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बांध, बैराज और जलाशय
नर्मदा पर बाँध
Posted on 21 Sep, 2009 09:32 AMनर्मदा को कुवाँरी नदी माना जाता है । अब तक बांधों के पाश से मुक्त रही नर्मदा का आचरण भी एक चिर कुमारी लावण्यमयी नवयुवती जैसा ही रहा है । कभी उछल-कूद करते हुए उफनते प्रपातों का अकस्मात् निर्माण कर देना और नीचे उतरते ही सहसा स्तब्ध कर देने वाली नीरवता पैदा कर देना नर्मदा को खूब आता है । करोडों वर्षों से बंधन मुक्त जीवन जी रही नर्मदा अपने विविध नामों के अनुरूप नानाविध रूपों की मोहक झांकियां दिखाती रहदिल्ली की प्यास
Posted on 12 Sep, 2009 05:58 PMदिल्ली की प्यास बुझी नहीं है। पहले यमुना, फिर गंगा, फिर भगीरथी का पानी पी लेने के बाद भी दिल्ली प्यासी है। अब दिल्ली को हिमाचल से भी पानी मिलने वाला है।
मानव निर्मित बांध, मानव निर्मित बाढ़
Posted on 11 Sep, 2009 09:15 PM
बरसात के मौसम में बाढ़ आना कोई नई बात नहीं है, सो इस वर्ष भी बाढ़ आई। लोगों के खेत-खलिहान, घर, दुकानें डूबीं और सरकार ने राहत की रस्म भी निभाई। लेकिन इस सारे घटनाक्रम में लोग यह जान नहीं पाए कि कौन सी बाढ़ प्रकृति की मार है और कौन है मानव की लापरवाही का नतीजा।
उत्तराखंड उच्च न्यायालय की भागीरथी पर बांध को मंजूरी
Posted on 27 Feb, 2009 03:42 PMउत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उत्तरकाशी में भागीरथी पर 600 मेगावाट लोहारी नागपाला पनबिजली परियोजना को रोकने के केंद्र सरकार के फैसले को आज निलंबित कर दिया।
दिल्ली की प्यास बुझाने के फैसले का हिमाचल में विरोध
Posted on 13 Feb, 2009 10:07 AMशिमला, 9 अगस्त (आईएएनएस)। हिमाचल प्रदेश के 'रेणुका बांध' से दिल्ली वालों की प्यास बुझाने के लिए जल मुहैया कराने की प्रस्तावित परियोजना का स्थानीय लोग विरोध कर रहे हैं।बांधों से विकास?
Posted on 16 Dec, 2008 07:12 AM
-विमल भाई
एनएचपीसी कहती है कि बांध से विकास होगा तो फिर प्रश्न ये है कि पूरी जानकारी लोगों को क्यों नहीं दी जा रही है? जानकारी हिन्दी में क्यों नहीं दी जा रही है? सरकार को कहीं इस बात का डर तो नहीं है कि यदि लोग सच्चाई जान जाएंगे तो बांध का विरोध करेगें।
![dam](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/dam_1_21.jpg?itok=a8yd7tRX)
क्या गंगा सिर्फ एक साधन
Posted on 30 Sep, 2008 05:45 PMडॉ. गिरधर माथनकर
देश के आज के परिदृश्य पर नजर दौड़ाते हैं तो यह लगता है कि समस्याओं और उनके समाधानों में मेल बहुत कम देखने को मिलता है। स्थिति यह है कि हम 3 समस्यायें सुलझाने के चक्कर में 13 नयी समस्यायें पैदा कर लेते हैं।
मुद्दा है गंगा के प्रवाह की अविरलता जरूरी है या गंगा व उसकी सहायक नदियों पर बड़े, मझोले व छोटे बांध बनाये जायें, गंगा को हिमालय में सुरंगों में से प्रवाहित किया जाये, उस पर वैराज बनाये जाये। वैसे यह मुद्दा पूर्व में भी चिंतकों ने उठाया ही है, लेकिन जून 08 में पर्यावरणविद्, आई.आई.टी. कानपुर के पूर्व प्रोफेसर डॉ. गुरूदास अग्रवाल के उत्तरकाशी में गोमुख से उत्तरकाशी तक गंगा (भागीरथी) के नैसर्गिक स्वरूप से की जा रही छेड़छाड़ के विरोध में आमरण अनशन पर बैठने से अखबारों व अन्य संचार माध्यमों में यह मुद्दा प्रमुखता से छाया रहा।
![गंगा](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/YamunaBath01_7.jpg?itok=D-vdxJNF)
बाढ़ रोकने के लिए सप्तकोसी पर ऊंचा बांध बांधना जरूरी : विशेषज्ञों की राय
Posted on 04 Sep, 2008 10:46 AMनई दिल्ली / बिहार के कोसी क्षेत्र में आई भयानक बाढ़ से उपजी जल प्रलय की स्थिति के बीच बाढ़ विषेशज्ञों ने सप्तकोसी बहुउद्देशीय परियोजना को अमली जामा पहनाए जाने और कोसी नदी पर बने बांध के रखरखाव के लिए अमेरिकी प्रौद्योगिकी के उपयोग से साल दर साल आने वाली बाढ़ पर नियंत्रण किए जाने की बात की है। बाढ़ विशेषज्ञ नीलेंदू सान्याल और दिनेश चंद्र मिश्र ने कहा कि भारत और नेपाल के बीच सप्तकोसी बहुउद्देशीय प
![कोसी बैराज](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/hwp-images/kosi_barrage_01_15.jpg?itok=ybPZqjEr)
देश भर के जलाशयों के भंडार खाली, खतरे में खेती
Posted on 20 May, 2024 05:49 AMभारत के 150 प्रमुख जलाशयों में जल भंडारण की क्षमता में 36% की कमी आई है। इनमें से छह जलाशयों में जल भंडारण का कोई आंकड़ा नहीं मिला है, जबकि 86 जलाशयों में भंडारण क्षमता 40% या उससे कम है। सेंट्रल वाटर कमीशन (CWC) के अनुसार, इन जलाशयों में से अधिकांश दक्षिण भारत, महाराष्ट्र, और गुजरात में स्थित हैं। केंद्रीय जल आयोग के नवीनतम आंकड़े भारत में बढ़ते इसी जल संकट की गंभीरता को ही दर्शाते हैं। ये आंक
![जलाशयों के जलभंडारों में उल्लेखनीय कमी](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-05/water%20storage%20shortage.jpg?itok=eSLFTFMH)
भारत के जलनायक
Posted on 06 May, 2024 03:09 PMयद्यपि भारत ने ब्रिटिश काल के दौरान 200 वर्ष तक अनेक दुःख झेले परंतु उस कठिन समय में भी उसकी संघर्ष की भावना में ज़रा भी कमी नहीं आई। भारत एक अमर पक्षी की भाँति अपने काले अतीत से निकलकर इस समय विश्व के प्रमुख देशों की पंक्ति में शामिल हो रहा है। प्राचीन वैदिक काल में ही नहीं बल्कि मध्यकाल और उसके बाद के समय में भी जल विकास और संचयन के क्षेत्रों में उत्कृष्ट निर्माण कार्य किए गए। जल विकास और संच
![जल समृद्ध परंपरा](/sites/default/files/styles/featured_articles/public/2024-05/Ancient%20water%20history.jpg?itok=qgGBmHFp)