गोरखपुर एनवायरन्मेंटल एक्शन ग्रुप

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सूखे में सहारा बनी पलाशः बनाया दोना-पत्तल
Posted on 11 Apr, 2013 12:14 PM
जाति-विशेष से संबंधित दोना, पत्तल बनाने को व्यवसाय के रूप में अब छोटी जोत के किसानों ने महंगी होती खेती लागत के विकल्प के तौर पर भी अपनाना प्रारम्भ कर दिया है।

परिचय

सूखे में आजीविका का साधन बना डलिया निर्माण कार्य
Posted on 11 Apr, 2013 12:03 PM
बुंदेलखंड में पड़ रहे सूखे का मुकाबला करने के क्रम में परंपरागत धंधे डलिया निर्माण को पुनर्जीवित करना एक बेहतर विकल्प दिखा जो इस बार जंगल से मिलने वाले संसाधनों पर आधारित था।

परिचय

सूखे के प्रभाव को अमरूद की बागवानी ने कम किया
Posted on 09 Apr, 2013 03:39 PM
नदी किनारे की पडुई ज़मीन आमतौर पर खेती लायक नहीं होती। इसमें अमरूद की बागवानी लगाकर आजीविका के बेहतर स्रोत पाने की साथ ही पेड़-पौधों से पर्यावरण संरक्षण में भी सहायता मिलती है।

संदर्भ

अनुपयोगी धूल (क्रेशर से निकली) से आजीविका संवर्धन
Posted on 09 Apr, 2013 03:32 PM
ऐसे स्थानों पर जहां प्रकृतिगत विरोध के कारण खेती संभव नहीं हो पा रही है, वहां पर आजीविका के अन्य विकल्पों की तलाश कर लोग उन पर अपनी निर्भरता बना रहे हैं।

संदर्भ

सूखा के दौर में आजीविका बनी बागवानी
Posted on 09 Apr, 2013 11:20 AM
बागवानी लगाकार एक तरफ तो खेती में हो रहे नुकसान को पूरा कर सकते हैं। वहीं दूसरी तरफ पेड़-पौधों की बढ़ती संख्या पर्यावरण सुरक्षा की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित होगा।

संदर्भ

सूखे बुंदेल में कृषि की एक संभावना “सन”
Posted on 09 Apr, 2013 11:14 AM
सूखा क्षेत्र के रूप में जाने वाले बुंदेलखंड में किसानों ने यहां की जलवायु, मिट्टी के अनुसार स्थानीय ज्ञान को विकसित करते हुए बहु आयामी फसल ‘सन’ को प्रोत्साहित किया है।

परिचय

सूखे के दौरान छोटी व मिश्रित खेती ने दिया लाभ
Posted on 09 Apr, 2013 10:21 AM
मिश्रित खेती में सब्जियों व मसालों को प्राथमिकता देते हुए किसानों ने न सिर्फ सूखे के कारण हुए नुकसान को कम किया, वरन् शहर की ज़रूरतों को भी पूरा करने में अहम् भूमिका निभाई।

संदर्भ


मिश्रित खेती के अंतर्गत किसानों द्वारा औसतन 15-20 फसलें एक साथ ली जाती हैं, जिनके लिए पानी, खाद तथा अन्य जैविक एवं सस्य क्रियाएं समान व एक बार में ही सबको लाभान्वित करने वाली होती है।
सूखे बुंदेलखंड में कम पानी में पैदा हो सकती हैः ज्वार
Posted on 08 Apr, 2013 04:36 PM
परंपरागत फ़सलों में 3-4 महीनों में तैयार होने वाली ज्वार एक ऐसी फसल है, जिसे यदि एक बारिश भी न मिले तो भी उपज प्रभावित नहीं होती है।

संदर्भ

अरहर की खेती व पशुओं के लिए चारा
Posted on 08 Apr, 2013 04:07 PM
(अरहर व बाजरा की मिश्रित खेती)

अरहर के साथ बाजरे की खेती दलहन के साथ जानवरों को चारा भी देती है। वैस तो अरहर की फसल लंबी अवधि की होती है, फिर भी बारिश की बाट जोहते किसान के लिए यह फसल लाभप्रद है।

संदर्भ

वर्षा कम होने से किसानों ने बदली फसल और की अरण्डी की खेती
Posted on 08 Apr, 2013 03:42 PM

बारिश की कमी से परेशान किसानों के समझ पलायन ही एक मात्र विकल्प था, परन्तु क्योंटरा में किसानों ने अरण्डी की खेती और उसके पत्तों पर रेशम कीट पालन का विकल्प तलाशा।

संदर्भ

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