हरिद्वार, 9 अगस्त। आज अगस्त क्रांति दिवस के रोज योग गुरु बाबा रामदेव ने सड़कों पर जाम लगाया। शंकराचार्य चौक पर धरना दिया। केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर जहर उगला। रामदेव ने उत्तरकाशी-गंगोत्री के बीच बन रही लोहारी नागपाला जल बिजली परियोजना को तुरंत बंद करने की मांग की। साथ ही गंगा को राष्ट्रीय नदी घोषित करने की बजाय गंगा को राष्ट्रीय धरोहर व विश्व धरोहर घोषित करने की मांग केंद्र सरकार से की और गंगा की धारा अविरल व निर्मल बहते रहने की मांग की।
सोमवार को बाबा रामदेव ने अगस्त क्रांति की सालगिरह के रोज शंकराचार्य चौक में मजमा लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार खास तौर से प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने संतों के साथ धोखा किया है। वायदा खिलाफी की है। साधु संतों से प्रधानमंत्री ने वायदा किया था कि गंगा की धारा को अविरल बहने दिया जाएगा। परंतु प्रधानमंत्री ने लोहारी नागपाला परियोजना को मंजूरी देकर गंगा की अविरल धारा को बाधित करने का काम किया।
बाबा रामदेव ने कहा कि इक्कीस दिन से वैज्ञानिक प्रो. जीडी अग्रवाल आमरण अनशन पर बैठे हैं। उनकी मांग लोहारी नागपाला परियोजना बंद कराने की है। परंतु केंद्र सरकार तर्क दे रही है कि इस परियोजना पर अब तक 600 करोड़ रुपया खर्च हो चुका है। केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि मंत्रियों, नेताओं, अफसरों का करोड़ों रुपया विदेशी बैंकों में जमा है। सरकार उस पैसे को देश में लाए तो लोहारी नागपाला जैसी कई बिजली परियोजनाएं पूरी हो जाएंगी।
उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार ने उनकी बातें नहीं मानी तो वे पूरे भारत में विभिन्न शहरों में जाकर धरना देंगे। और जाम लगाएंगे। पूरा भारत बंद कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश की जनता अब नेताओं की असलियत जान चुकी है और वह नेताओं को सबक सिखाएगी।
बाबा रामदेव के आंदोलन को समर्थन देते हुए महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी ने कहा कि गंगा हमारी आस्था व श्रद्धा का प्रतीक है। गंगा को बचाने के लिए वह अपना ‘शीष’ कटाने को तैयार हैं। परंतु कोई उनकी मां ‘गंगा मैया’ को खत्म न करे। उसकी निर्मलता व अविरलता से खिलवाड़ न करे। इतना कह कर वयोवृद्ध संत स्वामी सत्यामित्रानंद गिरी रो पड़े। माहौल भावुक हो गया और स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी को संभालते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि जब बेटे हों तो पिता को ‘शीष’ कटाने की जरुरत नहीं है। हम संतों के ‘शीष’ नहीं कटने देंगे और हम सत्ताधारियों का संहार करेंगे।
स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि आज गंगा संकट में है। यदि गंगा खत्म हो जाएगी तो न हमारी सभ्यता बचेगी न ही हमारे संस्कार बचेंगे। गंगा हमारी आस्था व श्रद्धा की प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर से आकर जाने-माने वैज्ञानिक प्रो. जीडी अग्रवाल गंगा के सवाल पर आमरण अनशन पर बैठे हैं। हमें उनके जीवन को बचाने के लिए खुद का भी बलिदान देना पड़े तो हम तैयार हैं। उन्होंने कहा कि गंगा की अविरल धारा से छेड़छाड़ करके केंद्र सरकार गंगा को उनके ही मायके में मारने पर तुली है। उन्होंने कहा कि अब निर्णायक लड़ाई का वक्त आ गया है।
इस मौके पर षड् दर्शन साधु समाज के अध्यक्ष महंत दर्शन सिंह, महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद, महंत राजेंद्र दास, साध्वी समर्पिता समेत कई संतों ने भाषण दिया। कार्यक्रम का संचालन डा. रजनीकांत शुक्ला ने किया। कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अशोक त्रिपाठी, राजेंद्र पंकज आदि ने भाषण दिए। एक ज्ञापन प्रधानमंत्री के नाम जिलाधिकारी को दिया गया। जिसमें लोहारी नागपाला परियोजना को बंद कराने की मांग केंद्र सरकार से की।
सोमवार को बाबा रामदेव ने अगस्त क्रांति की सालगिरह के रोज शंकराचार्य चौक में मजमा लगाया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार खास तौर से प्रधानमंत्री डा. मनमोहन सिंह ने संतों के साथ धोखा किया है। वायदा खिलाफी की है। साधु संतों से प्रधानमंत्री ने वायदा किया था कि गंगा की धारा को अविरल बहने दिया जाएगा। परंतु प्रधानमंत्री ने लोहारी नागपाला परियोजना को मंजूरी देकर गंगा की अविरल धारा को बाधित करने का काम किया।
प्रो. जीडी अग्रवाल आमरण अनशन के इक्कीस दिन
बाबा रामदेव ने कहा कि इक्कीस दिन से वैज्ञानिक प्रो. जीडी अग्रवाल आमरण अनशन पर बैठे हैं। उनकी मांग लोहारी नागपाला परियोजना बंद कराने की है। परंतु केंद्र सरकार तर्क दे रही है कि इस परियोजना पर अब तक 600 करोड़ रुपया खर्च हो चुका है। केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि मंत्रियों, नेताओं, अफसरों का करोड़ों रुपया विदेशी बैंकों में जमा है। सरकार उस पैसे को देश में लाए तो लोहारी नागपाला जैसी कई बिजली परियोजनाएं पूरी हो जाएंगी।
उन्होंने कहा कि यदि केंद्र सरकार ने उनकी बातें नहीं मानी तो वे पूरे भारत में विभिन्न शहरों में जाकर धरना देंगे। और जाम लगाएंगे। पूरा भारत बंद कराया जाएगा। उन्होंने कहा कि देश की जनता अब नेताओं की असलियत जान चुकी है और वह नेताओं को सबक सिखाएगी।
बाबा रामदेव के आंदोलन को समर्थन देते हुए महामंडलेश्वर स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी ने कहा कि गंगा हमारी आस्था व श्रद्धा का प्रतीक है। गंगा को बचाने के लिए वह अपना ‘शीष’ कटाने को तैयार हैं। परंतु कोई उनकी मां ‘गंगा मैया’ को खत्म न करे। उसकी निर्मलता व अविरलता से खिलवाड़ न करे। इतना कह कर वयोवृद्ध संत स्वामी सत्यामित्रानंद गिरी रो पड़े। माहौल भावुक हो गया और स्वामी सत्यमित्रानंद गिरी को संभालते हुए बाबा रामदेव ने कहा कि जब बेटे हों तो पिता को ‘शीष’ कटाने की जरुरत नहीं है। हम संतों के ‘शीष’ नहीं कटने देंगे और हम सत्ताधारियों का संहार करेंगे।
स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा कि आज गंगा संकट में है। यदि गंगा खत्म हो जाएगी तो न हमारी सभ्यता बचेगी न ही हमारे संस्कार बचेंगे। गंगा हमारी आस्था व श्रद्धा की प्रतीक है।
उन्होंने कहा कि मुजफ्फरनगर से आकर जाने-माने वैज्ञानिक प्रो. जीडी अग्रवाल गंगा के सवाल पर आमरण अनशन पर बैठे हैं। हमें उनके जीवन को बचाने के लिए खुद का भी बलिदान देना पड़े तो हम तैयार हैं। उन्होंने कहा कि गंगा की अविरल धारा से छेड़छाड़ करके केंद्र सरकार गंगा को उनके ही मायके में मारने पर तुली है। उन्होंने कहा कि अब निर्णायक लड़ाई का वक्त आ गया है।
इस मौके पर षड् दर्शन साधु समाज के अध्यक्ष महंत दर्शन सिंह, महामंडलेश्वर स्वामी ज्ञानानंद, महंत राजेंद्र दास, साध्वी समर्पिता समेत कई संतों ने भाषण दिया। कार्यक्रम का संचालन डा. रजनीकांत शुक्ला ने किया। कार्यक्रम में भाजपा के वरिष्ठ नेता तथा मेला प्राधिकरण के उपाध्यक्ष अशोक त्रिपाठी, राजेंद्र पंकज आदि ने भाषण दिए। एक ज्ञापन प्रधानमंत्री के नाम जिलाधिकारी को दिया गया। जिसमें लोहारी नागपाला परियोजना को बंद कराने की मांग केंद्र सरकार से की।
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