कृष्ण गोप
कृष्ण गोप
पानी
Posted on 30 Jan, 2015 01:33 PM
इसका कोई रंग नहीं है, पर इस जग की रंगत पानी।
चट्टानों से लड़कर बढ़ती जिजीविषा की धारा पानी,
नदियाँ
Posted on 30 Jan, 2015 01:31 PM
बस्ती-बस्ती बाँटें, अमृत-जल नदियाँ।
क्या पाकर, गम्भीर-गहन हो जाती हैं,
बचपन की सोतों जैसी, चंचल नदियाँ।