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नदियां
पानी पर गलत बयानी
Posted on 30 Aug, 2010 09:05 AM महाराष्ट्र के जलसंसाधन मंत्री की विदर्भ में ताप विद्युतगृहों के विरुद्ध चल रहे संघर्ष को समाप्त करने के लिए अमरावती शहर के सीवेज के पानी के इस्तेमाल को लेकर भ्रामक घोषणा से पूरे इलाके में असंतोष व गुस्सा फैल गया है। इस आलेख से यह स्पष्ट होता है कि पानी की जबरदस्त कमी ने अब गंदे पानी की मिल्यिकत प्राप्त करने के भी कई दावेदार खड़े कर दिए हैं। महाराष्ट्र के अमरावती ताप विद्युतगृह का वर्षों से सार्वजनिक विरोध हो रहा है। विदर्भ क्षेत्र के किसानों को डर है कि यह विद्युत संयंत्र अपर-वर्धा सिंचाई परियोजना से पानी लेगा। गत 17 जून को इस विषय में अचानक ही समझौते के आसार नजर आने लगे। राज्य के जलसंसाधन मंत्री अमरावती के नागरिक प्रतिनिधियों और राजनीतिज्ञों से मिले और इस दौरान उन्होंने यह घोषणा कि यह ताप विद्युतगृह अपरवर्धा के पानी को छुएगा भी नहीं और इसके बदले यह अमरावती शहर के सीवरेज के पानी को रिसाइकल कर इस्तेमाल करेगा।केंद्रीय पर्यावरण मंत्री को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने समझाई मुश्किलें
Posted on 27 Aug, 2010 01:16 PMहरिद्वार, 25 अगस्त। उत्तराखंड के मुख्यमंत्री डा.उत्तराखंड के मुख्यमंत्री ने गंगा के बहाव के मुद्दे को केंद्र के पाले में डाला
Posted on 16 Aug, 2010 03:52 PMलोहारी नागपाला परियोजना निरस्त करने की मांग की
बांधों को लेकर फिर बवाल
Posted on 14 Aug, 2010 10:30 AMउत्तराखंड सरकार ने किए 56 जलविद्युत परियोजनाओं के आबंटन रद्द
लोहारी नागपाल परियोजना बंद कराने को बाबा रामदेव का धरना
Posted on 10 Aug, 2010 10:15 AMहरिद्वार, 9 अगस्त। आज अगस्त क्रांति दिवस के रोज योग गुरु बाबा रामदेव ने सड़कों पर जाम लगाया। शंकराचार्य चौक पर धरना दिया। केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर जहर उगला। रामदेव ने उत्तरकाशी-गंगोत्री के बीच बन रही लोहारी नागपाला जल बिजली परियोजना को तुरंत बंद करने की मांग की। साथ ही गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने की बजाय गंगा को राष्ट्रीय धरोहर व विश्व धरोहर घोषित करने की मांग केंद्र सरकार से की और गंगा कीकराहती नदियां
Posted on 31 Jul, 2010 09:53 AM आमी का गंदा जल सोहगौरा के पास राप्ती नदी में मिलता है। सोहगौरा से कपरवार तक राप्ती का जल भी बिल्कुल काला हो गया है। कपरवार के पास राप्ती सरयू नदी में मिलती है। यहां सरयू का जल भी बिल्कुल काला नज़र आता है। बताते हैं कि राप्ती में सर्वाधिक कचरा नेपाल से आता है। उसे रोकने की आज तक कोई पहल नहीं हुई। पिछले दिनों राप्ती एवं सरयू के जल को इंसान के पीने के अयोग्य घोषित किया गया। कभी जीवनदायिनी रहीं हमारी पवित्र नदियां आज कूड़ा घर बन जाने से कराह रही हैं, दम तोड़ रही हैं। गंगा, यमुना, घाघरा, बेतवा, सरयू, गोमती, काली, आमी, राप्ती, केन एवं मंदाकिनी आदि नदियों के सामने ख़ुद का अस्तित्व बरकरार रखने की चिंता उत्पन्न हो गई है। बालू के नाम पर नदियों के तट पर क़ब्ज़ा करके बैठे माफियाओं एवं उद्योगों ने नदियों की सुरम्यता को अशांत कर दिया है। प्रदूषण फैलाने और पर्यावरण को नष्ट करने वाले तत्वों को संरक्षण हासिल है। वे जलस्रोतों को पाट कर दिन-रात लूट के खेल में लगे हुए हैं। केंद्र ने भले ही उत्तर प्रदेश सरकार की सात हज़ार करोड़ रुपये की महत्वाकांक्षी परियोजना अपर गंगा केनाल एक्सप्रेस-वे पर जांच पूरी होने तक तत्काल रोक लगाने के आदेश दे दिए हों, लेकिन नदियों के साथ छेड़छाड़ और अपने स्वार्थों केगंगा के लिए अनशन
Posted on 29 Jul, 2010 12:09 PMगंगा भागीरथी पर बन रही परियोजनाओं के विरोध में आईआईटी के सेवानिवृत प्रोफ़ेसर और मशहूर पर्यावरणवादी प्रोफेसर जीडी अग्रवाल फिर से आमरण अनशन पर बैठ गए हैं।
हिमालय में खुलता एक मोर्चा
Posted on 24 Jul, 2010 11:51 AMपिछले दिनों हिमाचल के रोहतांग से लेह तक एक सुरंग के उद्घाटन की खबर को मीडिया में काफी जगह मिली थी। ऐसा इसलिए भी क्योंकि इसका उद्घाटन करने यूपीए की अध्यक्ष सोनिया गांधी खुद गई थीं। राज्य के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इस सुरंग को रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण करार देते हुए चीन पर आरोप लगाया था कि वह सीमा पर बड़े पैमाने पर बुनियादी ढांचा संबंधी निर्माण कार्य करवा रहा है, जिससे पर्यावरण और सीमा
केलो नदी को बचाने की जरूरत
Posted on 08 Jun, 2010 07:32 AMछत्तीसगढ़, रायगढ़ का ख़मरिया गांव भारत के बाक़ी गांवों से कम भाग्यशाली नहीं है. इसकी सा़फ-सुथरी गलियां, सलीके से बनाए गए मिट्टी के घर यह बताते हैं कि दूसरे ग्रामीण इलाक़ों की समृद्धि किस तरह हो सकती है. केलो नदी इसी गांव से होकर गुज़रती है. यही नदी इन इलाक़ों की कृषि के लिए सिंचाई का साधन है. गांव से मुख्य मार्ग तक पहुंचने का साधन भी आसान है. बिजली आदि सभी सुविधाएं होने के कारण शिक़ायत की कोई वजह नहीं हो सकती है. लेकिन, यदि कोई इस गांव के आवासीय इलाक़ों से होकर गुज़रता है तो उसके मन में इसकी ग़लत छवि क्यों उभर आती है? सबसे ख़ास बात यह कि वह पानी जो खमरिया और इसके पड़ोसी गांवों का पालन पोषण करता है, काला हो रहा है. यह पानी पीने, नहाने और सिंचाई के लायक़ बिल्कुल ही नहीं रह गया है.
खमरिया के पास केलो नदी की जलधारा कोयला खान मालिकों और मोनेट इस्पात एवं ऊर्जा लिमिटेड द्वारा नियंत्रित होती है. यदि कोई चिड़िया उड़कर आए तो कोयले की खान से खमरिया गांव की दूरी तीन किलोमीटर से ज़्यादा नहीं होगी.