Posted on 30 Aug, 2014 11:05 AMआदिवासी हो या आम किसान, जीविका के लिए जल, जंगल और जमीन पर ही निर्भर रहा है लेकिन आजादी के छ दशक बीत जाने के बाद उसे अपना हक पाने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है। सदियों से नदी के किनारे और जंगल में बसे लोगों का इन संसाधनों पर नैसर्गिक अधिकार रहा है लेकिन नव-उदारवादी व्यवस्था की आड़ में सरकार अक्सर इन्हें इनके अधिकार से वंचित करती रही है। विकास के नाम पर इन्हें शहरों की झुग्गियों में धकेलने की कोश