गोरखपुर एनवायरन्मेंटल एक्शन ग्रुप

गोरखपुर एनवायरन्मेंटल एक्शन ग्रुप
सामूहिक खेती ने दिखाया स्व उन्नति का रास्ता
Posted on 14 Apr, 2013 10:46 AM
भूमिहीन आदिवासियों को कभी भी समाज की मुख्य धारा में नहीं जोड़ा गया, बावजूद इसके उन्होंने अपनी उन्नति के रास्ते खुद तलाशे और परती की भूमि को सामूहिकता के आधार पर सुधार कर खेती प्रारम्भ की।

परिचय

अनाज बैंक की स्थापना
Posted on 14 Apr, 2013 10:30 AM
विन्ध्यांचल की तलहटी में बसे आदिवासी बहुल गाँवों की भूमि पथरीली होने के कारण खेती अधिक खर्चीली होती है तिस पर बढ़ती पर्यावरणीय समस्याओं व मंहगाई ने किसानों को बिल्कुल ही निराश किया है।

परिचय

सूखे में मुकाबला कर फिर से शुरू की खेती
Posted on 14 Apr, 2013 10:25 AM
सूखे ने किसानों के समक्ष भुखमरी की स्थिति पैदा की और लोगों को पलायन हेतु मजबूर किया, पर यह भी समस्या का स्थाई समाधान नहीं था, तब लोगों ने पुनः अपनी परंपरागत खेती की और वापसी की।

संदर्भ

सूखे में आजीविका का साधन बनी कछार की खेती
Posted on 13 Apr, 2013 04:01 PM
नदी किनारे की कछार भूमि पर बरसाती जंगली सब्जियों की खेती छोटी जो वाले किसानों के लिए वर्ष भर आय का स्रोत बनी रहती है।

संदर्भ

बुंदेलखंड में सूखा संकट का सामना कर प्रेम सिंह हुए खुशहाल
Posted on 13 Apr, 2013 03:52 PM
बुंदेलखंड विगत दो दशकों से सूखे का पर्याय बन चुका है। बावजूद इसके दृढ़ इच्छा शक्ति रखने वाले किसानों ने अपने ज्ञान व कौशल का उचित उपयोग कर सूखे में भी अपने लिए बेहतर आजीविका के विकल्प तैयार किये और क्षेत्र के लोगों के लिए प्रेरणा स्रोत बने।

परिचय

गृहवाटिका से महिलाओं ने किया सूखे का मुकाबला
Posted on 13 Apr, 2013 03:28 PM
सूखा हो या बाढ़ सर्वाधिक दिक्कत महिलाओं को ही होती है। अतः महिलाओं ने दैनिक उपभोग के पानी के पुनः उपयोग को ध्यान में रखते हुए गृहवाटिका को बढ़ावा देने का काम किया।

परिचय

परंपरागत बीजों का भंडारण
Posted on 13 Apr, 2013 03:21 PM
विकास की बयार से खेती खूब प्रभावित हुई। लोग हइब्रिड बीजों एवं आधुनिक खेती की ओर आकर्षित हुए परंतु धीरे-धीरे विकास ने विनाश का रूप धारण किया और इन बीजों से लागत बढ़ती गई व उपज घटती गई, तब लोगों ने पुनः परंपरागत बीजों के भण्डारण की ओर रूख किया।

परिचय

पर्यावरण संतुलन बनाए रखने हेतु किया वनारोपण
Posted on 13 Apr, 2013 03:10 PM
विकास के दौर में वनों के अंधा-धुंध कटान से पर्यावरणीय संकट उत्पन्न हुआ। ऐसी स्थिति में वृहद स्तर पर वृक्षारोपण का कार्य सीधे तौर पर तो किसी को व्यक्तिगत लाभ नहीं देती परंतु भविष्य के लिए समूचे क्षेत्र को एक बेहतर पर्यावरण के साथ आजीविका भी प्रदान करने में सक्षम है।

परिचय

सूखे में आजीविका का साधन बनी बागवानी
Posted on 11 Apr, 2013 01:29 PM
अपनी भौगोलिक बनावट विपरीत जलवायुविक परिस्थितियों के चलते बुंदेलखंड कृषि के लिहाज से बहुत मुफीद नहीं रहा है। लिहाजा लोग अन्य विकल्पों की तलाश में रहते हैं। ऐसे में कुछ लोगों ने बाग़वानी को अपनाकर एक नई शुरुआत की है, जो क्षेत्र को हरा-भरा कर एक नई शुरुआत की है। यह क्षेत्र को हरा-भरा रखने के साथ ही आजीविका का साधन भी रही है।
बकरी पालन : सूखे में आजीविका का सहारा
Posted on 11 Apr, 2013 01:15 PM
खेती में पशुपालन एक महत्वपूर्ण अवयव के रूप में हमेशा से उपयोगी रहा है। सूखे के क्षेत्र में इसका महत्व और बढ़ जाता है और उसमें भी बकरी पालन सूखे की दृष्टिकोण व छोटे किसानों के लिहाज से काफी प्रभावी है क्योंकि इसमें लागत कम होने के साथ ही साथ आजीविका के विकल्प भी बढ़ जाते हैं।

परिचय

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