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ओजोन पर्त का क्षय एवं उसके प्रभाव
Posted on 08 Mar, 2014 03:39 PM

16 दिसम्बर, 1987 को सयुक्त राष्ट्र संघ के तत्वावधान में ओजोन छिद्र से उत्पन्न चिंता निवारण हेतु कनाडा के मांट्रियाल शहर में 33 देशों ने एक समझौते पर हस्ताक्षर किए, जिसे “मांट्रियाल प्रोटोकाल” कहा जाता है। इस सम्मेलन में यह तय किया गया कि ओजोन परत का विनाश करने वाले पदार्थ क्लोरो फ्लोरो कार्बन (सी.एफ.सी.) के उत्पादन एवं उपयोग को सीमित किया जा

जैव विविधता (Biodiversity)
Posted on 08 Mar, 2014 01:45 PM दोनों जीवों का जीवन आराम से चलता रहा, परन्तु यूरोपीय लोगोंं के यहा
भूमि एवं मिट्टी का प्रदूषण (Soil Pollution in Hindi)
Posted on 08 Mar, 2014 01:01 PM मृदा प्रदूषणजलवायु के समान मृदा भी एक प्राकृतिक संसाधन है, जो प्राणियों/प्राणिमात्र को भोजन एवं रहन-सहन, विचरण-क्रिया प्रदान करती है। भूमि का योगदान मानवीय गतिविधियों के अतिर
ध्वनि प्रदूषण (Sound pollution)
Posted on 08 Mar, 2014 10:36 AM
हमारे देश में विभिन्न अवसरों पर की जाने वाली आतिशबाजी भी ध्वन
मुझे कैसे पता चला कि सूखा है
Posted on 06 Mar, 2014 03:56 PM सूखा है... सूखा है यह मुझे कैसे पता चला
मैने पेपर में पढ़ा कि केंद्र कोई आर्थिक सहायता नहीं दे रहा है
क्या अब पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा
पानी के उपयोग का प्रतिबंध होगा और हम पूल में मस्ती नहीं कर सकेंगे

पर मैं चाय के लिए छोटी-सी होटल में बैठा तो टेबल पर पानी पहले था
शाम को तिराहों पर सभी शॉवर चल रहे थे
जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना
Posted on 06 Mar, 2014 03:54 PM प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने 30 जून 2008 को नर्इ दिल्ली में जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्ययोजना का शुभारम्भ किया। राष्ट्रीय कार्ययोजना में “निर्वाह योग्य विकास” (Sustainable Development) के भारत के दृष्टिकोण और उन कदमों को शामिल किया गया है जो इसे प्रभावपूर्ण ढंग से क्रियान्वित करने के लिए उठाने चाहिए।
कार्बन फुटप्रिंट
Posted on 06 Mar, 2014 12:55 PM ग्रीनहाउस गैसों में कमी लाने के कर्इ तरीके हैं। सौर, पवन ऊर्जा के अधिक इस्तेमाल और पौधरोपण आदि से कार्बन उत्सर्जन में कमी लाई जा स
ग्लोबल वार्मिंग या विश्व-तापन
Posted on 06 Mar, 2014 12:12 PM लाखों साल के अंतराल में विवर्तनिकी प्लेट की गति पूरी धरती की भूमि
पानी पर व्यंग्य कथाएं
Posted on 04 Mar, 2014 01:10 PM

(एक)


यहां पानी रुका हुआ था और नीचे वहां पानी के लिए हाहाकार था।
‘पानी छुड़वाइए साहब...’
‘क्यों जनाब?’
‘लोग प्यासे मर रहे हैं, इसीलिए...’
‘छोड़ दिया, तो बाढ़ से मर जाएँगे।’
‘इतना तो खैर आप क्या छोड़ेंगे... परंतु तनिक तो छोड़िए। सबको पानी तो बराबर मिल जाए...’

‘...तू कम्यूनिस्ट है क्या?’

गंगा में नाला
कहीं बाढ़ कहीं सूखा फिर भी मानव न सीखा
Posted on 04 Mar, 2014 10:45 AM
आज मानव जितना विकास करता जा रहा है वह उतना ही स्वार्थी, लालची
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