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विकास एवं पर्यावरण
Posted on 22 Aug, 2015 12:04 PM विकास और पर्यावरण संरक्षण के मध्य कोई विरोध नहीं है। पर्यावरण प्रद
पर्यावरण के लिये भीषण खतरा हैं बाँध
Posted on 21 Aug, 2015 03:47 PM पनबिजली परियोजनाओं के निर्माण के लिये इलाके में बड़ी तादाद में लोगो
dam
कन्हर बाँध को लेकर छत्तीसगढ़-उत्तर प्रदेश में तकरार
Posted on 21 Aug, 2015 01:40 PM छत्तीसगढ़ के किसानों-ग्रामीणों के हितों की अनदेखी नहीं होने दी जाएगी : डॉ. रमन सिंह
वाह क्या जलप्रपात
Posted on 21 Aug, 2015 10:50 AM जलप्रपात तो आपने देखे होंगे और उन्हें देख रोमांचित भी हुए होंगे। ये हैं ही ऐसी चीज कि उनके सामने से हटने का मन ही नहीं करता है। आइए, आपको विश्व के कुछ खास जलप्रपात के बारे में बताएँ।
जितना बचाएँगे उतना ही पाएँगे
Posted on 21 Aug, 2015 09:36 AM नदियों और जलस्रोतों में जितना पानी एकत्र होता है, हम सिर्फ उतना ही
इन अँखियन जस जन-गन-मन देखा’ : स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद
Posted on 20 Aug, 2015 04:36 PM

माँ गंगा की निर्मलता-अविरलता के संघर्ष की कहानी एक शताब्दी से अधिक पुरानी हो चुकी है। इतने लम्बे समय में अपने प्राणों को संकट में डालकर भी गंगा की अविरलता-निर्मलता सुनिश्चित करने के संकल्प पर डटे रहने वाले नाम चुनिंदा ही हैं। कह सकते हैं कि उनमे से एक नाम स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद का भी है। पूर्व में हम सभी उन्हें प्रोफेसर जीडी अग्रवाल के नाम से जानते रहे हैं। संयोग से स्वामी जी के जीवन और गंगा संघर्ष के बारे में बहुत कम लिखा और सुना गया है। सुखद है कि हिन्दी वाटर पोर्टल से बतौर लेखक-सलाहकार जुड़े श्री अरुण तिवारी को दो वर्ष पूर्व उनसे लम्बी बात करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। उन्होंने बातचीत को शृंखलाबद्ध तरीके से प्रस्तुत करने का निर्णय लिया है। प्रस्तुत है इस बातचीत का एक परिचय :

.खास परिचितों के बीच ‘जी डी’ के सम्बोधन से चर्चित सन्यासी स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद के गंगापुत्र होने के बारे में शायद ही किसी को सन्देह हो। बकौल श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी, वह भी गंगापुत्र हैं। “मैं आया नहीं हूँ; मुझे माँ गंगा ने बुलाया है।’’ - श्री मोदी का यह बयान तो बाद में आया, गंगा पुत्र स्वामी सानंद की आशा पहले बलवती हो गई थी कि श्री मोदी के नेतृत्व वाला दल केन्द्र में आया, तो गंगा जी को लेकर उनकी माँगों पर विचार अवश्य किया जाएगा। हालांकि उस वक्त तक राजनेताओं और धर्माचार्यों को लेकर स्वामी सानंद के अनुभव व आकलन पूरी तरह आशान्वित करने वाले नहीं थे; बावजूद इसके यदि आशा थी तो शायद इसलिये कि इस आशा के पीछे शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी का वह आश्वासन तथा दृढ़ संकल्प था, जो उन्होंने स्वामी सानंद के कठिन प्राणघातक उपवास का समापन कराते हुए वृन्दावन में क्रमशः दिया व दिखाया था।

GD Agrawal
बाढ़ : मानवजनित हस्तक्षेप का दुखद परिणाम
Posted on 20 Aug, 2015 12:19 PM

बाढ़ को भूकम्प की तरह ही देश के लिये प्राकृतिक प्रकोप की संज्ञा दी जाती है। कुछ हद तक इसे सही भी माना जा सकता है। लेकिन यह पूरी तरह सही नहीं है। इस सच्चाई को झुठलाया नहीं जा सकता। देश हर साल की तरह फिर इस बार बाढ़ का सामना कर रहा है। वह चाहे बादल फटने से आई बाढ़ हो या फिर बारिश से आई बाढ़, तबाही तो स्वाभाविक है।

Flood in UP
अपवाह प्रणाली या नदी तंत्र या प्रवाह प्रणाली (Drainage system or River Network)
Posted on 18 Aug, 2015 04:20 PM

निर्धारित जलमार्गों का अनुसरण करते हुए बहते जल के द्वारा जो तंत्र बनाता है उसे अपवाह तन्त्र या नदी प्रणाली कहते हैं। इस अपवाह तंत्र का ज्यामितीय विन्यास यह बताता है कि यह किस प्रकार का अपवाह तंत्र है या इसका अपवाह प्रतिरूप क्या है। किसी क्षेत्र का अपवाह तंत्र उस क्षेत्र की स्थलाकृति और जलवायु पर निर्भर होता है। (विकिपीडिया)अपवाह शब्द एक क्षेत्र के नदी तन्त्र की व्याख्या करता है। भारत के भौतिक म

नदी को समझिए तो सही
Posted on 18 Aug, 2015 11:48 AM सफाई अभियान का पहला चरण अगले साल अक्टूबर तक समाप्त हो जाएगा। लेकिन
polluted ganga
भगीरथ की गंगा और ज्ञान गंगा
Posted on 18 Aug, 2015 11:43 AM जिस प्रकार भगीरथ की गंगा के साथ जो अन्याय अनेक दशकों से होता आ रहा
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