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भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन सामंती दौर की पुनर्वापसी
Posted on 22 Feb, 2015 10:22 AM इस वक्त देश में मोदी सरकार द्वारा किए गए भूमि अधिग्रहण कानून में संशोधन अध्यादेश के खिलाफ व्यापक घेराबन्दी शुरू हो चुकी है। इस मसले पर पहली बार राजनीतिक और गैर राजनीतिक संगठनों के बीच गहरी सहमति दिखाई दे रही है। बहुमत की सरकार होने के बाद जिस जल्दबाजी में मोदी सरकार ने अध्यादेश का सहारा लिया वह सरकार की नीति और नीयत पर बड़ा सवाल खड़ा कर रहा है। भूमि अधिग्रहण कानून में हुए संशोधन पर मोदी सरकार क
‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड’ योजना की शुरुआत
Posted on 21 Feb, 2015 12:00 PM धरती हमारी माँ हमने ऐसे वैसे नहीं कहा है। हमने उस माँ की चिन्ता करन
नदी जोड़ने के खतरे
Posted on 21 Feb, 2015 10:58 AM जनवरी 2015 में दिल्ली में आयोजित भारत जल सप्ताह में पर्यावरणविदों द्वारा जारी चिन्ताओं को नजरअन्दाज कर भाजपा नीत सरकार नेे घोषणा की कि प्राथमिकता के आधार पर हर हालत में नदियाँ आपस में जोड़ी जाएँगी एवं रास्ते में आने वाली बाधाओं को दूर किया जाएगा। अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार ने सन् 2002 में 5,67,000 करोड़ रु. की नदी जोड़ योजना को अमृत क्रान्ति नाम देकर प्रारम्भ किया था।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशानुसार इसे दिसम्बर 2016 तक पूरा किया जाना था। इस योजना के पीछे प्रमुख तर्क यह दिया गया था कि इससे सिंचाई एवं बिजली उत्पादन में जो बढ़ोतरी होगी जिससे सकल घरेलू उत्पादन (जीडीपी) लगभग 4 प्रतिशत बढ़ेगी। इसके अन्तर्गत लगभग 3 करोड़ 50 लाख हेक्टेयर में सिंचाई तथा 34 हजार मेगावाट बिजली उत्पादन की सम्भावना बताई गई थी।
प्रकृति की उदारता को अधिकार न समझें
Posted on 21 Feb, 2015 10:49 AM मानवीय व प्राकृतिक संसाधनों के मध्य सन्तुलन का उत्कृष्ट उदाहरण नहीं
मथुरा से फिर दिल्ली पहुँचा यमुना आन्दोलन
Posted on 21 Feb, 2015 09:46 AM नई दिल्ली। यमुना आन्दोलन एक बार फिर से दिल्ली पहुँच चुका है। बरसाना मथुरा से शुरू हुई यह यात्रा बुधवार को बदरपुर बार्डर पहुँची। जहाँ इस यात्रा का जोरदार स्वागत किया गया। इस यात्रा में पिछली बार की तरह ही साधु-सन्त से लेकर बड़ी संख्या में किसान शामिल हैं।
मैं नदी आँसू भरी
Posted on 19 Feb, 2015 12:31 PM (मंच पर चार कलाकार गीत गाते हुए आते हैं)
गंगा में मिलते कचरा एवं गंदे नालेरहीमन पानी राखिए, बिन पानी सब सून,
समुद्र पीछे खिसक रहा है
Posted on 18 Feb, 2015 04:25 PM समुद्र पीछे खिसक रहा है
पीछे खिसक रहा है कच्छप
अपनी पीठ पर धरती को धारण किये

जैसे दिनों-दिन कम होता जाता है
पूर्णिमा के बाद चाँद
कम होती जा रही हैं उम्मीदें
आदमी पर आदमी का भरोसा
कम होता जा रहा है

यह घूमती हुई पृथ्वी
डायनासॉर-से खुले हुए
जबड़े ने आ गई है

पेड़ स्तब्ध हैं, हवा शांत
देह पसीने से तर
घर की ऐतिहासिक याद
Posted on 18 Feb, 2015 03:28 PM जब हम घर बनाते हैं
तब आकाश को गुफा में बदल रहे होते हैं
उतनी जमीन पर जंगल या खेती को कम कर रहे होते हैं
हमारा स्वभाव एकदम उस घर जैसा होता जाता है
जिसमें जंगल, जानवर और गुफाएं शामिल रही हों

वीराने ने जड़ जमाये किसी खंडहर में
जैसे कोई वनस्पति खिलने-खिलने को हो
हर नये में एक खंडहर होता है पहली बार टूटे दांत-सा
जवाबदेह नागरिक भूमिका की माँग करता जनादेश- 2015
Posted on 18 Feb, 2015 12:16 PM भारत में एक सक्षम जन निगरानी तन्त्र की माँग कर रहा है। इस माँग की ओ
Arun Tiwari
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