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भूजल के गिरते स्तर पर पार्टियां खामोश
Posted on 25 Apr, 2014 03:34 PM गांवों से तालाबों, कुओं, झीलों और बावड़ियों के खत्म होने या सरकारी
चुनावों में नदियों का मुद्दा नदारद है
Posted on 25 Apr, 2014 03:26 PM अपने अस्तित्व के लिए जूझती छोटी-बड़ी नदियां तमाम कोशिशों के बावजूद चुनावी मुद्दा नहीं बन सकी हैं। नदियों की निर्मलता और अविरलता का दावा करने वाले वे लोग भी नदारद हैं, जो समय-समय पर खुद को भगीरथ बताते हुए अपनी राजनीति चमकाने की कोशिश करते हैं। नदियों की सुरक्षा के लिए उसकी जमीन को चिन्हित करने, रीवर-सीवर को अलग रखने, अविरल प्रवाह सुनिश्चित करने, अवैध उत्खनन और अतिक्रमण को लेकर किसी भी ठोस योजना का उल्लेख न करने पर कोई सवाल नहीं उठ रहे हैं। कुछ ही पार्टियों ने जीवनरेखा कही जाने वाली नदियों को अपने घोषणापत्रों में जिक्र करके कर्तव्य की इतिश्री की और कुछ ने इतना करने की जरूरत भी नहीं समझी है। कांग्रेस और भाजपा जैसे बड़े दलों ने भले ही अपने घोषणापत्रों में गंगा को प्रदूषण मुक्त करने और नदियों को जोड़ने की बात कही है लेकिन किसी ने भी नदियों के पुनर्जीवन की कारगर रणनीति का विस्तार से उल्लेख करना जरूरी नहीं समझा है।

इन दोनों बड़ी पार्टियों के नेता भी नदियों के प्रदूषण पर चुनावी मंच से बोलना उचित नहीं समझ रहे हैं। राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के सदस्य बी.डी. त्रिपाठी के मुताबिक, नदियों के प्रदूषण का मसला एक वोट बैंक में तब्दील नहीं हो सका है, इसलिए कोई बई राजनीतिक दल इसे प्रमुखता से अपने घोषणापत्र में जगह नहीं देना चाहता है। 1986 में बनारस के राजेंद्र प्रसाद घाट पर पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने गंगा कार्य योजना के प्रथम चरण का उद्घाटन किया था।
पर्यावरण और अपशिष्ट प्रबंधन
Posted on 25 Apr, 2014 11:44 AM कूड़े के निपटान का सबसे उपयुक्त तरीका लैंडफिलिंग रहा है, परंतु इसी
waste management
पर्यावरण प्रदूषण : नियंत्रण एवं उपाय
Posted on 25 Apr, 2014 11:32 AM

नदियों, तालाबों के जल एवं भूमिगत जल को तो मनुष्यों ने प्रदूषित किया ही है। प्रदूषित करने में इस

पर्यावरण प्रदूषण कानून : उनका क्रियान्वयन
Posted on 24 Apr, 2014 03:30 PM 1980 का दशक पर्यावरणीय विषयों पर समस्त राज्यों के मध्य उल्लेखनीय वा
नदियों में बढ़ रहा प्रदूषण बना अहम चुनावी मुद्दा
Posted on 24 Apr, 2014 12:35 PM 1. नदियों की पवित्रता बनाए रखने पर है विशेष ध्यान
2. उत्तर प्रदेश, बिहार, पंजाब में अहम बना मुद्दा

गंगा गान
Posted on 24 Apr, 2014 10:20 AM हिमगिरी के उत्तुंग शिखर से
जलधि तट की ओर
दौड़ चलीं तुम पतित पावनी
करतीं कलकल शोर
हे 'जाह्नवी' क्यों उदास हो
बहतीं रुक रुक कर
क्षोभित क्यों 'पुण्या' जन जन को
मोक्ष दान देकर
युग युग के संताप हरे हैं
क्षुधा हरी मन की
इस युग के भी पाप साथ ले
बह लो 'दुःखहन्त्री'
इस धरती पर पर्व भी तुम
संगीत भी तुम 'रम्ये'
पर्यावरण संरक्षण हेतु परियोजना
Posted on 22 Apr, 2014 03:36 PM विकसित देश यही चाहते हैं कि शेष विश्व उन पर निर्भर रहे और ज्यादा वि
धरती के धीरज की परीक्षा मत लीजिए, प्लीज
Posted on 22 Apr, 2014 09:47 AM

22 अप्रैल - पृथ्वी दिवस पर विशेष

earth day
जलवायु परिवर्तन : कारण एवं प्रभाव
Posted on 21 Apr, 2014 03:45 PM

मानव सभ्यता के 10 हजार सालों में इतनी तपन कभी नहीं बढ़ी जो 20वीं शताब्दी के अंतिम दशक और 21वीं

Climate change
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