अनुपम मिश्र
भाषा और पर्यावरण
Posted on 23 Oct, 2009 08:07 PMकिसी समाज का पर्यावरण पहले बिगड़ना शुरू होता है या उसकी भाषा- हम इसे समझकर संभल सकने के दौ
मरुभूमि का भाग्यवान समाज
Posted on 22 Oct, 2009 08:02 AMसमाज कैसे चलता है, वह अपने सारे सदस्यों को कैसे संगठित करता है, कैसे उनका शिक्षण प्रशिक्षण करता है, उन सबका प्रयोग वह कैसी कुशलता से करता है, उस समाज के एक सदस्य के रूप में मैं भी पिछले तीस साल से देख समझ रहा हूं. वह कितनी लंबी योजना बनाकर काम करता है उसे भी देखने समझने का मौका मिला है.
शोध से ज्यादा श्रद्धा की जरूरत
Posted on 21 Oct, 2009 03:40 PMबहुत कम लोगों को पता होगा कि भारत ही नहीं एशिया का पहला इंजीनियरिंग कालेज कहां बना था? आप जानते हैं वह कब और क्यों बना?
अकेले नहीं आता अकाल
Posted on 03 Oct, 2009 09:18 PMउत्तर भारत में जलस्तर 1.6 इंच तक गिर चुका है। यह अगस्त 2002 से अगस्त 2008 के बीच चार सेंटीमीटर सालाना की दर से गिरा। इस दौरान जलदायी स्तर से 26 घन मील से भी ज़्यादा भूजल उड़नछू हो गया। ऑर्गेनिक कृषि की तुलना में हरित क्रांति वाली रासायनिक खेती में 10 गुना ज़्यादा पानी का इस्तेमाल होता है।रासायनिक उर्वरक नाइट्रस ऑक्साइड नामक ग्रीनहाउस गैस का उत्पादन करते हैं, जो कार्बन डाईऑक्साइड की तुलना में 300 गुना ख़तरनाक है।सबसे सस्ती कारों के दौर में अब तक की सबसे महंगी दाल मिल रही है। मानसून की मेहरबानी कम रही, तो समूचे देश पर अकाल की काली छाया घिर आई है। अकाल से बहुत पहले अच्छे विचारों का अकाल पड़ने लगता है। अच्छी योजनाओं का अकाल और बुरी योजनाओं की बाढ़..काल की पदचाप साफ़ सुनाई दे रही है और सारा देश चिंतित है। यह सच है कि अकाल कोई पहली बार नहीं आ रहा है, लेकिन इस अकाल में ऐसा कुछ होने वाला है, जो पहले कभी नहीं हुआ। देश में सबसे सस्ती कारों का वादा पूरा किया जा चुका है। कार के साथ ऐसे अन्य यंत्र-उपकरणों के दाम भी घटे हैं, जो 10 साल पहले बहुत सारे लोगों की पहुंच से दूर होते थे।
मृगतृष्णा झुठलाते तालाब
Posted on 23 Apr, 2009 12:53 PM
देश भर में पानी का काम करने वाला यह माथा रेगिस्तान में मृगतृष्णा से घिर गया था।
साफ माथे का समाज
Posted on 18 Apr, 2009 06:39 PM
तालाब में पानी आता है, पानी जाता है। इस आवक- जावक का पूरे तालाब पर असर पड़ता है। वर्षा की तेज बूंदों से आगौर की मिट्टी धुलती है तो अगार में मिट्टी घुलती है। पाल की मिट्टी कटती है तो आगर में मिट्टी भरती है।