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कहां कितना आरटीआई शुल्क
Posted on 30 Oct, 2010 10:46 AM सूचना अधिकार क़ानून के तहत आवेदन शुल्क या अपील या फोटो कॉपी शुल्क कितना होगा, यह तय करने का अधिकार राज्य सरकार को दिया गया है। मतलब यह कि राज्य सरकार अपनी मर्जी से यह शुल्क तय कर सकती है। यही कारण है कि विभिन्न राज्यों में सूचना शुल्क/अपील शुल्क का प्रारूप अलग-अलग है। इस अंक में हम आपको आरटीआई शुल्क और सूचना के बदले लिए जाने वाले शुल्क के बारे में बता रहे है
सरकारी दस्तावेज़ देखना आपका अधिकार है
Posted on 30 Oct, 2010 10:30 AM आरटीआई क़ानून में कई प्रकार के निरीक्षण की व्यवस्था है। निरीक्षण का मतलब है कि आप किसी भी सरकारी विभाग की फाइल, किसी भी विभाग द्वारा कराए गए काम का निरीक्षण कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, यदि आपके क्षेत्र में कोई सड़क बनाई गई है और आप उसके निर्माण में इस्तेमाल की गई सामग्री से संतुष्ट नहीं हैं या सड़क की गुणवत्ता से संतुष्ट नहीं हैं तो आप निरीक्षण के लिए आवेदन कर सकते हैं। इस बारे में और विस्तृत जानकारी हम अगले अंक में देंगे। इस अंक में हम आपको बता रहे हैं कि सरकारी फाइल का निरीक्षण कैसे किया जा सकता है और यह क्यों ज़रूरी है।
आरटीआई के इस्तेमाल में समझदारी दिखाएं
Posted on 30 Oct, 2010 10:27 AM हमारे पास पाठकों के ऐसे कई पत्र आए हैं, जिनमें बताया गया कि आरटीआई के इस्तेमाल के बाद किस तरह उन्हें परेशान किया जा रहा है या झूठे मुक़दमे में फंसाकर उनका मानसिक और आर्थिक शोषण किया जा रहा है। यह एक गंभीर मामला है और आरटीआई क़ानून के अस्तित्व में आने के तुरंत बाद से ही इस तरह की घटनाएं सामने आती रही हैं। आवेदकों को धमकियां दी गईं, जेल भेजा गया। यहां तक कि कई आरटीआई कार्यकर्ताओं पर कातिलाना हमले भी हुए।
सूचना के बदले कितना शुल्क
Posted on 30 Oct, 2010 10:12 AM सूचना का अधिकार क़ानून के तहत जब आप कोई सूचना मांगते हैं तो कई बार आपसे सूचना के बदले पैसा मांगा जाता है। आपसे कहा जाता है कि अमुक सूचना इतने पन्नों की है और प्रति पेज की फोटोकॉपी शुल्क के हिसाब से अमुक राशि जमा कराएं। कई ऐसे मामले भी सामने आए हैं जिसमें लोक सूचना अधिकारी ने आवेदक से सूचना के बदले 70 लाख रुपये तक जमा कराने को कहा है। कई बार तो यह भी कहा जाता है कि अमुक सूचना काफी बड़ी है और इसे एकत्र करने के लिए एक या दो कर्मचारी को एक सप्ताह तक काम करना पड़ेगा, इसलिए उक्त कर्मचारी के एक सप्ताह का वेतन आपको देना होगा। ज़ाहिर है, सूचना न देने के लिए सरकारी बाबू इस तरह का हथकंडा अपनाते हैं।
जैविक खेती में देशी प्रजाति को बढ़ावा मिलाः मुकेश गुप्ता
Posted on 30 Oct, 2010 10:03 AM


मुकेश गुप्ता मोरारका फाउंडेशन के कार्यकारी निदेशक होने के साथ-साथ जैविक खेती के विशेषज्ञ भी हैं। चौथी दुनिया संवाददाता शशि शेखर ने नवलगढ़ यात्रा के दौरान मुकेश गुप्ता से जैविक खेती के विभिन्न पहलुओं पर बातचीत की। मसलन, किसानों को अपनी जैविक उपज के लिए बाज़ार कैसे मिले? कृषि के लिए जैविक खेती कैसे वरदान साबित हो रहा है? पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:

 

सूचना अधिकार क़ानून: भ्रांतियां और निवारण
Posted on 30 Oct, 2010 09:47 AM
भारत में सूचना अधिकार क़ानून (आरटीआई एक्ट) को लागू हुए पांच साल पूरा हो चुका है, लेकिन आम जनता और सरकारी अधिकारी अभी भी इस क़ानून के कई पहलुओं से अनभिज्ञ हैं। यह अनभिज्ञता दायर की गई अपीलों और लोकसेवकों द्वारा उनके जवाबों को देखकर स्पष्ट हो जाती है। कई बार ऐसी अपीलें दायर की जाती हैं, जिनके पीछे दायर करने वालों के निजी स्वार्थ छुपे होते हैं। राजनीतिक पार्टियां कई बार अधिकारियों से अपनी खुन्न
ऐसे बनाएं आरटीआई आवेदन…
Posted on 30 Oct, 2010 09:38 AM पिछले अंक में हमने आपको बताया था कि आरटीआई के इस्तेमाल में आने वाली द़िक्क़तों से कैसे निपटा जा सकता है। इस अंक से हम लगातार आरटीआई आवेदन का एक प्रारूप प्रकाशित करेंगे, ताकि आप अपना आरटीआई आवेदन ख़ुद तैयार कर सकें। इसी कड़ी में इस बार का आवेदन नरेगा से संबंधित है। यह आवेदन नरेगा में हो रही (अगर ऐसा है तो) धांधली को सामने लाने या जॉब कार्ड बनवाने में मददगार साबित हो सकता है। हम अपने सुधी पाठकों से यह अपेक्षा करते हैं कि वे गांव-देहात में रहने वाले लोगों को भी इस कॉलम के बारे में बताएंगे और इसमें दिए गए आरटीआई आवेदन के प्रारूप को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाएंगे।
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वनाधिकार
Posted on 29 Oct, 2010 10:03 AM

• साल २००६ के १३ दिसंबर को लोकसभा ने ध्वनि मत से अनुसूचित जाति एवम् अन्य परंपरागत वनवासी(वनाधिकार की मान्यता) विधेयक(२००५) को पारित किया। इसका उद्देश्य वनसंपदा और वनभूमि पर अनुसूचित जाति तथा अन्य परंपरागत वनवासियों को अधिकार देना है।

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सूचना का अधिकार
Posted on 29 Oct, 2010 09:52 AM सूचना के अधिकार पर केंद्रित योजना आयोग को विजन फाऊंडेशन द्वारा सौंपे गए दस्तावेज(२००५) के अनुसार- • संविधान के अनुच्छेद १९ में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार की रक्षा में कहा गया है-भारत के सभी नागरिकों को अभिव्यक्ति और अभिभाषण की स्वतंत्रता का अधिकार प्राप्त है।
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