जल ही जीवन है, जल के बिना मानव का जीवन सुरक्षित नहीं रह सकता है। जल हमारे लिए ही नहीं अपितु पशु-पक्षी, जीव-जंतु, मनुष्य इत्यादि सबके लिए अनिवार्य है। जल का हमारे जीवन में बहुत अधिक महत्त्व है। एक कहावत है "जल है तो कल है।" पृथ्वी का लगभग तीन-चौथाई भाग जल से घिरा हुआ है, किंतु इसमें से 97 प्रतिशत जल खारा है जो पीने योग्य नहीं है। पीने योग्य पानी मात्र 3 प्रतिशत है इसमें भी 2 प्रतिशत जल हिम एवं हिमनद के रूप में है। इस प्रकार वास्तव में मात्र 1 प्रतिशत पानी ही उपयोग हेतु उपलब्ध है। इसी के साथ-साथ नगरीकरण और औद्योगिकरण की तीव्रता व बढते प्रदूषण तथा जनसंख्या में लगातार वृद्धि के साथ प्रत्येक व्यक्ति के लिए पेयजल की उपलब्धता सुनिश्चित करना एक बड़ी चुनौती है। जैसे-जैसे गर्मी बढ़ रही है देश के कई बड़े हिस्सों में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर रही है। अतः जीवन की रक्षा करने वाला जल, जल के अत्यधिक दोहन के कारण खुद अपने ही जीवन के लिए तरस रहा है। सुख-सुविधाओं में ग्रस्त लोगों ने जल का इतना दोहन किया है कि उन्होनें जल को मलिन बना दिया है अर्थात् जिसके कारण चारों तरफ त्राहि-त्राहि मची हुई प्रतीत होती है।
भूगर्भ में जल का स्तर निरंतर घटता जा रहा है, वहीं प्रदूषण के कारण भूमंडलीय ताप में निरंतर वृद्धि हो रही है और इसके साथ-साथ हिमनद भी पिघल रहे हैं। यह परिस्थिति भविष्य के लिए बहुत बड़े जल संकट की और इशारा कर रही है। उदाहरण के तौर पर वर्ष 2016 में महाराष्ट्र में सूखा पीड़ित किसानों की समस्याओं के अलावा कई हिस्सों में लोगों के लिए पीने का पानी मिलना भी दूभर हो गया। इसे लेकर हिंसा और विवाद की घटनाएं इतनी गंभीर हो गईं कि सूखाग्रस्त लातूर जिले के कलेक्टर पांडुरंग पोल' को इलाके में धारा 144 लगानी पड़ी। कलेक्टर द्वारा लातूर जिले में पानी की टंकियों के पास 5 से अधिक लोगों के एक साथ जमा होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया।
इसी के साथ-साथ अपार जलनिधि के स्वामी सागर के तट पर बसा चेन्नई शहर आज बूंद-बूंद पानी को तरस रहा है। 90 लाख की आबादी वाले देश के पाँच विशालतम महानगरों में से एक, चेन्नई में भूजल तथा झीलों के सभी स्रोत सूख चुके हैं। विगत 30 वर्ष में सर्वाधिक भयानक जल संकट से जूझ रहे इस शहर के बच्चों के स्कूल बैग में किताबों से ज्यादा पानी की बोतलों का बोझ देखा गया है। अधिक पानी का उपयोग करने वाले व्यवसाय बंद होने के कगार पर हैं। वहीं सरकारी और निजी संस्थानों के कर्मचारियों से अपना पीने का पानी अपने साथ लाने को कहा जा रहा है। इसी के साथ घरेलू जल आपूर्ति के साधन नलों में आपूर्ति हेतु 10 प्रतिशत पानी ही बचा है, अर्थात् वर्तमान समय में पानी की समस्या ने विकराल रूप धारण कर लिया। भारत में जल उपलब्धता व उपयोग के कुछ तथ्यों पर विचार करें तो भारत में वैश्विक स्वच्छ जल स्रोत का मात्र 3 प्रतिशत मौजूद है, जिससे वैश्विक जनसंख्या के 18 प्रतिशत भारतीय आबादी के हिस्से को जल उपलब्ध कराना होता है। आंकड़ों के अनुसार लगातार दो साल के कमजोर मानसून के कारण देश भर में लगभग 330 मिलियन लोग (देश की एक चौथाई आबादी), गंभीर सूखे के कारण प्रभावित हुए हैं।
नीति आयोग द्वारा वर्ष 2018 में जारी कम्पोजिट वाटर मैनेजमेंट इंडेक्स रिपोर्ट में बताया गया है कि "देश भर के लगभग 21 प्रमुख शहर दिल्ली, बंगलुरू, चेन्नई, हैदराबाद और अन्य वर्ष 2020 तक शून्य भूजल स्तर तक पहुँच जाएंगे एवं इसके कारण लगभग 100 मिलियन लोग प्रभावित होंगे। साथ ही रिपोर्ट में कहा गया हैं कि वर्ष 2030 तक भारत में जल की मांग उसकी पूर्ति से लगभग दोगुनी हो जाएगी। आँकड़े दर्शाते हैं कि भारत के शहरी क्षेत्रों में 970 लाख लोगों को पीने का साफ पानी नहीं मिलता है जबकि देश के ग्रामीण इलाकों में तकरीबन 70 प्रतिशत लोग प्रदूषित पानी पीने और 33 करोड़ लोग सूखे वाली जगहों में रहने को मजबूर हैं। यदि देश की राजधानी दिल्ली की बात करें तो देश की राजधानी में भी पानी की बड़ी समस्या है क्योंकि भारतीय मानक ब्यूरो द्वारा जारी एक हालिया रिपोर्ट में सामने आया था कि दिल्ली जल बोर्ड द्वारा सप्लाई किया जाने वाला पानी मानकों पर खरा नहीं उतरता है, और पीने योग्य नहीं है। भारत में तकरीबन 70 प्रतिशत जल प्रदूषित है, जिसकी वजह से जल गुणवत्ता सूचकांक में भारत 122 देशों में 120वें स्थान पर था।"
वर्तमान समय में देश में तालाबों पर अवैध कब्जा कर उन पर घर बनाना एवं कृषि जैसे अनेक कार्य किए जा रहे हैं, जिससे तालाब अपने मूल स्वरूप को खो चुके हैं। हमारे देश में तालाबों की संख्या काफी कम होती जा रही है इसलिए वर्षा जल का पर्याप्त संरक्षण न होने के कारण भूमिगत जल का स्तर काफी कम होता जा रहा है इसलिए प्रधानमंत्री श्रीमान नरेंद्र मोदी जी द्वारा 24 अप्रैल 2022 को राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के अवसर पर देश के प्रत्येक जिले में 75-75 तालाबों के निर्माण के लिए अमृत सरोवर योजना शुरू करने की घोषणा की गई है। अमृत सरोवर रचनात्मक कार्यों का प्रतीक है जो कि आजादी के अमृत महोत्सव को समर्पित है। अमृत सरोवर योजना के माध्यम से देश भर में तालाबों को फिर से पुनर्जीवित एवं कायाकल्पित किया जाएगा। जिसका उद्देश्य भविष्य के लिए पानी का संरक्षण करना है। भारत सरकार के द्वारा 15 अगस्त 2022 को पूरे देश में 50,000 अमृत सरोवर तालाब बनाने का लक्ष्य तय किया गया था। इस काम के लिए राज्य की जगहों को चिन्हित कर लिया गया।
‘पानी की उपलब्धता और पानी की किल्लत किसी भी देश की प्रगति और गति को निर्धारित करती हैं। हमारे ग्रंथों में स्पष्ट रूप
से कहा गया है कि पानीयं परमं लोके जीवानां जीवन समृतम् । अर्थात् संसार में जल हर एक जीव के जीवन का आधार है। जल ही सबसे बड़ा संसाधन भी है। आजादी के अमृत महोत्सव में हम जल संरक्षण और जीवन संरक्षण का संकल्प लें।'
(नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री (24 अप्रैल को मन की बात कार्यक्रम में)
अमृत सरोवर मिशन (योजना) क्या है?
जैसा कि हम जानते है कि हमारे पूरे भारत देश में भीषण गर्मी के समय समस्त क्षेत्रों में खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जल की काफी ज्यादा भीषण समस्या हो जाती है, और जल स्तर में काफी ज्यादा गिरावट हो जाती है। जिसके कारण ग्रामीणों को जल का पर्याप्त भंडार न मिल पाने के कारण उन्हें समस्या का सामना करना पड़ता है मिशन अमृत सरोवर का उद्देश्य देश के प्रत्येक जिले में कम से कम 75 तालाबों का निर्माण या विकास करना है अमृत सरोवर मिशन के हिस्से के रूप में, प्रत्येक तालाब में कम से कम 1 एकड़ का जल क्षेत्र होगा जिसमें लगभग 10,000 घनमीटर तक की जल धारण क्षमता होगी।
अमृत सरोवर मिशन में शामिल लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए सभी ग्रामीण जिलों को, हर जिले में कम से कम 75 तालाब, कुल मिलकर देश भर में लगभग 50,000 अमृत सरोवरों को विकसित करने का निर्देश दिया गया है। किसानों की आय बढ़ाने और जल संरक्षण को बढ़ावा देने के लिए केंद्र सरकार द्वारा अमृत सरोवर योजना की शुरुआत की गई है। अमृत सरोवर योजना के माध्यम से किसानों को 50 हजार तालाब दिये जाएंगे ताकि इन तालाबों में जल संग्रह हो सकें और संग्रहित जल का उपयोग किसान सिंचाई एवं मछली पालन के लिए कर सके। इसके अलावा किसान मछली पालन के साथ-साथ आय बढ़ाने के लिए जलीय खेती भी कर सकें।
अमृत सरोवर योजना के उद्देश्य
अमृत सरोवर योजना का मुख्य उद्देश्य जल की बर्बादी को रोककर उसका बेहतर तरीके से उपयोग करना है।
इस योजना के उद्देश्य निम्नलिखित हैं.
- देश में जल संग्रहण को बढ़ावा देना और भू-जल स्तर को बढ़ाना।
- किसानों की सिंचाई से सम्बंधित समस्याओं को हल करना।
- किसान की फसल की पैदावार में बढ़ोतरी करना।
- किसानों की आय बढ़ाना।
- मछली पालन को प्रोत्साहित करना ।
अमृत सरोवर योजना की जरुरत क्यों है?
जल ही जीवन है, जल से ही मानव, पशु पक्षियों एवं हमारी दैनिक जरूरतों का बहुत सारा हिस्सा पूर्ण हो पाता है, कहा गया है पानी पृथ्वी का खून होता है, इसे यूं ही न बहाएं, ज्यादा से ज्यादा जल संरक्षण की ओर हम बढ़ें ताकि हमारी आने वाली पीढ़ी भी जल का उपयोग कर पाऐ। लेकिन आज के इस दौर में इंसान की आवश्यकताएं इतनी बढ़ चुकी है कि अंधाधुंध तरीके से भूमिगत मीठे जल का दोहन हो रहा है और उस जल से सिंचाई की जा रही है। जल की जरूरत को देखते हुए जरूरी है कि किसानों को सिंचाई के मामले में भी आत्मनिर्भर बनाया जाए। सिर्फ सिंचाई ही नहीं, कृषि के दूसरे साधनों को विकसित कर किसानों की आय में भी बढ़ोत्तरी की जाये। चूंकि वर्षा जल का एक प्रमुख स्रोत है, देश में वर्षा से हमें हर साल करोड़ों लीटर पानी मिलता है, लेकिन जल का समुचित संचयन न होने की वजह से इस पानी का ज्यादातर हिस्सा बर्बाद हो जाता है, नदियों में मिल जाता है और फिर नदियों के माध्यम से समुद्र में जाकर पानी खारा हो जाता है और पीने योग्य नहीं रहता है इसलिए जरूरी है कि देश में हम मीठे जल के संग्रहण के लिए कदम उठाएं और इस कदम में किसान, सरकार के बड़े सहयोगी बन सकते हैं। यही वजह है कि केंद्र सरकार ने किसानों के लिए अमृत सरोवर मिशन की शुरुआत की है, ताकि देश के प्रत्येक जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवर बनाये जाएं।
कैसे किया जाएगा जल संरक्षण
आजादी की 75वीं वर्षगांठ में शुरू की गई इस योजना के तहत जल संरक्षण को बल दिये जाने के उद्देश्य से देश के प्रत्येक जिले में 75 तालाबों का निर्माण सुनिश्चित किया जाना है। बारिश के जल को तालाब में लाने की भी उपयुक्त व्यवस्था की जा रही है। खासकर नाला बनाकर इस कार्य को किया जा रहा है। तालाबों की सुरक्षा के लिए भी गांव के लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इस मिशन के तहत ना सिर्फ नए जल संग्रह को बल्कि पुराने तालाबों को भी पुनर्जीवित किया जाएगा। केंद्र सरकार का लक्ष्य था कि 15 अगस्त 2023 तक 50 हजार सरोवर देश को समर्पित करें।
तेजी से लक्ष्य हो रहा है पूरा
ग्रामीण विकास मंत्रालय की एक रिपोर्ट के मुताबिक अमृत सरोवर योजना देश में तेजी से काम कर रही है 11 महीने के अंदर ही कुल लक्ष्य का 80 प्रतिशत काम पूरा कर लिया गया है। सरकार योजना के समुचित क्रियान्वयन हेतु प्रतिबद्ध है। 54 हजार से भी ज्यादा बनाए गए उपभोक्ता समूह की वजह से योजना की दिशा सकारात्मक है, किसान तालाब में न सिर्फ मछली पालन बल्कि मखाने की खेती कमल की खेती, सिंघाड़े की खेती के अलावा बत्तख पालन से भी अपनी आय बढ़ा सकते हैं।
अमृत सरोवर योजना की मुख्य विशेषतायें (Main key Features)
अमृत सरोवर योजना की मुख्य विशेषताएं नीचे बताई गई हैं-
- इस योजना के माध्यम से ग्रामीण क्षेत्र में प्रत्येक जिले में 75 से अधिक अमृत सरोवर का निर्माण करवाया जाएगा।
- ग्रामीण क्षेत्रों में इन सरोवर के निर्माण से व्यवसाय में वृद्धि होगी ।
- इस योजना से कृषि हेतु जल, जीव पालन हेतु जल और गर्मी में जलीय जीव की जल की समस्या से छुटकारा मिल सकेगा।
- क्षेत्र के आस-पास सुंदरीकरण से पर्यटन में वृद्धि होगी।
- ग्रामीण विकास बढ़ सकेगा उसके साथ-साथ तालाब निर्माण के लिए मजदूरों को रोजगार भी उपलब्ध करवाया जा सकेगा।
- सभी सरोवर नीम, बरगद और पीपल के पेड़ से घिरे होंगे।
सभी अमृत सरोवर में ध्वजारोहण की व्यवस्था भी कराई जाएगी तथा स्वतंत्रता दिवस गणतंत्र दिवस के मौके पर ध्वजारोहण किया जायेगा। स्वतंत्रता सेनानियों, उनके परिवार और शहीदों के परिवार तथा पद्म पुरस्कार विजेता को एक अतिथि के रूप में बुलाया जाएगा।
तालाब में जल संचयित करके खेत की सिंचाई, बत्तख पालन, मत्स्य पालन और जल पर्यटन आदि अनेकों उद्देश्यों को पूर्ण करके उन्हें आजीविका सृजन का स्त्रोत बनाया जायेगा। इसके अलावा तालाब उस क्षेत्र में सामाजिक सभा स्थल के रूप में भी कार्य
करेगा। तालाब आजादी के 75वें अमृत महोत्सव को समर्पित है।
अमृत सरोवर मिशन में शामिल मंत्रालय-
अमृत सरोवर मिशन पूरे सरकारी दृष्टिकोण के साथ शुरू किया गया है जिसमें 6 मंत्रालय या विभाग शामिल हैं
- ग्रामीण विकास विभाग,
- भूमि संसाधन विभाग,
- पेय जल एवं स्वच्छता विभाग,
- जल संसाधन विभाग,
- पंचायतीराज मंत्रालय,
- वन पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय |
भास्कराचार्य राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुप्रयोग और भू सूचना विज्ञान संस्थान (BISAG&N) को मिशन के लिए तकनीकी भागीदार के रूप में नियुक्त किया गया।
अमृत सरोवर मिशन का कार्यान्वयन अमृत सरोवर के स्थल को विशेष ग्रामसभा द्वारा अनुमोदित किया जाएगा, जिसे पंचायत पार्टी निधि के रूप में जाना जायेगा जो अमृत सरोवर के विकास की निगरानी करेगा।
अमृत सरोवर मिशन में शामिल जन भागीदारी अमृत सरोवर मिशन इन प्रयासों को पूरा करने के लिए नागरिकों और गैर-सरकारी संसाधनों को जुटाने को प्रोत्साहित करेगा। अमृत सरोवर मिशन समुदाय की सामूहिक भावना को जागृत करने के उद्देश्य से शुरू की गयी एक पहल है। मिशन में लोगों की भागीदारी केंद्र बिंदु है। स्थानीय स्वतंत्रता सेनानियों एवं उनके परिवार के सदस्यों, शहीदों के परिवार के सदस्यों, पद्म पुरस्कार विजेता और स्थानीय क्षेत्र के नागरिकों को अमृत सरोवर के निर्माण स्थल पर सभी चरणों में शामिल किया जाएगा। 15 अगस्त एवं 26 जनवरी को प्रत्येक अमृत सरोवर स्थल पर राष्ट्रीय ध्वजारोहण का आयोजन किया जाएगा।
अमृत सरोवर योजना के तहत तालाबों की सुरक्षा के लिए ग्रामीणों को जागरूक किया जाएगा। अमृत सरोवर योजना का उद्देश्य तालाबों को पुनर्जीवित करना, उन्हें पर्यटन के लिए आकर्षक बनाना, उनका सौंदर्यीकरण करना, तालाब के चारों तरफ रोशनी की व्यवस्था करना. तालाब के चारों तरफ पेड़-पौधे लगाना एवं स्वच्छता कायम रखना है तथा लोगों को तालाबों के महत्व के प्रति जागरूक करना भी है।
देश का पहला 'अमृत सरोवर उत्तर प्रदेश के रामपुर जिले की तहसील शाहबाद की ग्राम पंचायत पटवाई में निर्मित किया गया। इस सरोवर का उद्घाटन 14 मई 2022 को हुआ उत्तर प्रदेश में 13246 झीलों या अमृत सरोवरों का निर्माण किया जा चुका है। प्रधानमंत्री मोदी के जल संरक्षण अभियान में उत्तर प्रदेश अग्रणी राज्यों में से है अमृत सरोवर योजना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी योजना है। उत्तर प्रदेश में ग्राम विकास विभाग इन सरोवर का विकास कर रहा है।
अमृत सरोवर योजना के लाभ
अमृत सरोवर योजना के लाभ की बात करें तो इससे किसानों का तीन तरीके से मुनाफा होगा। आज देश के ज्यादातर राज्यों में कृषि सिंचाई के लिए जल की कमी हो रही है। यही वजह है कि अमृत सरोवर योजना को तमिलनाडु, मध्यप्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, झारखण्ड, बिहार, ओडिशा, महाराष्ट्र आदि राज्यों में प्रमुखता से लागू किया जा रहा है। राजस्थान, तमिलनाडु और अन्य राज्यों में बढ़ते पानी के संकट को दूर करने के लिए जरूरी है कि इस तरह की योजनाएं कार्यान्वियत हों। गौरतलब है कि जल संसाधनों के अत्यधिक दोहन से किसानों के लिए खेती करना मुश्किल हो रहा है क्योंकि सिंचाई के लिए कई जगह पर पानी की भारी समस्या बन गई है।
नलकूपों में पानी की कमी हो रही है। लगातार घट रहे भूजल स्तर को बढ़ाने का यही तरीका है कि किसानों को वर्षा के जल को ज्यादा से ज्यादा संग्रहित करने के लिए प्रोत्साहित किया जाए। चूंकि तालाब निर्माण जल संग्रहण का एक बेहतरीन तरीका है इसलिए सरकार किसानों को तालाब निर्माण या पोखर निर्माण के लिए प्रोत्साहित कर रही है।
अतः यह कहा जा सकता है कि वर्तमान समाज में जल संचय एवं जल संरक्षण संबंधी जानकारी होने के बाद भी लोगों में जनचतेना समझदारी की कमी है। लोगों को जल संकट के बारे में तो जानकारी है, लेकिन जल संचय एवं उसके दोहन की उचित प्रवृत्ति नहीं है जो कि एक दयनीय परिस्थिति की ओर इशारा करती है अगर लोगों में जल संचय एवं जल संरक्षण के प्रति सतर्कता, सावधानी एवं अनुशासन की कमी रही तो एक दिन पेयजल के लिए बड़ी समस्या से गुजरना पड़ सकता है। जल संरक्षण से संबंधित समस्या के निदान के लिए यह कहना उचित होगा कि जनमानस को जल के अत्यधिक दोहन के प्रति अपने व्यवहार में परिवर्तन लाना चाहिए। वहीं सरकार, गैर सरकारी संगठनों एवं मीडिया द्वारा समय-समय पर चलाए जा रहे जल संरक्षण जागरूकता अभियानों को लोगों के बीच सफलतापूर्वक संचालित करना होगा, जिससे जनता इन अभियानों में सतर्कता एवं समझदारी की भावना के साथ अपना सहयोग दे सके।
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लेखक -डॉ. अशोक कुमार तिवारी
स्रोत-राष्ट्रीय जलविज्ञान संस्थान, रुड़की
प्रवाहिनी अंक 30 (2023)
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