भारत

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बचत से ही बचेगा किसान
Posted on 17 Aug, 2011 04:37 PM

आजकल प्रधानमंत्री से लेकर पटवारी तक सभी खेती को लाभ का धंधा बनाने में जुटे हैं। ये पूरी श्रृंख

जमीनी प्रदूषण का आसमानी समाधान
Posted on 17 Aug, 2011 04:03 PM

विकसित देश अपने यहां कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के बजाए ऐसी तकनीक पर निवेश करना चाहते हैं, ज

हिमालय को बचाने की अंतर्राष्ट्रीय पहल
Posted on 16 Aug, 2011 11:03 AM

जलवायु परिवर्तन और प्रकृति के साथ बढ़ती छेड़छाड़ का जैव विविधता पर नकारात्मक असर पड़ा है। इंसान अपने फायदे के लिए एक तरफ जहां जंगलों का सफाया कर रहा है तो वहीं दूसरी तरफ उसने प्राकृतिक संपदा की लूटखसोट मचा रखी है, बगैर इस बात का ख्याल किए हुए कि इस पर अन्य जीवों का भी समान अधिकार है। बढ़ते मानवीय हस्तक्षेप ने पर्वतीय क्षेत्र के पारिस्थितिक तंत्र को भी गड़बड़ कर दिया है, जिससे यहां पाए जाने वाले

हिमालय अब संकट में
भूमंडल में भारत : जन-स्वास्थ्य के नजरिये से
Posted on 15 Aug, 2011 11:54 AM

जनांदोलनों के प्रखर नायक शैलेन्द्र शैली की संकलित रचनाओं पर एक किताब प्रकाशित हुई थी ‘भूमंडल में भारत’ जिसमें भूमंडलीकरण तथा हमारे देश पर रचनाएं शामिल थीं। यह शीर्षक ‘भूमंडल में भारत’ हमें प्रेरित करता है कि भूमंडलीकरण के आज के दौर में हमारा देश कहां तक पहुंचा है, इस पर विवेचना की जाए। हम अपने इस लेख में स्वास्थ्य के क्षेत्र में हमारे देश ने कितनी प्रगति की है इसका तुलनात्मक अध्यय

गंगा क्या सूख जाएगी
Posted on 15 Aug, 2011 12:47 AM

गंगा के बारे में आस्ट्रेलिया के 2डे एफएम रेडियो की एंकर काइली सैंडिलैंड्स का मानना है कि गंगा एक कचराघर बन चुकी है। पर हंगामे की डर से सिडनी शहर में स्थित 2डे एफएम रेडियो स्टेशन और काइली ने गंगा को कचराघर कहने के मामले में माफी मांग ली है। पर क्या काइली के वक्तव्य में कोई सच्चाई नहीं है? गंगा सचमुच नाले में नहीं तब्दील हो रही है? प्रभात खबर की एक रपट

भारत और गंगा नदी के बारे में एक ऑस्ट्रेलियाई रेडियो कार्यक्रम के प्रस्तुतकर्ता काइल सेंडीलैंड्स की टिप्पणियों से वहां रहने वाले भारतीय नाराज हैं. यह नाराजगी भारत तक पहुंच गयी है.लोगों का कहना है कि काइल ने हमारी पवित्र नदी गंगा और हिंदुओं का मजाक उड़ाया है. लेकिन थोड़ा ठहर कर सोचने पर यह एहसास होता है कि काइल के वक्तव्य में कुछ सच्चाई भी है. गंगा आज सचमुच नाले में तब्दील हो रही है. उसकी इस हालत के लिए हम खुद भी जिम्मेदार हैं.

गंगा भारत की प्रमुख नदी है. देश की एक चौथाई जल की आपूर्ति गंगा नदी से होती है. गंगा जात-पात, ऊंच-नीच और क्षेत्रवाद का भेदभाव नहीं करती है, सबको एक भाव से मिलती है. इसकी इन्हीं खूबियों की वजह से भारत सरकार ने इसे ‘राष्ट्रीय नदी’

कीटनाशक और रसायन
Posted on 14 Aug, 2011 06:10 PM

हिमालय और उत्तरप्रदेश के पहाड़ी इलाकों जहां अब तक इन रसायनों का उपयोग नहीं होता है, वहां इससे ह

कीटनाशक
कीटनाशकों के जहर का कसता शिकंजा?
Posted on 14 Aug, 2011 05:20 PM

भारत सरकार के कृषि विभाग द्वारा अभी हाल में जारी रिपोर्ट के अनुसार देश भर के विभिन्न हिस्सों में फल,सब्जियों,अण्डों और दूध में कीटनाशकों की उपस्थिति पर किए गए अध्ययन से स्पष्ट हुआ है कि इन सभी में इनकी न्यूनतम स्वीकृत मात्रा से काफी अधिक मात्रा पाई गई है।इस रिपोर्ट के अनुसार सत्र 2008 और 2009 के बीच देश के विभिन्न हिस्सों से एकत्र किए गए खाद्यान्न के नमूनों का अध्ययन देश के 20 प्रतिष्ठित प्रयोग

कीटनाशक से उजड़ती कृषि
चलें खेत की ओर
Posted on 14 Aug, 2011 04:37 PM

अब हम ग्रामीण युवाओं की बात करते हैं। यदि इन्हें बुद्धि व विज्ञान से कृषि कार्य सिखाया जाए तो यह अपनी 2-3 एकड़ जमीन से भी सम्मान पूर्वक जीवन जीने योग्य अपने को बना सकते हैं और हम सारी दुनिया का पेट भर सकते हैं। हम अपने देश को कृषि प्रधान देश कहते हैं, परन्तु इसका वास्तविक मतलब हमें मालूम ही नहीं है। विश्व में केवल 20 प्रतिशत जमीन पर खेती होती है। हमारे यहां 60 प्रतिशत भूमि पर खेती होती, जिसे आस

Agriculture
सब्जी में पौष्टिकता कम, पेस्टीसाइड ज्यादा
Posted on 14 Aug, 2011 10:48 AM

जिस जहर का बिकना ही प्रतिबंधित उसका भी खुलेआम छिड़काव

भुखमरी के दौर में खाद्यान्न सब्सिडी की हकीकत
Posted on 13 Aug, 2011 06:58 PM

खाद्य सुरक्षा की अवधारणा व्यक्ति के मूलभूत अधिकार को परिभाषित करती है। अपने जीवन के लिये हर किसी को निर्धारित पोषक तत्वों से परिपूर्ण भोजन की जरूरत होती है। महत्वपूर्ण यह भी है कि भोजन की जरूरत नियत समय पर पूरी हो। इसका एक पक्ष यह भी है कि आने वाले समय की अनिश्चितता को देखते हुये हमारे भण्डारों में पर्याप्त मात्रा में अनाज सुरक्षित हो, जिसे जरूरत पड़ने पर तत्काल जरूरतमंद लोगों तक सुव्यवस्थित तर

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