Posted on 31 Jul, 2016 01:00 PM भारत जैसे बड़े राष्ट्र के लिये एक समय जल संसाधनों का दोहन कर अपनी ऊर्जा आवश्यकताएँ पूरा करना आवश्यक था इसलिये ऐसी नीतियों को बढ़ावा दिया गया जो जल्द से जल्द भारत की आर्थिक-सामाजिक आवश्यकताओं को पूरा कर सकें। लेकिन क्या इस कोशिश में नीति-निर्माताओं को कुछ हद तक सख्ती से नियंत्रण लगाने की आवश्यकता नहीं थी?
Posted on 31 Jul, 2016 11:16 AM प्रकृति का सन्तुलन ब्रह्माण्ड के पंच शाश्वत-तत्वों के आपसी सामंजस्य की गहन-गूढ़ता पर निर्भर होता है, क्योंकि इनमें से एक भी तत्व का आनुपातिक असन्तुलन समस्त वैश्विक संयोगी जटिलताओं की प्राकृतिकता को प्रभावित करता है।
Posted on 29 Jul, 2016 11:57 AM एक नवीन अनुसन्धान के अनुसार, पादप उतना जल प्रयोग नहीं करते जितना कि अब तक समझा जाता रहा है। अनुसन्धान से यह तथ्य भी सामने आया है कि वर्षाजल भूमि में पूर्व अनुमान की तुलना में बहुत अधिक गति से चलता है इस कारण पौधों के लिये अधिक जल लाभदायक नहीं होता। वर्षाजल का अधिकांश भाग बेकार चला जाता है।