मौसम में बनी ठिठुरन और धुंध ने बेशक आम आदमी की परेशानी बढ़ाने का काम किया है लेकिन यह ठंडक और धुंध का मौसम रबी की फसलों के लिये संजीवनी से कम नहीं है। रबी की फसल गेहूँ, सरसों और जौ के लिये हाल ही में हुई हल्की बूँदाबाँदी एक प्रकार से संजीवनी साबित होगी, क्योंकि फसलों की बीजाई के बाद से ही किसान कम-से-कम एक बरसात होने का इन्तजार कर रहे थे। अन्ततः किसानों की यह तमन्ना कुदरत ने पूरी कर दी। किसानों ने इस मौसम को फसलों के अधिक अनुकूल ठहराया है। हल्की फुहारों में भीगी सरसों की फसल पर लगे पीले फूल सोने की तरह से चमकने लगे हैं।
रबी की फसल की बीजाई के बाद से अभी तक फसलों की प्राकृतिक सिंचाई के अनुकूल बरसात नहीं हो सकी थी। नहरी पानी का अभाव है और ट्यूबवेल से फसलों की सिंचाई के लिये जरूरत के मुताबिक बिजली भी नहीं मिलती है। ऐसे में किसान पूरी तरह से या तो राम भरोसे या फिर मौसम पर ही निर्भर है। जनौला के गिरवर यादव का कहना है कि ऐसे मौसम में राम जी कम-से-कम एक बरसात कर दें तो, यह बरसात एक किला फसल में दो कट्टे खाद की खुराक का काम करती है। फिलहाल गिरा हुआ तापमान गेहूँ की फसल के लिये अधिक फायदेमन्द है।
खेड़ा खुर्रमपुर के श्रीचंद का कहना है कि मौसम में बनी ठंडक और धुंध कोहरे के रूप में गिरने वाली ओस की फुहार से एक तरह से फसलों की कुदरती सिंचाई कर रही है। खोड़ गाँव के रमेश का कहना है कि सरसों की फसल पटौदी क्षेत्र में पछेती बीजाई की जाती है।
गेहूँ की फसल में आयेगी नई जान गुगाना के राजपाल और तुर्कापुर के रामजस का कहना है कि यदि अब भी ठंडक और धुंध सहित कोहरे के बीच फुहार नहीं गिरती तो फसलों से अच्छी उपज मिलना मुश्किल हो जाता। फसलों के अनुकूल तापमान और ठंडक बनने से अब गेहूँ की फसल में नई जान पड़ जायेगी। जमालपुर के रामफल का कहना है कि ऐसे मौसम और ठंडक में गेहूँ का पौधा तेजी से बढ़ने के साथ इसमें कई-कई टहनियाँ बनती हैं। किसानों सहित रबी की फसल गेहूँ, सरसों और जौ को मौसम में बनी ठंडक इस समय खूब रास आ रही है। ऐसे में सरसों की फसल के लिये फुहार ठंडक और धुंध सभी तरह से फायदे का सौदा है। |
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