/regions/dams-barrages-and-reservoirs
बांध, बैराज और जलाशय
महिपाल सिंह नेगी की पुस्तक ‘टिहरी की जलसमाधि’ का लोकार्पण आमंत्रण
Posted on 28 Jul, 2023 02:03 PMपत्रकार एवं लेखक महीपालसिंह नेगी की पुस्तक ‘टिहरी की जलसमाधि, एक दस्तावेज' के लोकार्पण समारोह में आप सादर आमंत्रित हैं। लोकार्पण समारोह में मुख्य अतिथि कुलपति स्वामी राम हिमालयन विश्वविद्यालय डॉ. राजेन्द्र डोभाल होंगे। विशिष्ट अतिथि के तौर पर पूर्व आई.ए.एस., तिब्बतोलॉजिस्ट: श्री एस. एस.
जलवायु अनुकूल वर्षा आधारित कृषि नीतियां
Posted on 05 Jul, 2023 01:49 PMभारत जैसे देश में जलवायु परिवर्तन एक बहुत बड़ी समस्या है, विशेषकर कृषक समुदायों के लिए मानसून पर अधिक आश्रित होने एवं दक्षिण-पश्चिम मानसून के असामान्य व्यवहार के कारण वर्षा आधारित कृषि पर इसका प्रभाव सबसे अधिक है। वर्षा के वितरण में अधिक अंतर होने अंतर मौसमी विविधता एवं अत्यधिक तापमान ऐसे कारण हैं, जिनसे फसलों को नुकसान होता है। मानसून के आरंभ में देरी या लंबा शुष्क दौर एवं जल्दी मानसून का लौट
विस्थापन व युद्ध से बचाव हेतु विश्वशांति जलयात्रा : चीन
Posted on 24 Jan, 2023 08:41 AMभारत अपनी प्रकृति रक्षा की आस्था से शांति कायम करने की दिशा पकड़ सकता है। लेकिन वर्तमान में इस दिशा में आगे बढ़ने की संभावना नहीं है। क्योंकि जिस अच्छे संस्कार हेतु हम दुनिया में जाने जाते थे, उन्हें अब अपना नहीं रहे हैं। चीन अपनी पूंजी बढ़ाने वाला देश व दुनिया का नेता बनना चाहता है। इसलिए यहां का भौतिक विकास बहुत तेजी से बढ़ा है। इससे यहां का प्राकृतिक विनाश बहुत हुआ है। परिणामस्वरूप इसी देश स
हिमालय को तबाह करती परियोजनाएं
Posted on 16 Oct, 2010 09:37 AMआज दुनिया-भर में जलवायु-परिवर्तन के कारण संकट के बादल मंडरा रहे हैं, लेकिन अन्य क्षेत्रों के मुकाबले हिमालय के पर्वतीय इलाकों में बढ़ते तापमान के असर साफ नजर आ रहे हैं।एशिया और हिमालय की महानदियों- सिंधु, गंगा और नूं-के तेजी से पिघलते ग्लेशियर इसका प्रत्यक्ष प्रमाण हैं। जलवायु-परिवर्तन से ग्लेशियर पिघलने, नदी का जलस्तर बढ़ने, बाढ़ आने और बादल फटने जैसी घटनाएं बढ़ जाएंगी। जैसे-जैसे पानी और नदियों की स्थिति में परिवर्तन आएगा, जलवायु और मौसम चक्र का पूर्वानुमान लगाना कठिन हो जाएगा।
दिसम्बर 2008 में छपी अपनी रपट
विकास की सोचिए
Posted on 08 Oct, 2010 09:20 AMअभिमत
इस समय उत्तराखंड कुछ जोगियों और संन्यासियों से त्रस्त दिख रहा है, जबकि इन्हें मनुष्यों के त्रास निवारण के भौतिक उपायों के बारे में सोचना चाहिए। जोगी और संन्यासी शब्द में अर्थ का बहुत बड़ा अंतर है। जोगी का संबंध ‘योग’ से है, जबकि संन्यासी का संबंध संसार से असंपृक्तता और वैराग्य से। लेकिन दोनों के आजकल घोर राजनीतिकरण और संसार से अधिकतम संलिप्तता वाले संबंध उजागर हो रहे हैं। हिंदू धर्म में संन्यासी के जो आचरण और कर्तव्य निर्धारित किए गए हैं, उनके अनुसार उन्हें गृहस्थों के बीच और निकट निवास नहीं करना चाहिए। एकांतवास और कुटिया बनाकर रहना उनके आचरण का प्रमुख हिस्सा है।पंचेश्वर बाँध: झेलनी ही होगी एक और बड़े विस्थापन की त्रासदी
Posted on 07 Sep, 2010 11:17 AMसैकड़ों बाँधों से लगभग पूरा नक्शा ही काला हो गया था। बाँधों से उभरी यह कालिख प्रतीकात्मक रूप में तथाकथित ऊर्जा प्रदेश के भविष्य को भी रेखांकित करती है।
विकास ढांचा बदलने से नदियों की मुक्ति
Posted on 29 Aug, 2010 08:16 AMगंगा की मुक्ति के लिए काम करने वाले एक बार पुन: उत्साहित हैं। आखिर केन्द्र सरकार के मंत्रिमण्डलीय समूह ने लोहारी नागपाला जल विद्युत परियोजना पर काम रोक दिया है।
भ्रष्टाचार का बांध
Posted on 25 Aug, 2010 12:36 PM‘‘सबसे पहले यह समझना होगा कि भ्रष्टाचार का कारण न व्यक्ति है, न विकास है। अगर विकास के ढांचे में भ्रष्टाचार का बढ़ना अनिवार्य है तो वह फिर विकास ही नहीं है।‘‘ किशन पटनायकसरदार सरोवर बांध के विस्थापितों को दिए गए विशेष पुनर्वास पैकेज के अन्तर्गत हुए फर्जी रजिस्ट्री कांड की जांच कर रहे न्यायमूर्ति (अवकाशप्राप्त) एस.एस.झा आयोग के सम्मुख गवाही के लिए आ रहे सैकड़ों दलितों और आदिवासियों के साथ हुई धोखाधड़ी के प्रमाण देखकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं। नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण ने स्वीकार किया है कि उसने तकरीबन 2902 व्यक्तियों को यह पैकेज स्वीकृत किया है। इसमें से 1486 व्यक्तियों को एक किश्त का ही भुगतान हुआ है अर्थात उन्होंने अभी तक जमीन नहीं खरीदी है। इसके बावजूद रजिस्ट्रियों की संख्या 3800 का आंकड़ा पार कर चुकी है। गौरतलब है कि इस विशेष