Posted on 19 Jul, 2016 04:44 PM ग्लोबल रिस्क रिपोर्ट 2016 में विश्व आर्थिक मंच (2016) ने प्रभावकारिता के स्तर पर जल संकट को सबसे बड़े वैश्विक खतरे के रूप में सूचीबद्ध किया है। जल संकट के विविध आयाम हैं, जिनमें भौतिक, आर्थिक एवं पर्यावरणीय (जल की गुणवत्ता से सम्बन्धित) आदि प्रमुख हैं। आबादी का बढ़ता दबाव, बड़े पैमाने पर शहरीकरण, बढ़ती आर्थिक गतिविधियाँ, उपभोग की बदलती प्रवृत्तियाँ, रहन-सहन के स्तर में सुधार, जलवायु विविध
Posted on 18 Jul, 2016 10:21 AM गोमुख से गंगा सागर तक 2525 किलोमीटर तक के प्रवाह क्षेत्र में गंगा का नाता पाँच राज्यों उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड व पश्चिम बंगाल से है। गंगा बेसिन की करीब 45 करोड़ की आबादी पीने, नहाने और कृषि से जुड़े पानी के लिये गंगा पर निर्भर है किन्तु गंगा प्रदूषण का बोझ ढोने को विवश है। गंगा की मौजूदा दशा व भविष्य की अपेक्षाओं पर राष्ट्रीय गंगा नदी बेसिन प्राधिकरण के संस्थापक विशेषज्ञ
Posted on 18 Jul, 2016 09:54 AM देश के 11 राज्यों के 266 जिलों में सूखा घोषित किया गया है। देश की 33 करोड़ जनता इससे प्रभावित है। इस सभी की आशा की किरण केवल बादलों से आ सकती है। बूँदों के रूप में। मानसून के बदरा राहत का पैगाम ला सकते हैं। हमारे देश के 55 फीसदी खेतों में सिंचाई बारिश पर निर्भर है। यानी कृषि मानसून का जुआ है। आखिरकार हमारा देश दुनिया भर में खाद्यान्नों का सबसे बड़ा उत्पादक और उपभोक्ता दोनों है। साथ ही 70 फीस
Posted on 17 Jul, 2016 01:15 PM बढ़ती ग्लोबल वार्मिंग, खनन और पेड़ों की कटाई। ये तीनों विश्व के सामने एक गंभीर समस्या उत्पन्न कर रहे हैं। इनके कारण मौसम चक्र गड़बड़ा रहा है जिससे विश्व के अधिकांश स्थान सूखाग्रस्त हो रहे हैं। साथ ही भूमि रेगिस्तान में तब्दील हो रही है। इस खतरे के प्रति लोगों को जागरूक करने और निपटने के लिये संयुक्त राष्ट्र हर साल 17 जून को ‘वर्ल्ड डे टू कॉम्बैट डजर्टीफिकेशन एंड ड्रॉट’ के रूप में मनाता है
Posted on 17 Jul, 2016 01:10 PM हमारे देश में जल संसाधनों के प्रबन्धन का इतिहास बहुत पुराना है। प्राचीन काल से ही भारतीय भागीरथों ने सभ्यता और संस्कृति के विकास के साथ-साथ भारत की जलवायु, मिट्टी की प्रकृति और अन्य विविधताओं को ध्यान में रखकर बरसाती पानी, नदी-नालों, झरनों और जमीन के नीचे मिलने वाले, भूजल संसाधनों के विकास और प्रबन्धन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की थी।