Posted on 28 Aug, 2010 07:44 AMप्रकृति हमें वह सबकुछ प्रदान करने में समर्थ है, जिसकी हमें सामान्य तौर पर आवश्यकता पड़ती है। अनादिकाल से प्रकृति पर विजय पा लेने की आकांक्षा आधुनिक विज्ञान युग में हमें फलीभूत होते दिखाई पडने लगी है। हमारे इस घमंड ने ही हमें विनाश के कगार पर ला खड़ा किया है। यह तो आने वाला समय ही बताएगा कि हम अपनी इस जिद को छोड़कर प्रकृति की छाया में मानवता को बचाना चाहते हैं या नहीं।स्तुशिल्पी प्रकृति से अत्यधिक प्रेरणा लेते हैं। उन्हें लम्बे पेडों से ऊँचे भवनों के बारे में सोचने में मदद मिली और उड़ने वाले चिडरा (डेगन लाय) से हेलिकॉप्टर बनाने की प्रेरणा मिली थी। हमारी अधिकांश उपलब्धियाँ प्रकृति से हैं परंतु हम यह समझ ही नहीं पाते। सक्रिय कार्यकर्ता, दार्शनिक और रचनाशील जेनी बेनीयस ने यह अपना मिशन ही बना लिया है कि बताया जाए कि हम प्रकृति से क्या-क्या लेते हैं। उन्होंने तथा अन्य वैज्ञानिकों ने अमेरिका के मोन्टाना में ‘बायो मिमिकरी इंस्टिट्यूट‘ (जैव नकल संस्थान) के माध्यम से प्रकृति के सिद्धान्त पर आधारित बनी वस्तुओं के बारे में पुनः सीखने का उपक्रम प्रारंभ भी कर दिया है। बेनीयस का विचार है कि प्रकृति के अवलोकन तथा उन्हें समझने और इन प्रक्रियाओं और डिजाइनों की नकल करने से मनुष्यों की