भारत

Term Path Alias

/regions/india

आर्गेनिक खाद पर मिले ज्यादा सबसिडी
Posted on 09 Aug, 2011 02:49 PM

नई दिल्ली — पर्यावरण के क्षेत्र में कार्यरत अंतर्राष्ट्रीय संस्था ग्रीनपीस ने पारिस्थितिकी के अनुकूल खेती को बढ़ावा देने के लिए वर्ष 2011-12 के बजट में रासायनिक की बजाय आर्गेनिक खाद को सबसिडी बढ़ाने तथा स्वच्छ एवं अक्षय ऊर्जा में ज्यादा से ज्यादा राशि आबंटित करने की मांग की है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के साथ बजट पूर्व सलाह मशविरे में ग्रीनपीस ने सुझाव दिया है कि वित्तीय नीति निर्धारण

vermi compost
कृमि खाद
Posted on 09 Aug, 2011 01:32 PM

अपशिष्ट या कूड़ा-करकट का मतलब है इधर-उधर बिखरे हुए संसाधन। बड़ी संख्या में कार्बनिक पदार्थ कृषि गतिविधियों, डेयरी फार्म और पशुओं से प्राप्त होते हैं जिसे घर के बाहर एक कोने में जमा किया जाता है। जहाँ वह सड़-गल कर दुर्गंध फैलाता है। इस महत्वपूर्ण संसाधन को मूल्य आधारित तैयार माल के रूप में अर्थात् खाद के रूप में परिवर्तित कर उपयोग में लाया जा सकता है। कार्बनिक अपशिष्ट का खाद के रूप में परिवर्तन

केंचुआ खाद अपनाइए, कर्ज से मुक्ति पाइए
Posted on 09 Aug, 2011 01:02 PM

किसान इस देश के अन्नदाता हैं, किन्तु क्या वे सुखी एवं संपन्न हैं?

सब्सीडी का अनोखा खेल
Posted on 09 Aug, 2011 12:48 PM

वित्त मंत्री ने मन बनाया है कि कृषि सब्सीडी को लाभार्थी को सीधे नगद के रूप में दे दिया जाये। वित्त मंत्री के इस मन्तव्य का स्वागत किया जाना चाहिये। सरकार द्वारा डीजल, यूरिया, खाद्यान्न आदि पर सब्सीडी दी जा रही है। आम आदमी समझता है कि उसे राहत मिल रही है। परन्तु वास्तव में ऐसा नहीं होता है। सब्सीडी में दी गई रकम को वसूल करने के लिये सरकार जनता पर टैक्स लगाती है। ज्ञात हो कि यह भार अन्ततः

पर्यावरण बनाम विकास
Posted on 08 Aug, 2011 02:27 PM

इस तेजी से बदलती दुनिया के सामने आज जो कुछ महत्वपूर्ण चुनौतियां हैं उसमें पर्यावरणीय संकट सबसे महत्वपूर्ण है। इस समस्या ने मानवीय अस्तित्व को संकट में डाल दिया है। मौजूदा विकास की गति और स्वरूप ने पर्यावरणीय संसाधनों के ऊपर भारी दबाव डाला है। पर्यावरणीय संकट और अनिश्चितताओं के मद्देनजर दुनिया भर में जिस प्रकार के प्रयास किए जा रहे है उसमे ईमानदारी और समस्या के जड़ में जाने का घोर अभाव दिखता है।

एक सवारी भविष्य के लिए
Posted on 08 Aug, 2011 02:09 PM

पर्यावरण और सेहत के लिए फ़ायदेमंद साइकिल की सामुदायिक संस्कृति कई देशों में बहुत लोकप्रिय है लेकिन भारत में योजना बनने के बावजूद उस पर अमल होना कठिन लगता है। अगर शहरों में रहने वाले पांच प्रतिशत लोग भी रोजाना की भागदौड़ में साइकिल का इस्तेमाल करें तो साल में पांच हजार करोड़ रुपये का पेट्रोलियम बचाया जा सकता है और इस तरह तकरीबन 200 लाख टन ग्रीनहाउस गैसों का उत्सर्जन रोका जा सकता है।' यह केंद्रीय

साइकिल की सवारी पर्यावरण के लिए बेहतर
भारत में घटते संसाधन
Posted on 08 Aug, 2011 01:47 PM

द मिलेनियम प्रोजेक्ट की रिपोर्ट में भविष्य की चुनौतियों के लिहाज से भारत की स्थिति को विकासशील देशों में सबसे गंभीर माना जा रहा है। द मिलेनियम प्रोजेक्ट की रिपोर्ट में जिन समस्याओं को भारत के भविष्य के लिए सबसे गंभीर चुनौती माना गया है उनमें बढ़ती आबादी के कारण संसाधनों की कमी का संकट (जिसमें जल संकट प्रमुख है), आंतरिक अशांति, गरीबी-अमीरी की बढ़ती खाई का संकट और भ्रष्टाचार प्रमुख हैं। रिपोर्ट म

प्राकृतिक आपदा का प्रबंध कौशल
Posted on 08 Aug, 2011 01:22 PM

बरसात के दिनों में पर्वतीय क्षेत्रों में बढ़ते भू-स्खलनों के कारण कहीं तीर्थ-यात्रियों तो कहीं पर्यटकों के फंसने के समाचार मिलते ही रहते हैं। शासन-प्रशासन को पर्यटकों और तीर्थ-यात्रियों की चिंता तो होनी ही चाहिए, विशेषकर इस वजह से कि उनमें से अधिकांश पर्वतीय आपदाओं का सामना करने में अधिक सक्षम नहीं होते हैं और वे ऐसी अनजान जगह पर होते हैं जहां की भौगोलिक और सामाजिक स्थिति उनके अनुकूल नहीं होती

भूस्खलन
पृथ्वी की सेहत को जांचने का विज्ञान
Posted on 06 Aug, 2011 05:02 PM

अर्थसाइंस एक तरह से जियोलॉजी की ही अगली कड़ी है। इस कोर्स को बाजार की आवश्यकताओं को ध्यान में रख कर ही तैयार किया गया है, इसलिए इसमें जॉब के विभिन्न स्तरों पर अनेक संभावनाएं हैं। पृथ्वी के उद्गम, विकास और इसके अंदर और बाहर चलने वाली हलचलों को जानना खासा रोचक है। क्या अन्य ग्रहों पर कोई जीवन है? चन्द्रमा, मंगल, बृहस्पति और अन्य ग्रहों पर क्या संसाधन उपलब्ध हैं? इनमें क्या बदलाव आ रहे हैं?

जब पानी नहीं मिलेगा…
Posted on 05 Aug, 2011 11:33 AM

जब तक हम टिकाऊ विकास के मापदंडों-मिट्टी का स्वास्थ्य, जल उपलब्धता और जलवायु परिवर्तन के आधार पर

×