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हमारी स्कूली शिक्षा का हिस्सा बने आपदा प्रबंधन
Posted on 05 Sep, 2012 03:59 PM आपदा ज्यादातर मानवीय ही होती है। भूकंप, बाढ़ और अतिवृष्टि जैसी परिस्थितियों में प्राथमिक विद्यालय ही आश्रय बनते हैं। दूसरा बड़ा आश्रय पंचायत भवन होता है। ये दोनों ही आशिंक रूप से आश्रय के केंद्र होते हैं। ऐसी परिस्थिति में इनसे जुड़े कर्मचारी स्वतः ही स्वयंसेवक हो जाते हैं। जरूरी है कि हम अपने प्राथमिक स्कूलों के अध्यापक और पंचायत कर्मियों को आपदा प्रबंधन के गुर सिखाएं। साथ ही आपदा प्रबंधन हमार
Disaster management
स्वयंसेवी संगठनों की भूमिका
Posted on 01 Sep, 2012 11:59 AM स्वयंसेवा की अवधारणा से जुड़े हुए शब्द स्वयंसेवक एवं स्वयंसेवी संगठन वक्त के साथ-साथ विकसित हुए हैं। लेकिन इन शब्दों के विकास के पूर्व भी यह अवधारणा एक एहसास के रूप में जनमानस में विद्यमान थी। स्वयंसेवी भावना हमारे देश की काफी पुरानी एवं समृद्ध परंपरा रही है, जिसमें व्यक्तिगत एवं सामाजिक क्रियाकलाप सामूहिक हित में होते थे। यदि हम कल्पना करें उस समय की, जब लोगों को पढ़ाना-लिखना नहीं आता था और इस वि
राष्ट्रीय जलनीति-2012: लोकतंत्र पर तानाशाही की जीत
Posted on 01 Sep, 2012 10:18 AM

नए संशोधित मसौदे में पहले की तरह साफ शब्दों में तो नहीं लेकिन दबे स्वरों में और अप्रत्यक्ष रूप से निजीकरण की बात कही गई है। हालांकि यह कदम इस बात की राहत तो देता है कि अंधाधुंध अंतर्बेसिन हस्तांतरण नहीं होगा लेकिन दूसरी ओर यह विष भरा कनक घट ही साबित होगा क्योंकि यह उसी रिवर लिंकिंग परियोजना में एक पेबंद है जो लोगों को जड़ों से उखाड़ने पर आमादा है।

इंतजार खत्म हुआ और संशोधित राष्ट्रीय जलनीति - 2012 का सुधरा हुआ प्रारूप जारी हो गया है। इसी वर्ष जनवरी में जलनीति - 2012 का मसौदा आया था, जिसकी कई बातों पर विरोध जताया गया था। समाज के विभिन्न लोगों और संस्थाओं की ओर से आए करीब 600 सुझाव आए, जिन पर चालाकीपूर्वक विचार करने के बाद जल संसाधन मंत्रालय ने नए संशोधित मसौदे का प्रारूप तैयार किया है। राष्ट्रीय जलनीति का मुख्य उद्देश्य जल उपभोक्ताओं का निर्धारण और तद्नुरूप जल का वितरण करना है। मसौदे के अंतर्गत मुख्य रूप से दो क्षेत्रों पर कड़ा विरोध था, निजीकरण और जल प्रयोग की प्राथमिकता। हालांकि जुलाई में आए संशोधित मसौदे में सुधार के प्रयासों ने कुछ हद तक विरोध के स्वरों को शांत करने का प्रयास किया है फिर भी जो प्रयास हुए हैं वे नाकाफी हैं।
मनरेगा में लोकपाल की जरूरत
Posted on 31 Aug, 2012 10:46 AM

छत्तीसगढ़ में प्रचलित शिकायत करने एवं उसके निवारण की प्रक्रिया के तहत कोई भी व्यक्ति जिसे मनरेगा से संबंधित अधिक

ठीक नहीं, हिमनद पर हड़बड़ी
Posted on 31 Aug, 2012 10:16 AM

हिमनद में दरार आने से बर्फ के पहाड़ टूटते रहते हैं जिससे कई बार मुहाने में परिवर्तित हो जाता है। बर्फ की दरारों

धारा से ध्वस्त होती नागरिकता
Posted on 30 Aug, 2012 12:04 PM

मालदा के पंचानंदपुर और मुर्शिदाबाद के धुलियान कस्बों को कभी विकसित इलाका माना जाता था। लेकिन अब उनका अस्तित्व ही नहीं है। मालदा में 1980 से अब तक 4816 एकड़ जमीन नदी में समा चुकी है। मालदा जिले से 40 हजार परिवार विस्थापित हो चुके हैं। 1995 के बाद से 26 गांव पूरी तरह नष्ट हो चुके हैं। इन गांवों में स्थित 100 प्राइमरी स्कूलों और 15 हाईस्कूलों का अब कहीं पता नहीं।

नाम: मंजूर आलम। उम्रः 52 साल। पताः खटियाखाना चक (द्वीप), हमीदपुर। कहने को तो यह हमीदपुर पश्चिम बंगाल मालदा जिले में पड़ना चाहिए। लेकिन बीच गंगा में नदी के इस द्वीप का पता कुछ भी नहीं है। मंजूर आलम ने 1979 में इस द्वीप के जिस छोर पर अपना घर बनाया था, वह जगह अब 15 किलोमीटर दूर निकल गई है। अब तक चार बार विस्थापित होकर नया आशियाना जोड़ते-जोड़ते अपना पता भी खो बैठा है मंजूर आलम। मालदा जिले में कालियाचक थ्री ब्लॉक के हमीदपुर ग्राम पंचायत इलाके में मंजूर आलम जैसे लगभग दो लाख लोगों में से लगभग हरेक की दास्तान है- जाएं तो कहां जाएं। नौ साल पहले तक ये सभी लोग पश्चिम बंगाल के नागरिक थे। लेकिन गंगा नदी में कटान के चलते उनका मूल गांव कटकर झारखंड की सीमा से जा लगा था।
समुद्र का विज्ञान ओशॅनोग्राफी
Posted on 27 Aug, 2012 01:11 PM ओशॅनोग्राफी समुद्र के अनगिनत रहस्यों को समझने, पढ़ने, और शोध करने का बहुआयामी तरीका है। समुद्री पर्यावरण के क्षेत्र में अध्ययन तथा अनुसंधान करने वाले विद्यार्थियों के लिए ओशॅनोग्राफी करियर के रूप में उभरा है। समुद्र में आए दिन तुफानों और आपदा प्रबंधन योजनाओं के बढ़ते महत्व के कारण ओशॅनोग्राफी में विद्यार्थियों की रुची बढ़ती जा रही है। भारत में समुद्र की लम्बाई-चौड़ाई को देखते हुए ओशॅनोग्राफी मे
पौधारोपण से गंगा को बचाने की योजना
Posted on 27 Aug, 2012 11:49 AM

विभिन्न शोधों से पता चला है कि देश में कई पौधों की प्रजातियां ऐसी हैं जो केवल गंदे पानी के कीटाणुओं को अपना भोजन बनाकर ही पनपती हैं। ऐसे पौधे खासतौर पर उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में आसानी से पाए जाते हैं। गांवों में गंदे पानी को इकट्ठा किया जाएगा। उसके बाद उसमें उन पौधों का रोपण कर दिया जाएगा। पौधे गंदे पानी के कीटाणुओं को अपना भोजन बनाकर उसे प्राकृतिक रूप से शुद्ध करने में मदद करेंगे।

उत्तराखंड के हरिद्वार जिले में गायत्री मंत्र के माध्यम से भारतीय संस्कृति और विज्ञान को प्रसारित करने में जुटी संस्था ‘शांति कुंज’ ने अब पूरे देश में पौधारोपण के माध्यम से गंगा प्रदूषण को कम करने की नायाब योजना शुरू की है। शांतिकुंज में देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलपति डॉक्टर चिन्मय पंड्या ने बताया कि इस योजना के तहत हजारों की संख्या में स्वयंसेवकों के माध्यम से ऐसे पौधे लगाए जाएंगे जो गंगा प्रदूषण को रोकने में कारगर साबित होते हैं।
गंगा पुनर्जीवन चेतना केन्द्र स्थापना
Posted on 26 Aug, 2012 01:46 PM

गंगा की सेवा और सामुदायिक प्रबंधन सुनिश्चित करने हेतु बड़ी संख्या में गंगा योद्धाओं की जरूरत का अहसास हो रहा है। इस आवश्यकतापूर्ति में योगदान देने हेतु ‘गंगा पूनर्जीवन चेतना केन्द्र’, तरुण भारत संघ परिसर में 20 अगस्त को स्थापित किया जाएगा।

तरुण भारत संघ की कार्यकारिणी ने 3 जून की बैठक में तय किया था कि अब तरुण भारत संघ परिसर को गंगा योद्धाओं को प्रशिक्षित करने के लिए उपयोग किया जाएगा। यह संगठन महात्मा गांधी की विचारधारा में विश्वास रखता है। इसलिए गंगा के शोषक, प्रदूषक और कब्जाधारियों के विरुद्ध सत्याग्रह करेगा। इस सत्याग्रह में गंगा के लिए समर्पित सच्चे योद्धाओं की जरूरत है। ये योद्धा शांतिमय एवं अहिंसक तरीके से गंगा की अविरलता सुनिश्चित कराऐंगे।
घातक है फ्लोराइड का जहर
Posted on 24 Aug, 2012 04:37 PM

जल प्रदूषण में एक प्रमुख तत्व है फ्लोराइड देश के कई हिस्सों के भूजल में फ्लोराइड पाया जाता है। फ्लोराइड युक्त जल लगातार पीने से फ्लोरोसिस नाम की बीमारी होती है। इससे हड्डियां टेढ़ी, खोखली और कमजोर होने लगती है। रीढ़ की हड्डी में भी यह धीरे-धीरे जमा होने लगता है। जिससे हमारी सामान्य दैनिक क्रियाएं भी प्रभावित होने लगती है। अपने पीने के जल स्रोतों को समय-समय पर परिक्षण कराते रहना चाहिए। इसमें

Children suffering from fluoride
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