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संघर्ष और विवाद
एसवाईएल नहर को मुकम्मल करने की जिम्मेदारी पंजाब की- सुप्रीम कोर्ट
Posted on 14 Nov, 2016 03:56 PMपंजाब ने सतलुज-यमुना लिंक नहर के निर्माण की जिम्मेदारी से बचन
सतलुज-यमुना जल विवाद
Posted on 14 Nov, 2016 12:39 PM
पंजाब और हरियाणा के बीच सतलुज यमुना के जल-बँटवारे को लेकर विवाद पिछले 50 साल से भी ज्यादा समय से गहराया हुआ है। पंजाब सरकार का कहना है कि राज्य में जल का स्तर बहुत कम है। गोया हम सतलुज-यमुना नहर के जरिए हरियाणा को पानी देते हैं तो पंजाब में पानी का संकट पैदा हो जाएगा। वहीं हरियाणा सरकार सतलुज के पानी पर अपना अधिकार जता रही है।
आसान नहीं एसवाईएल नहर विवाद का हल
Posted on 14 Nov, 2016 11:51 AM
बीते दिनों सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब सरकार द्वारा बनाए गए सतलुज यमुना लिंक नहर समझौते को निरस्त करने वाले कानून को असंवैधानिक करार दे दिया। इससे सुप्रीम कोर्ट का सन 2002 और 2004 का आदेश प्रभावी हो गया है जिसमें कहा गया था कि केन्द्र सरकार नहर का कब्जा लेकर लिंक नहर का बकाया निर्माण पूरा कराए।
सिंधु जल संधि में भारतीय हितों की अनदेखी
Posted on 01 Nov, 2016 10:18 AM
भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु जल संधि को लेकर छिड़ा विवाद सुलझता नहीं दिख रहा है। भारत ने स्पष्ट तौर पर कहा था कि इस संधि को जारी रखने के लिये आपसी विश्वास और सहयोग अहम है। यह जल संधि भारत और पाकिस्तान के बीच दो बड़े युद्धों और खराब रिश्तों के बीच भी बनी रही है।
कावेरी युद्ध के मुहाने पर खड़ा देश
Posted on 31 Oct, 2016 10:00 AMतमिलनाडु को पीने के पानी के साथ सिंचाई के लिये भी पानी चाहिए
खेती में बदलाव से सुलझेगा कावेरी विवाद
Posted on 29 Oct, 2016 11:10 AMपिछले दिनों कावेरी जल विवाद को लेकर हुई हिंसक झड़प से पता चलता है कि पानी कितना जरूरी है। यह झड़प इस ओर भी इशारा करता है कि आने वाले दिनों में पानी को लेकर किस हद तक संघर्ष हो सकता है।
कावेरी मुद्दे को ध्यान में रखते हुए अब यह बहुत जरूरी हो गया है कि पानी की किल्लत की समस्या को गम्भीरता से लिया जाये और इसका माकूल हल तलाशा जाये ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो।
कावेरी जल विवाद के पीछे मोटे तौर पर इस नदी के पानी पर तमिलनाडु और कर्नाटक का मालिकाना हक वजह है।
सिंधु जल समझौते की पृष्ठभूमि
Posted on 27 Oct, 2016 12:10 PM
‘सिंधु के मैदानों ने मनुष्य को वो परिस्थितियाँ सौंपी जिससे मनुष्य दुनिया का सबसे विशाल संलग्न सिंचाई नेटवर्क बना सका। कुदरत ने पृथ्वी पर कहीं भी पानी की ऐसी भारी-भरकम मात्रा नहीं दी है जिसे बगैर जलाशय में इकट्ठा किये केवल गुरुत्वाकर्षण के जरिए उपयोग में लाया जा सके।’ -एलॉयस आर्थर मिशेल ने अपनी पुस्तक ‘द इंडस रिवर्स: ए स्टडी ऑफ इफेक्ट ऑफ पार्टिशन में यही लिखा है। इस पुस्तक से उन परिस्थितियों की जानकारी मिलती है जिसमें भारत और पाकिस्तान के बीच सिंधु और सिंधु घाटी की नदियों के जल के बँटवारे के लिये समझौता की जरूरत पड़ी।
दरअसल, भारत-विभाजन के वक्त जब सिंधु घाटी की नदियों पर बने अनेक सैलाबी नहरों में जलप्रवाह बन्द हो गया और नदी, नहर तथा सिंचित क्षेत्र अलग-अलग देशों में चले गए तब विश्व बैंक की मध्यस्थता में यह समझौता हो सका। 1948 से 1960 के बीच कई दौर में वार्ताएँ हुईं, दस्तावेजों और सूचनाओं का आदान-प्रदान हुआ।
नदी विवादों में कहाँ गुम है राष्ट्रीय जलनीति
Posted on 13 Oct, 2016 04:39 PMबीते बीस सालों में भूजल भण्डार की ही तरह हमने नदियों के पानी
सिंधु जल संधि - भारत का सबसे मजबूत हथियार
Posted on 13 Oct, 2016 03:36 PMउड़ी के सैन्य ठिकाने पर हुए सीमा पार के खूनी आतंकी हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार के लिये पहले जैसा रुख अपनाये रखना मुश्किल होगा। मोदी के सत्ता संभालने के बाद से पाकिस्तान की शह पर उड़ी जैसे अनेक हमले हो चुके हैं। अन्य हमले अफगानिस्तान के हेरात, मजार-ए-शरीफ और जलालाबाद में तथा भारत में गुरदासपुर, ऊधमपुर, पठानकोट और पंपोर में हुए हैं।