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पुस्तकें समाज भी बदलती हैं और भूगोल भी
Posted on 01 Feb, 2015 04:07 PM

तो क्या पुस्तकें केवल ज्ञान प्रदान करती हैं? इसके अलावा और क्या करती हैं? यह सवाल अक्सर कुछ लोग पूछते रहते हैं। यदि दो पुस्तकों का जिक्र कर दिया जाए तो समझ में आता है कि पुस्तकें केवल पठन सामग्री या विचार की खुराक मात्र नहीं है, ये समाज, सरकार को बदलने और यहाँ तक कि भूगोल बदलने का भी जज्बा रखती हैं।

जब गाँधी शान्ति प्रतिष्ठान ने ‘आज भी खरे हैं तालाब’ को छापा था तो यह एक शोधपरक पुस्तक मात्र थी और आज 20 साल बाद यह एक आन्दोलन, प्रेरणा पुंज और बदलाव का माध्यम बन चुकी है। इसकी कई लाख प्रतियाँ अलग-अलग संस्थाओं, प्रकाशकों ने छाप लीं, अपने मन से कई भाषाओं में अनुवाद भी कर दिए, कई सरकारी संस्थाओं ने इसे वितरित करवाया, स्वयंसेवी संस्थाएँ सतत् इसे लोगों तक पहुँचा रही हैं।

परिणाम सामने हैं जो समाज व सरकार अपने आँखों के सामने सिमटते तालाबों के प्रति बेखबर थे, अब उसे बचाने, सहेजने और समृद्ध करने के लिए आगे आ रहे हैं।

Book cover
फ्लोरोसिस प्रभावित 27 प्रदेश सरकारों को नोटिस
Posted on 31 Jan, 2015 03:22 PM

1. राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने प्रमुख सचिवों से छह सप्ताह में माँगा जवाब
2. स्वतः संज्ञान में लिया आयोग ने मामला


.धार। राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने उन 27 राज्यों के प्रमुख सचिवों को नोटिस जारी किए हैं जहाँ पर पानी में फ्लोराइड की अधिक मात्रा है और फ्लोरोसिस की बीमारी फैली हुई है। नोटिस जारी करते हुए आयोग ने प्रमुख सचिवों से छह सप्ताह में इस बात की जानकारी माँगी है कि उनके यहाँ की सरकार ने फ्लोरोसिस के मामले में क्या कदम उठाए हैं। यह एक विस्तृत रिपोर्ट माँगी गई है।

गौरतलब है कि केन्द्रीय जल एवं स्वच्छता मन्त्रालय द्वारा 20 जनवरी को एक प्रस्तुति दी गई थी। इसके बाद यह कदम उठाया गया है। दरअसल यह प्रस्तुति फ्लोरोसिस को लेकर थी. इसमें बताया गया था कि किस तरह से फ्लोराइड प्रभावित राज्यों में सरकारें लम्बी, छोटी व मध्यम स्तर पर गतिविधि चलाकर फ्लोराइड उन्मूलन का काम कर रही है।

Human rights
पर्यावरण संरक्षण और पूंजीवाद साथ-साथ नहीं चल सकता
Posted on 30 Jan, 2015 03:19 PM पिछले दिनों संयुक्त राष्ट्र समर्थित इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) ने चेतावनी देते हुए कहा कि कार्बन उत्सर्जन न रुका तो नहीं बचेगी दुनिया। दुनिया को खतरनाक जलवायु परिवर्तनों से बचाना है तो जीवाश्म ईंधन के अन्धाधुन्ध इस्तेमाल को जल्द ही रोकना होगा।
cop 19
पानी
Posted on 30 Jan, 2015 01:33 PM जलपानी है धरती का जीवन, जीव-जीव को अमृत पानी,
इसका कोई रंग नहीं है, पर इस जग की रंगत पानी।

चट्टानों से लड़कर बढ़ती जिजीविषा की धारा पानी,
नदियाँ
Posted on 30 Jan, 2015 01:31 PM नदीझर-झर झरने, फिर लहरें कल-कल नदियाँ,
बस्ती-बस्ती बाँटें, अमृत-जल नदियाँ।

क्या पाकर, गम्भीर-गहन हो जाती हैं,
बचपन की सोतों जैसी, चंचल नदियाँ।
जलवायु परिवर्तन से मुकाबले को साझा कदम
Posted on 29 Jan, 2015 11:54 AM

ओबामा ने कहा, ‘इस मुद्दे पर भारत की आवाज बेहद महत्वपूर्ण है। संभवतः कोई अन्य देश जलवायु परिव

मुम्बई में मत पीना बन्द बोतल का पानी!
Posted on 29 Jan, 2015 10:34 AM शोध में खुलासा, बोतलबन्द पानी में विषैले तत्वों की भरमार
.मुम्बई. मायानगरी मुम्बई के बोतलबन्द पानी भी पीने योग्य नहीं है। भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर (बीएआरसी) के हालिया शोध में पता चला है कि यहाँ पानी की बोतल में भी विषाक्त तत्व कार्किनोजेन्स भारी मात्रा में पाया जाता है। बीएआरसी की चार वैज्ञानिकों की टीम ने मुम्बई में पानी की बोतलों की बिक्री करने वाले 18 ब्राण्ड के 90 सैम्पल का परीक्षण किया। इनमें से 27 प्रतिशत सैंपल में विश्व स्वास्थ्य संगठन के तय मानकों का उल्लंघन होता पाया गया।

रहने के लायक नहीं है शहर
Posted on 27 Jan, 2015 01:30 PM स्वच्छ वायु सभी मनुष्यों, जीवों एवं वनस्पतियों के लिए अत्यन्त आवश्
पानी की आग
Posted on 25 Jan, 2015 02:44 PM केन्द्र सरकार 101 नदियों को जोड़ जल परिवहन की नई इबारत लिखने को बेताब है लेकिन पानी की ‘आग’ में सुलगते राज्यों का मुद्दा आज तक अनसुलझा है। ये लड़ाई वर्षों से जारी है।

कृष्णा नदी विवाद
महाराष्ट्र, कर्नाटक व आन्ध्र प्रदेश के बीच पानी की हिस्सेदारी को लेकर विवाद है। केन्द्र सरकार ने इसके लिए एक कृष्णा नदी जल विवाद प्राधिकरण बना दिया है।

कावेरी नदी विवाद
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