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भारत
प्राकृतिक आपदायें - एक सिंहावलोकन
Posted on 15 Jul, 2023 03:15 PMभागीरथी और ब्रहमपुत्र नदियों में न जाने कहां से इतना पानी आया कि देखते ही देखते उत्तर प्रदेश, बिहार, बंगाल, असम, का बड़ा भू -भाग जल मग्न हो गया । ऐसा अथाह जल न देखा ना सुना। कालाहांडी का जल कहां चला गया ?
![प्राकृतिक आपदायें - एक सिंहावलोकन,फोटो क्रेडिट:- IWPFlicker](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A5%83%E0%A4%A4%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%86%E0%A4%AA%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%AF%E0%A5%87%E0%A4%82%20.png?itok=Wj0kWT2W)
संस्थाएं, आर्द्राभूमियां और अन्य खुले जल मत्स्यपालन प्रबंधन में समुदाय की भागीदारी
Posted on 14 Jul, 2023 03:02 PMभारत में अंतर्देशीय खुले जल के विभिन्न स्वरूप हैं। इनमें शामिल हैं ( नदियां 2900 कि.मी.), जलाशय (31.5 लाख है.), जलप्लावन आर्द्रभूमि ( 3.54 लाख है.) कच्छ - वनस्पति ( 3.56 लाख है), नदीमुख ( 3.0 लाख है. ), नदीमुख आर्द्रभूमि (भेरी–39600 है.
![मत्स्यपालन प्रबंधन में समुदाय की भागीदारी,फोटो क्रेडिट: - WIKIPEDIA](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/%E0%A4%9C%E0%A4%B2%20%E0%A4%AE%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%AF%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%A8.png?itok=yPPP_8Yo)
सरदार सरोवर जलाशय में गाद का प्रबंधन
Posted on 12 Jul, 2023 03:39 PMसारांश
नर्मदा नदी पर निर्माणाधीन सरदार सरोवर बांध भारत के बड़े बांधों में से एक है। इस बांध का निर्माण, नर्मदा जल विवाद न्यायाधिकरण वर्ष 1979 के उस निर्णय के उपरान्त शुरू हुआ जिसके द्वारा नर्मदा जल का बटवारा किया गया है। वर्ष 1980 में परियोजना की रूपांकन सम्बन्धी घटकों को अंतिम रूप दिया गया। अब उसके बाद की अवधि के निस्सारण / गाद (सिल्ट ) के आंकड़े भी उपलब्ध है
![सरदार सरोवर जलाशय,फोटो क्रेडिट-विकिपीडिया](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%B0%20%E0%A4%B8%E0%A4%B0%E0%A5%8B%E0%A4%B5%E0%A4%B0%20%E0%A4%9C%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%B6%E0%A4%AF.png?itok=108bxPgF)
लोक भारती, प्रशासन एवं समाज की संयुक्त पहल निरंतर गतिमान मंदाकिनी नदी पुनर्जीवन अभियान
Posted on 12 Jul, 2023 01:29 PMसरकारी तंत्र प्रतिवर्ष वृक्षारोपण अभियान आयोजित करता है। इस कार्यक्रम के पीछे भाव अच्छा है परंतु धरती पर हरियाली फैलने से अधिक ये आंकड़ों का खेल बनकर रह गया है। हमें अपने लिए स्वच्छ वायु चाहिए, हमारे ही द्वारा उत्सर्जित प्रदूषण का निराकरण चाहिए, वातावरण के बढ़ रहे तापमान पर नियंत्रण चाहिए, वर्षा जल का भू संचयन चाहिए, वायुमंडल की आद्रता में वृद्धि चाहिए, वर्षा के लिए अनुकूल वातावरण चाहिए, जैव व
![लोक भारती, प्रशासन एवं समाज की संयुक्त पहल निरंतर गतिमान मंदाकिनी नदी पुनर्जीवन अभियान,फोटो क्रेडिट:- लोक सम्मान](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/%E0%A4%AE%E0%A4%82%E0%A4%A6%E0%A4%BE%E0%A4%95%E0%A4%BF%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%A8%E0%A4%A6%E0%A5%80%20%E0%A4%AA%E0%A5%81%E0%A4%A8%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%9C%E0%A5%80%E0%A4%B5%E0%A4%A8%20%E0%A4%85%E0%A4%AD%E0%A4%BF%E0%A4%AF%E0%A4%BE%E0%A4%A8.jpg?itok=-NzLJK-n)
वैकल्पिक न हो, अमृतरूपी वर्षाजल शेष रहने के लिए पात्र एवं पात्रता की आवश्यकता
Posted on 12 Jul, 2023 01:09 PMइस वर्ष बिपरजोय तूफान के कारण देश में मानसून के आगमन में विलंब भले ही हुआ, लेकिन अच्छी बात यह है कि धीरे-धीरे मानसूनी बारिश ने देश के सभी हिस्सों को सराबोर करना आरंभ कर दिया है। हालांकि बारिश के कारण असम, गुजरात एवं राजस्थान समेत देश के कई क्षेत्रों में जलभराव और बाढ़ की स्थिति दिखने लगी है, लेकिन इसका दोष हम प्रकृति पर नहीं मढ़ सकते। बल्कि इस दशा के लिए हमें अपनी उन गलतियों को सुधारना होगा जिस
![वर्षा जल संरक्षण, फोटो क्रेडिट:- IWP Flicker](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/%20%E0%A4%AE%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%82%E0%A4%A8%E0%A5%80%20%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%B6%20.png?itok=V9UjzYOq)
किसान, उपभोक्ता एवं पर्यावरण हितैषी प्राकृतिक कृषि
Posted on 12 Jul, 2023 12:08 PMऔद्योगिक क्रांति से पहले रासायनिक खेती और उससे भी अधिक खतरनाक जैविक खेती का उद्गम ही नहीं हुआ था। परम्परागत गोबर खाद पर आधारित खेती थी । प्लास्टिक नहीं था, औद्योगीकरण नहीं था। रसायन निर्माण के कारखाने नहीं थे। वैश्विक तापमान बढ़ने का कोई संकट भी नहीं था। नदियों में कोई भी प्रदूषण नहीं था, उनका पानी पवित्र था। बचपन में हम गांव में खेत में काम करते समय पड़ोस में बहती नदी का पानी पीते थे, लेकिन हम
![जैविक खेती,फोटो क्रेडिट- लोक सम्मान](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/%E0%A4%9C%E0%A5%88%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%96%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%80.png?itok=7M8eV_LV)
मानसून सत्र की शुरुआत में आफत की बारिश, जलवायु परिवर्तन के कारण
Posted on 11 Jul, 2023 02:09 PMबारिश की आमद गर्मी से राहत देने के लिए जानी जाती थी। मगर अब, यह राहत बन रही है आफत। भारत में चरम मौसम की घटनाओं में वृद्धि का पैमाना हर गुजरते साल के साथ नई ऊंचाई छू रहा है। साल 2023 की शुरुआत अगर सर्दी की जगह अधिक गर्मी के साथ हुई, तो फरवरी में तापमान ने 123 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया। आगे पूर्वी और मध्य भारत में अप्रैल और जून में उमस भरी गर्मी की संभावना जलवायु परिवर्तन के कारण 30 गुना अधिक
![मानसून सत्र की शुरुआत में आफत की बारिश, जलवायु परिवर्तन के कारण,फोटो क्रेडिट:-IWP Flicker](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/climate%20change.png?itok=wKVad2Yw)
दरवाजे तक पहुंचा जलवायु परिवर्तन का प्रभाव अब सिर्फ बात करने से नहीं बनेगी बात
Posted on 10 Jul, 2023 12:56 PMकुछ माह पहले तक जोशीमठ के धंसते जाने की खबर देशव्यापी चर्चा का विषय थी, अब न्यूयॉर्क के निरंतर धंसते जाने की खबर विश्वव्यापी चर्चा का विषय है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि न्यूयॉर्क शहर धीरे-धीरे डूब रहा है और इसकी गगनचुंबी इमारतें इसे नीचे ला रही हैं। न्यूयॉर्क की ऊंची और लंबी इमारतें आसपास के पानी स्त्रोतों के पास वसती जा रही हैं। इस प्रक्रिया को अवतलन कहा जाता है। न्यूयॉर्क में स्थित 10 ला
![दरवाजे तक पहुंचा जलवायु परिवर्तन का प्रभाव,फोटो क्रेडिट:-IWP Flicker](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/Jalvayu%20parivartan.png?itok=Ptw9oQNO)
मृदा उर्वरता संबंधी बाधाएं एवं उनका प्रबंधन
Posted on 08 Jul, 2023 03:07 PMपरिचय
भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां संसार के भौगोलिक क्षेत्रफल का लगभग 2-4 प्रतिशत और जल संसाधनो का लगभग 4 प्रतिशत भाग उपलब्ध है। देश में भौगोलिक मानव आबादी का 17 प्रतिशत तथा पशु आबादी का 15 प्रतिशत भाग उपलब्ध है। यहा की 50 प्रतिशत से भी अधिक जनसंख्या खेती पर ही निर्भर है। देश में कृषि व्यवसाय उद्योगों के लिए कच्चे माल का एक प्रमुख स्रोत है। वर्ष 2011-12 क
![मृदा उर्वरता संबंधी बाधाएं एवं उनका प्रबंधन,फोटो क्रेडिट:- IWP Flicker](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/%E0%A4%AE%E0%A5%83%E0%A4%A6%E0%A4%BE%20%E0%A4%89%E0%A4%B0%E0%A5%8D%E0%A4%B5%E0%A4%B0%E0%A4%A4%E0%A4%BE%20%E0%A4%B8%E0%A4%82%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A5%80%20%E0%A4%AC%E0%A4%BE%E0%A4%A7%E0%A4%BE%E0%A4%8F%E0%A4%82%20%E0%A4%8F%E0%A4%B5%E0%A4%82%20%E0%A4%89%E0%A4%A8%E0%A4%95%E0%A4%BE%20%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%AC%E0%A4%82%E0%A4%A7%E0%A4%A8.png?itok=HbS6zCih)
दक्षिण भारत के अर्द्ध शुष्क क्षेत्र में पारम्परिक तालाबों पर जल ग्रहण विकास कार्यक्रम का प्रभाव: एक समीक्षा
Posted on 07 Jul, 2023 01:57 PMसारांश
भारत एक कृषि प्रधान देश है जिसकी 75 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या गांवों में रहती है। इन लोगों की जरी जावश्यकताओं को पूरा करने के लिये जल संसाधनों का सही तरीके से पूरा विकास किया जाना चाहिये जन संसाधनों के सही तरीके से पूरा विकास किया जाना चाहिए। जल संसाधनों के विकास में उस क्षेत्र की भौगोलिक स्थिति, मौसम तंत्र, मृदा, वनस्पति व अन्यः जरूरतों को ध्यान में र
![दक्षिण भारत के अर्द्ध शुष्क क्षेत्र में पारम्परिक तालाबों पर जल ग्रहण विकास कार्यक्रम का प्रभाव,फोटो क्रेडिट: विकिपीडिया](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2023-07/%E0%A4%A6%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A4%BF%E0%A4%A3%20%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4%20%3B%E0%A4%AA%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%AE%E0%A5%8D%E0%A4%AA%E0%A4%B0%E0%A4%BF%E0%A4%95%20%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B2%E0%A4%BE%E0%A4%AC%E0%A5%8B%E0%A4%82%20%E0%A4%AA%E0%A4%B0%20%E0%A4%9C%E0%A4%B2%20%E0%A4%97%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B9%E0%A4%A3%20.png?itok=_q6aeyS9)