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/topics/conservation-reducing-water-usage
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पानी मानव की ही नहीं, प्रत्येक प्राणी की आवश्यकता है। इसके बगैर जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती। प्रकृति बड़ी दयालु है जो हर वर्ष वर्षा के मौसम में नदी, नाले, तालाब, झील आदि को पानी से लबालब भर देती है। यदि हम इनमें एकत्र जल को संजोकर रख सकें, तो यह आने वाले जल-संकट से मुक्ति दिला सकता है।
उत्तराखंड के पर्वतीय इलाकों में प्राकृतिक जल स्रोत हजारों गांवों की जल जीवन रेखा है। इन्हें पन्यारा, नौला, छौई, धारा इत्यादि नामों से जाना जाता है। यह जल स्रोत प्राचीन समय से ही गांव में पीने एवं अन्य घरेलू आवश्यकताओं के लिए जलापूर्ति का मुख्य जरिया रहे हैं।