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..तो महासागरों में खत्म हो जाएगा जीवन
Posted on 03 Nov, 2010 10:52 AM

धरती को आपकी जरूरत है, इसे बचाएँ

ग्लोबल वॉर्मिंग से बढ़ते 'समुद्री रेगिस्तान'
Posted on 03 Nov, 2010 10:38 AM
ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ते दुष्प्रभावों से अब धरती का कोई भाग अछूता नहीं है। कहीं गरमी से पिघलते ग्लेशियर, अतिवृष्टि से डूबती तो कभी सूखे से तिड़कती जमीन से लेकर समुद्र भी अब बदलती जलवायु के कहर से कराह रहे हैं।

ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण नुकसान सिर्फ जमीन पर ही नहीं बल्कि महासागरों पर भी होने लगा है। हवाई यूनिवर्सिटी और अमेरिका के नेशनल मरीन फिशरीज सर्विस द्वारा समुद्री पारिस्थिकीय तंत्र पर प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चला है
Glacier
हमारे लिए पीने का पानी बचेगा क्या!
Posted on 03 Nov, 2010 10:25 AM


सालों साल इस धरती पर मीठा पानी बना और अब इसके ख़त्म होने का खतरा पैदा होने लगा है। क्योंकि इसका इस्तेमाल बहुत तेजी से हो रहा है। पूरी धरती पर ढाई फ़ीसदी पानी पीने का है। यही नहीं जो पानी बचा है उसे भी हम गंदा कर रहे हैं।

दम तोड़ती दुनिया की बड़ी नदियां
Posted on 03 Nov, 2010 10:12 AM


दुनिया के बहुत से बड़े शहर नदियों के किनारे ही आबाद है। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि साफ और ताजा पानी जीवन के लिए सबसे जरूरी तत्वों में से एक है। लेकिन नदियों का यही गुण उनके विनाश का कारण बन रहा है।

नदियों पर टेढ़ी होती मौसम की नजर
Posted on 03 Nov, 2010 08:58 AM


एशिया में जल स्तर तेज़ी से असंतुलित हो रहा है। कई रिपोर्टों में कहा गया है कि जलवायु परिवर्तन से आने वाले वर्षों में भारत में कई नदियां सूखे मैदान में तब्दील हो सकती हैं। संकट के लक्षण दिखने लगे हैं।

पानी महँगा, जहर सस्ता
Posted on 02 Nov, 2010 12:33 PM उदारवादी अर्थव्यवस्था में पले-बढ़े आधुनिक शिक्षित युवाओं के इस सवाल का जवाब शायद सरकार के पास नहीं है कि केवल भारत देश में पानी को अमृत क्यों कहा जाता है ? अब तेल, गैस, परमाणु ऊर्जा को वरदान क्यों नहीं माना जाता।दिल्ली सरकार अब एक बूँद पानी भी मुफ्त में नहीं देगी। देश इतनी तरक्की कर गया। परमाणु बम के टॉप क्लब का सदस्य बन गया। हवाई जहाज इंद्रप्रस्थ के आकाश से नीचे उतरने के लिए इंतजार करते रहते हैं। जनता के चुनिंदा प्रतिनिधियों और मंत्रियों के पास कारें ही नहीं, अपने हवाई जहाज हैं।

बड़े नेताओं को जेबी कम्प्यूटर से देश-दुनिया की जानकारी पल-पल मिलती रहती है। जनता के लिए पेरिस-बर्लिन की तरह मेट्रो ला दी गई।
एक भोपाल है, एक है मेक्सिको की खाड़ी
Posted on 02 Nov, 2010 12:16 PM अमेरिका में किसी भारतीय कंपनी की फैक्टरी में भोपाल गैस कांड सरीखी तबाही हुई होती, तो क्या अमेरिकी सरकार उस कंपनी और उसके लोगों को ऐसे ही छोड़ देती? क्या तब कानूनी प्रक्रिया के छेद से कोई भारतीय कंपनी निरापद बाहर निकल सकती थी क्योंकि वहाँ तो किसी अमेरिकी कंपनी को भी नहीं छोड़ा जाता। इसका प्रमाण है मेक्सिको की खाड़ी में बी.पी. तेल रिसाव को लेकर अमेरिकी सरकार की पहल।
ग्लोबल वॉर्मिंग का बढ़ता असर
Posted on 02 Nov, 2010 09:51 AM

पिघलती बर्फ से तापमान में वृद्धि

जर्मन मौसम विभाग (डीडब्ल्यूडी) द्वारा इस साल का अप्रैल महीना 1820 से अब तक का सबसे गर्म अप्रैल माह दर्ज किया गया है। डीडब्ल्यूडी ने यह भी रिपोर्ट की है कि बीते साल की गर्मियाँ अपेक्षाकृत गरम रही हैं और तापमान औसतन 8.3 के बजाय 9.2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा है। तापमान में होती इस बढोतरी के चलते इस धारणा को भी बल मिला है कि ग्लोबल वॉर्मिंग अनुमान से ज्यादा औ

सूचना के अधिकार का ऑनलाइन करें अपील या शिकायत (How to file RTI Online Appeal or Complaint)
Posted on 30 Oct, 2010 10:53 AM

क्या लोक सूचना अधिकारी ने आपको जवाब नहीं दिया या दिया भी तो ग़लत और आधा-अधूरा? क्या प्रथम अपीलीय अधिकारी ने भी आपकी बात नहीं सुनी?

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