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May 26, 2023 Orans are traditional sacred groves found in Rajasthan. These are community forests, preserved and managed by rural communities through institutions and codes that mark such forests sacred. Orans have significance for both, conservation and livelihood. The author visited two orans in Alwar district in Rajasthan and in this article, she writes about her observation.
Since ancient times, communities in Rajasthan have preserved these orans, and their lives have been inextricably entwined with them. (Image: Ranjita Mohanty)
April 26, 2023 Carbon market can play a role in rewarding environmental stewardship
The motivated young farmer proudly showed his 80 guava trees that he planted for the first time in the village and made a profit of INR 6,000. He is the second generation. His-father made the first attempt at agroforestry in 2010. He is motivated to adopt innovative practices and does not want to migrate to a larger city. (Image: Yasmeen Telwala)
April 4, 2023 Forests greatly help in maintaining the water balance of nature by storing water during monsoons and making this water available during dry seasons. India urgently needs to save its forests to prevent droughts and the adverse effects of climate induced global warming.
Forests and soil moisture can act as buffers to store water during dry spells (Image Source: India Water Portal)
March 16, 2023 Study identifies 513 out of 32,620 villages in Jharkhand as potentially suitable for agroforestry work
Agroforestry crops need land with sufficient soil moisture and low erosion for their continuous growth (Image: World Agroforestry)
December 27, 2022 This study finds that traditional agroforestry (TAF) presents a number of advantages over jhum cultivation in Arunachal Pradesh and is gradually replacing jhum cultivation in the hills.
The hilly landscapes of Arunachal Pradesh (Image Source:Chakraborty.jishu Via Wikimedia Commons)
जंगल बचाने की नई मुहिम
Posted on 07 Jun, 2013 10:30 AM वनाधिकार कानून बन जाने के बावजूद वनों पर आश्रित आबादी अपने राज्यसत्ता और कॉरपोरेट घराने नई किस्म की दुरभिसंधि में मशगूल हैं। ऐसे में ये वंचित और उनके बीच काम करने वाले संगठन देश भर में आंदोलन छेड़ने की तैयारी में लगे हुए हैं। वन संपदा को बचाने की इस व्यापक सामाजिक पहल के बारे में बता रही हैं रोमा।
जलते पहाड़
Posted on 27 Jun, 2012 09:50 AM उत्तराखंड के पहाड़ों में फिर आग लगी है। रानीखेत, कौसानी, बागेश्वर में इस समय ठंडी बयार की जगह धुआं और बदबुदार हवा नसीब हो रही है। देखने में यह आया है कि जंगलो की आग का क्षेत्रफल बढ़ा है और बारम्बारता बढ़ी है। सरकारी उदासीनता और वन माफियाओं ने जंगल की आग को और भयावह बना दिया है, बता रहे हैं गोविंद सिंह।
जलते पहाड़
आधुनिक विकास के दौड़ में खत्म होते जंगल
Posted on 04 Jun, 2012 09:41 AM प्रकृति ने जिस जंगल को हमें देकर न केवल जंगल में औषधि, पशु-पक्षी आदि को अपने गोद में पाला बल्कि हमें भी अपने ही गोद में पालकर अनेक प्रकार के प्राकृतिक औषधियां, पानी, लकड़ी सभी चीजों को उपलब्ध कराया आज उसी जंगल को हम उजाड़ने में लगे हैं कहीं खनन करके तो कहीं बांध बांधकर अपने आधुनिक सुविधाओं की पूर्ति के लिए इन जंगलों को खत्म करने के होड़ में लगे हैं।
बचे रहें जंगल
Posted on 22 Sep, 2011 05:20 PM

चीड़ के जंगलों में आग लगने की बढ़ती घटनाओं का असर पर्यावरण और जल स्रोतों पर भी पड़ा। इससे सिंच

मध्य प्रदेश में जंगल
Posted on 26 Feb, 2011 04:34 PM

मध्यप्रदेश अपनी विविधता के लिये जाना-पहचाना जाता है। विकास और सामाजिक परिवर्तन के प्रयासों के संदर्भ में भी जितने प्रयोग और परीक्षण इस प्रदेश में हुए हैं; संभवत: इसी कारण इसे विकास की प्रयोगशाला कहा जाने लगा है। मध्यप्रदेश में राजस्व और वनभूमि के संदर्भ में भी विवाद ने नित नये रूप लिये हैं और अफसोस की बात यह है कि यह विवाद सुलझने के बजाय उलझता जा रहा है। इस विषय को विवादित होने के कारण नजरअंदाज

आखिर कागज पर क्यों उग रहे हैं असंख्य पेड़
जाने सरकारो द्वारा पेड़-पौधे लगाकर हरियाली लाने के लिए कई कार्यक्रम चलाने के बावजूद क्यों कागजों पर उग रहे हैं असंख्य पेड़ Posted on 23 Mar, 2024 05:04 PM

सरकार ने देश भर में पेड़-पौधे लगाकर हरियाली लाने के लिए कई कार्यक्रम चलाए और करोड़ों रुपए खर्च कर डाले। इससे महज कागज पर असंख्य पेड़ जरूर उग गए किन्तु असलियत में ये आज सीमित संख्या में ही नजर आते हैं। जहां जरूरत थी-चारे, फल, लकड़ी या खाद के लिए काम आने वाले पौधे की, वहां लुगदी और पल्प उद्योग में प्रयुक्त होने वाले पेड़ लगाए गए। वृक्षारोपण में न तो भू-क्षरण पर जोर दिया गया और न ही जल-संरक्षण पर।

आखिर कागज पर क्यों उग रहे हैं असंख्य पेड़
वन में निहित है जीवन का अस्तित्व
जानिए वन, पर्यावरण और मानव का अटूट संबंध के बारे में
Posted on 14 Mar, 2024 03:08 PM

वन, पर्यावरण और मानव का अटूट संबंध है। मानव अपनी सभी उमंगों का आनंद वन और पर्यावरण के संग ही पा सकता है। प्रकृति की हरियाली और शीतल वायु सभी का मन मोह लेती है, यहाँ आ कर मनुष्य अपनी सारी थकावट और मानसिक तनाव से मुक्त हो जाता है। प्रकृति की गोद में पर्यावरण के संग रहना ऐसा सुखद लगता है जिसका वर्णन शब्दों में करना बहुत कठिन है। वनों और संतुलित पर्यावरण से ही हमारा अस्तित्व है, वनों का विनाश मानव

वन में निहित है जीवन का अस्तित्व
अनेक रूपों में मौजूद है बांस | Bamboo Characteristics & Uses
जानिए बांस के उपयोग और फायदे के बारे में | Get information on uses and benefits of bamboo Posted on 01 Jan, 2024 12:18 PM

सदियों पुरानी घास की प्रजाति बांस सिर्फ वंश बढ़ने का आशीर्वाद ही नहीं देता, दूसरे पौधे को कटने से भी बचाता है। मांगलिक कार्यों के गवाह बनने वाले बांस की खेती अब आधुनिक तकनीक के साथ मिलकर कई नए रूपों में सामने आ रही है। बांसुरी तो बजती ही हैं, इस खेती ने रोजगार के कई और राग भी छेड़े हैं।

अनेक रूपों में मौजूद है बांस
वृक्षों के आक्रामक प्रजातियों से मानव और वन को खतरा
उत्तराखंड जो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता से सभी को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. विगत कई वर्षो से वृक्षों की आक्रामक प्रजातियों की बढ़ती संख्या को अनदेखा करता रहा, परंतु अब यही आज राज्य के लिए चिन्ता का विषय बनते जा रहे हैं. इन प्रजातियों से न केवल राज्य में वनों को वरन् वन्य जीवों को भी नुकसान हो रहा है. राज्य में वनों का अस्तित्व देखा जाए तो 40-50 वर्ष पूर्व राज्य में बाज, उतीस, खड़िग, भीमल, क्वैराल, पदम, काफल, बेडू जैसी प्रजातियों के जंगल हुआ करते थे, Posted on 22 Dec, 2023 02:23 PM

उत्तराखंड जो अपनी प्राकृतिक सुन्दरता से सभी को अपनी ओर आकर्षित करता रहा है. विगत कई वर्षो से वृक्षों की आक्रामक प्रजातियों की बढ़ती संख्या को अनदेखा करता रहा, परंतु अब यही आज राज्य के लिए चिन्ता का विषय बनते जा रहे हैं. इन प्रजातियों से न केवल राज्य में वनों को वरन् वन्य जीवों को भी नुकसान हो रहा है.

वृक्षों के आक्रामक प्रजातियों से मानव और वन को खतरा,Pc-चरखा फीचर
हिमालय का भूगोल बदल देगा नया वन कानून
नये वन कानून के प्रावधानों पर पर्यावरणविद् को आशंका है कि यह 'वन' की परिभाषा और सुप्रीम कोर्ट के 1996 के गौडावर्मन फैसले को पलट देगा। इस फैसले ने बहुत हद तक वन संरक्षण को बढ़ावा दिया था क्योंकि इसके तहत पेड़ों वाले उन इलाकों को भी वन कानून के दायरे में ला दिया गया था जो औपचारिक रूप से 'वन' के रूप में अधिसूचित नहीं थे, लेकिन जंगल माने जा सकते थे Posted on 27 Oct, 2023 05:22 PM

संसद के मानसून सत्र में नया वन (संरक्षण) कानून संसद यानी वन (संरक्षण एवं संवर्द्धन) विधेयक पारित हो गया। वन संरक्षण अधिनियम, 1980 के बदले आने वाले इस कानून की विशेषता है कि इसमें अंतरराष्ट्रीय सीमाओं से 100 किमी.

हिमालय का भूगोल बदल देगा नया वन कानून
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