को मानसून के दौरान घूमने का मजा ही अलग है, क्योंकि वर्ष के बाकी माह में भले ही आपको वहाँ घूमना अच्छा लगे, लेकिन बारिश की फुहारों के बीच इन पर्यटन स्थलों में जाना, एक अलग दुनिया से रूबरू होने जैसा होता है।

जल चक्रअब तो टूरिज्म इंडस्ट्री भी मानसून टूरिज्म के लिये खास टूर पैकेज लॉन्च करती हैं। टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े लोगों का कहना है कि मानसून टूरिज्म अब भारत में भी जोर पकड़ने लगा है। क्योंकि मुम्बई का लोनावला हो या खंडाला, बारिश में गोवा के बीचेज हो या शिलाँग की बारिश, हिन्दुस्तान के ऐसे स्थलों पर घूमने का ट्रेंड अब बढ़ता जा रहा है और इसीलिये ऐसे पर्यटन स्थलों के लिये टूरिज्म कम्पनियाँ स्पेशल मानसून टूर पैकेज लाती हैं।

बारिश में भीगती वैली ऑफ फ्लावर्स


वैली ऑफ फ्लावर्स यानी फूलों की घाटी मानसून की छटाओं से निराली ही नजर आती है। वैसे भी फूलों की घाटी तो अगस्त के पहले हफ्ते से लेकर मध्य अगस्त तक ही सौन्दर्य के लिहाज से शबाब पर होती है जब पूरी घाटी में रंग-बिरंगे फूलों की मस्ती और महक फैल जाती है। यहाँ पहुँचने वाले रास्तों में मिलने वाली पहाड़ियाँ कभी बादलों से ढकी होती हैं तो कभी सड़कों पर बादलों का अचानक हमला पूरे कैनवास को सफेदी से भर देता है। यह सही है कि बादलों से ढके पहाड़ों का नजारा देखने से आप कई बार वंचित रह जायेंगे, लेकिन इस मौसम का अपना एक अलग आकर्षण है।

मानसून फुहारों में नैनीताल


नैनीताल की तेज बारिश और सर्द मौसम देखकर तो एक बार को कोई भी सहम जायेगा कि यहाँ कोई कैसे घूमेगा पर कुछ ही देर में यहाँ का पूरा नजारा ही बदल जाता है। नैनीताल में कभी तो मूसलाधार बारिश होती है और एकाएक रिमझिम तरानों के साथ। और जब बारिश थमती है तब तो नैनीताल का नजारा देखने ही लायक होता है। मौसम साफ हो और धूप निकली हो तो नैनी झील भी अपने पूरे शबाब पर नजर आती है। चाइनीज पीक पहाड़ी भी पूरी तरह बर्फ से ढकी हुई नजर आती है। वहाँ से नीचे उतरते समय मॉल रोड का नजारा देखने लायक होता है जहाँ आदमी नहीं सिर्फ रंग-बिरंगे छाते ही दिखते हैं। इन सब को देखकर ऐसा लगता है जैसे छातों का मेला लगा हो।

बारिश की घटाओं के बीच लद्दाख


लद्दाख एक ऐसी जगह है जहाँ संसार के हर व्यक्ति कम-से-कम एक बार अवश्य जाना चाहता है और लद्दाख की यात्रा करना तो अपने आप में किसी तीर्थ यात्रा, किसी आत्मिक अनुभव से कम नहीं है। अगर आप भी उन लोगों में से एक हैं, जो कुछ अलग देखने की चाह रखते हैं तो बारिश में लद्दाख भ्रमण आपके लिये बेहतरीन ऑप्शन है। आप लद्दाख की वादियों के सौन्दर्य का बारिश में भरपूर आनन्द उठा सकते हैं वो भी रोमांच के साथ। लेह शहर को केंद्र बनाकर लद्दाख को आसानी से चार भाग में विभाजित किया जा सकता है। आप चार दिशाओं में नुब्रा, कारगिल तथा जस्कर, पेन्गोंग तथा सोमिरिरी की तरफ जा सकते हैं।

बारिश में संगमरमरी भेड़ाघाट


बारिश में मध्य प्रदेश के जबलपुर शहर से लगे भेड़ाघाट जाने के बारे में कोई सोचता नहीं है लेकिन बारिश में भेड़ाघाट जाने वाले इसकी खूबसूरती देखकर आश्चर्य चकित रह जाते हैं। तेज प्रवाह में पूरा का पूरा प्रपात खो सा जाता है। इस मौसम में प्रपात का सौन्दर्य नहीं दिखता लेकिन प्रवाह के सौन्दर्य को संग लिये नर्मदा की हिलोर देखने लायक होती है। नर्मदा का प्रवाह देखकर लगता है कि मानो कह रही हों कि प्रपात गुम हुआ तो क्या पर्यटक मेरी भी खूबसूरती निहारें। आखिर प्रपात बनाती तो मैं ही हूँ। वैभव के प्रपात गुम होते हैं तभी सरलता का प्रवाह दिखता है। भेड़ाघाट का वातावरण भी बेहद शान्त रहता है। भेड़ाघाट और यहाँ की संगमरमर चट्टान की खूबसूरती उस समय चरम पर होती है जब बारिश की बूँद इन पर पड़कर छिटकती है।

पहाड़ों की रानी पंचमढ़ी


सुंदर पहाड़ियाँ, झरनें, घुमावदार रास्ते और हरियाली ओढ़े छटायें मध्य प्रदेश के प्रसिद्ध पर्यटन स्थल पचमढ़ी की खासियत हैं। हिलस्टेशन पचमढ़ी में कई सारे दर्शनीय स्थल हैं जैसे प्रियदर्शनी, बी फॉल, जमुना प्रपात, जटाशंकर, हांडी खोह, रजत प्रपात, पांडव गुफाएँ, धूप गढ़ आदि जहाँ बारिश के पानी में भीगने से आपको अनोखे आनन्द की प्राप्ति होगी। घने जंगल और पहाड़ के साथ ढेरों फॉल्स और तालाब का कॉम्बिनेशन इसे मानसून का हॉट टूरिस्ट स्पॉट बनाता है। यह देश के उन चुनिन्दा टूरिस्ट स्पॉट्स में से एक है, जहाँ पैराग्लाइडिंग, बोटिंग और फॉल्स में नहाने का मजा लिया जा सकता है।

बस्तर में आदिवासी संस्कृति के दर्शन


छत्तीसगढ़ राज्य बस्तर अपने हरे-भरे जंगलों, ऐतिहासिक अबूझमाड़ की आदिवासी पहाड़ियों और खनिज खदानों के लिये जाना जाता है। बस्तर के राष्ट्रीय उद्यान, जंगल, विभिन्न प्रकार के पेड़-पौधे, प्राचीन एवं रहस्यमयी गुफायें, सुन्दर जल प्रपात और नदियाँ रोमांचकारी खेलों के शौकीन व कलाकारों के लिये स्वर्ग के समान है। इंद्रावती नदी से निर्मित चित्रकोट जल प्रपात और 100 फीट की ऊँचाई से गिरते तीरथगढ़ जल प्रपात का पारदर्शी बहाव किसी का भी ध्यान आकर्षित कर सकता है। बस्तर उनके लिये है जो बिना किसी भय के प्रकृति का आनन्द लेना चाहते हैं और प्राकृतिक गतिविधियों से आह्लादित होते हैं।

गो गोवा


धुली-धुली सड़कें, जहाँ तक नजरें जायें वहाँ तक फैली हरियाली यही है बारिश में गोवा की असली खूबसूरती का राज। गोवा के मडगाँव से पणजी का हरियाली भरा रास्ता बारिश की फुहारों में तय किया जाये तो उसकी खूबसूरती अवर्णनीय है। इस समय यहाँ के कॉटेज भी पेड़-पौधों, फूलों से लकदक नजर आते हैं। आकाश में पल-पल रंग बदलते बादल और उनके साथ ताल मिलाती अरब सागर की लहरें- गोवा के ये सारे दृश्य केवल और केवल मानसून में ही देखने को मिलेंगे। मानसूनी फिजां में मोटरसाइकिल या स्कूटर किराये पर लेकर आप बागा, अंजुना, कलुंगटे, माजोर्दा, कोलवा व बेनोलिम आदि उत्तर से दक्षिण तक के बीचों की सैर करने का दमखम रखते हैं तो इस मौसम में आप अपने किसी भी पसंदीदा तट पर झमाझम बरसती बारिश के बीच छतरी के नीचे पसर कर सागर की लहरों पर उमड़ते-घुमड़ते बादलों को देख सकते हैं।

चेरापूँजी में बारिश का मजा


बारिश का असली मजा लेना है तो सीधे चले आइये चेरापूँजी क्योंकि बारिश को बारिश के घर में देखने का आनन्द ही कुछ और है। चेरापूँजी के बारे में तो प्रसिद्ध है कि ये बारिशों का शहर है। वैसे तो अब दुनिया में सबसे ज्यादा बारिश बटोरने वाली जमीन का खिताब नजदीकी मौसिनराम को मिल चुका है लेकिन चेरापूँजी को जैसे इस तकनीकी बदलाव से कोई फर्क नहीं पड़ता क्योंकि सैलानी अब भी चेरापूँजी की बारिश देखने ही मेघालय पहुँचते हैं।

शिलाँग का मानसूनी पर्यटन


बारिश का रूमानी मिजाज देखना हो तो मेघालय के ही दूसरे शहर शिलाँग चले आयें। न कोई शोर, न शरारत, न बादलों की गड़गड़ाहट और न ही बिजलियों की कड़क से आसमान दहकता है। बस चुपचाप बरसते हैं मेघ यहाँ। पर यही खामोशी तो इनकी खूबसूरती है। जब बादल खामोशी से बरसते हैं कैसे नजर आते हैं यह नजारा सिवाय शिलाँग के और कहीं भी देखने को नहीं मिलेगा। तो अगर आप बारिश की शांति को महसूस करना चाहते हैं तो शिलाँग से बेहतर कोई जगह नहीं।

‘झीलों की नगरी’ उदयपुर


अरावली पहाड़ी के निकट स्थित राजस्थान के सब से खूबसूरत शहर उदयपुर को अपनी प्रकृति और मानवीय रचनाओं से समृद्ध अपनी सुन्दरता के लिये जाना जाता है। बारिश में यहाँ की हवेलियों, महलों और हरियाली को देखकर सैलानी उमंग से भर जाते हैं। मनमोहक हरे-भरे बगीचे, नहरें, दूध की तरह सफेद संगमरमर के महल इस शहर को रोमांटिक बनाते हैं। झीलों की नगरी कहे जाने वाले उदयपुर शहर में तीन बड़ी झीलें हैं- पिछौला झील, फतेह सागर और स्वरूप सागर। इसके अलावा दूध तलाई है। ये सारी झीलें आपस में जुड़ी हैं। उदयपुर में कई रेस्तरां झीलों के किनारे हैं। वहाँ के माहौल में पारम्परिक खाने का अनुभव भी राजसी है।

आकर्षक सापूतारा


महाराष्ट्र और गुजरात की सीमा रेखा पर बसा सापूतारा गुजरात के डांग जिले का एक प्रसिद्ध हिल रिजॉर्ट है। चारों तरफ से जंगलों से घिरा, झरनें, तालाब तथा पहाड़ियाँ सापूतारा को आकर्षक रूप प्रदान करते हैं, सहाद्रि पहाड़ी पर स्थित सापूतारा गुजरात का एक प्रमुख पर्यटक स्थल है। यहाँ की प्राकृतिक सुन्दरता, सूर्योदय और सूर्यास्त तथा सुन्दरता से सराबोर गार्डन एवं संग्रहालय पर्यटकों के लिये कुछ खास आकर्षण के केन्द्र हैं। बरसात में नाव की सवारी के शौकीन यहाँ पहाड़ियों के चारों ओर बहती झील में नौका विहार का आनन्द ले सकते हैं।

केरल की खूबसूरत हरियाली


पर्यटकों को आकर्षित करती है केरल की चारों ओर जबर्दस्त हरियाली, जो बरसात में और भी निखर जाती है। केरल प्रकृति के उपहारों का भरपूर वरदान है तभी तो इसे गॉड्स ओन कंट्री अर्थात ईश्वर की अपनी भूमि कहा गया है। रोमांच पसंद करने वाले मानसूनी पर्यटन यहाँ न सिर्फ जलक्रीड़ा व शांत जंगलों के बीच छुट्टियाँ बिता सकते हैं, बल्कि हाउसबोट में रहकर अपने अनुभव को भी यादगार बना सकते हैं। केरल की राजधानी तिरुअनंतपुरम के अलावा वरकाला बीच, जनार्दन स्वामी मन्दिर, कोल्लम, एलप्पी, एर्णाकुलम आदि दर्शनीय स्थल हैं। ओणम के दौरान सजे-धजे हाथी, सर्प नौका प्रतियोगिता आकर्षण का प्रमुख केन्द्र होता है।

बारिश में महाराष्ट्र के समुद्र तट


बारिश में एक अलग तरह की खूबसूरती लिये हैं। महाराष्ट्र के समुद्र तट। यहाँ के प्रमुख तटवर्ती शहर है मुम्बई और सिंधु दुर्ग। इसके अलावा और भी समुद्र तट हैं। महाराष्ट्र की राजधानी मुम्बई को भारत का प्रवेश द्वारा भी कहा जाता है गेटवे ऑफ इंडिया। यहाँ पर जुहू, मरीन ड्राइव, चौपाटी, वरसोवा, हाजी अली, गेटवे ऑफ इंडिया, एलिफेंटा आदि जगह से समुद्र के दर्शन किये जा सकते हैं। इसके दूसरे तट सिंधु दुर्ग का अर्थ समुद्र और किला अर्थात यहाँ, जहाँ देखने के लिये समुद्र है वहीं दुर्ग भी। शानदार पहाड़ियों और प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण सिंधु दुर्ग का खूबसूरत समुद्र तट बारिश में भीगकर देखने लायक होता है। मुम्बई के करीब स्थित लोनावला भी बारिश में काफी खूबसूरत हो जाता है।

सागर किनारे लक्षद्वीप पुकारे


अरब सागर की गोद में स्थित ये द्वीप अपनी सुंदरता में अद्वितीय और आकर्षक हैं। बारिश में मुख्य भूमि से दूर इनका प्राकृतिक सौन्दर्य, प्रदूषणमुक्त वातावरण, चारों ओर समुद्र और इसका पारदर्शी तल पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देता है। समुद्री जल में तैरती असंख्य प्रजातियों की रंग-बिरंगी मछलियाँ इन द्वीपों की सुंदरता को चार चाँद लगा देती हैं। बारिश में यहाँ का नैसर्गिक वातावरण देश-विदेश के सैलानियों को बरबस अपनी ओर खींच लेता है।

तो निकल पड़िये इस मानसून यायावरी का मजा उठाने। इस मौसम में आप समुद्र तटों पर आप वाटरस्पोर्ट्स का आनंद उठा सकते हैं या फिर खामोशी से बैठकर पहाड़ पर गिरती बूँदें देख सकते हैं। सड़कों पर छतरी लेकर घूमिये या पानी के किनारे सैर करिये। यकीन मानिये यह अनुभव आपके लिये स्वर्ग के समान होगा।

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