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नदियां
भरपूर बजट फिर भी उजली नहीं हुई गंगा
Posted on 22 Sep, 2017 10:36 AMउत्तर प्रदेश से लेकर बंगाल की खाड़ी तक मैली हो चुकी गंगा की सफाई के लिये हजारों करोड़ का बजट होने के बावजूद वह उजली क्यों नहीं हो पा रही है।
केन बेतवा प्रोजेक्ट पर रॉयटर्स की पक्षपातपूर्ण, भ्रामक और मिथ्या रिपोर्ट
Posted on 12 Sep, 2017 12:50 PM1 सितंबर, 2017 को रॉयटर्स ने मोदी सरकार के केन-बेतवा प्रोजेक्ट को फोकस करते हुए नदियों को जोड़ने को लेकर एक रिपोर्ट (i) प्रकाशित की थी। इस रिपोर्ट को स्थानीय, राष्ट्रीय और अन्तरराष्ट्रीय मीडिया में प्रमुखता से जगह दी गयी। (यहाँ हम जो नोट दे रहे हैं, वह एक पत्र की शक्ल में था। यह पत्र रॉयटर्स व थॉमसन रॉयटर्स के पदाधिकारियों को विगत 2 सितंबर 2017 को भेजा गया था, लेकिन इस नोट के लिखे जाने तक रॉ
बीहड़ भूमि का समतलीकरण - खतरा या अवसर (Leveling the Chambal Ravines - Right or Wrong)
Posted on 11 Sep, 2017 04:34 PMचम्बल नदी घाटी का लगभग 4,800 वर्ग किलोमीटर का क्षेत्र इस बीहड
नेशनल मिशन फॉर क्लीन गंगा में तब्दील होगा स्पर्श गंगा बोर्ड
Posted on 07 Sep, 2017 10:25 AMवैसे तो गंगा के सवाल पहले से ही गंगा के पानी के साथ तैरते रहे, परन्तु गंगा के सवाल वर्ष 1982 से इसलिये खड़े हैं कि गंगा संरक्षण और गंगा की अविरलता पर सरकारों ने अरबों रुपयों का वारा-न्यारा किया है। हालाँकि गंगा की धारा अपने प्राकृतिक स्वरूप से कुछेक जगहों को छोड़कर अविरल बहती रही है, मगर गंगा का पानी, बजट के आने से अत्यधिक प्रदूषित होता जा रहा है। गंगाज
यदि नदियाँ बचायेंगे तभी हम बचेंगे
Posted on 31 Aug, 2017 10:05 AMगौरतलब है कि देश में राजीव गांधी के प्रधानमंत्रित्व काल में आज से तकरीबन तीस साल पहले गंग
नदी विज्ञान की नजर से नदी विकास
Posted on 18 Aug, 2017 01:01 PM
नदी, धरती पर पानी का हस्ताक्षर है। वह हस्ताक्षर जब धरती पर अपनी पहचान स्थापित करता है तो वह अकेला नहीं होता। उसमें सम्मिलित होता है धरती का वह हिस्सा जिसे कछार कहते हैं। उसमें सम्मिलित होती हैं वे छोटी-छोटी सहायक नदियाँ जो उस हस्ताक्षर की पहचान भी होती हैं। इसी कारण नदी और उसकी सहायक नदियों के बीच अंत-रंग सम्बन्ध होता है। वही सम्बन्ध नदी के प्रवाह का आधार है। उस सम्बन्ध को समझने के लिये वृक्ष का उदाहरण सबसे अधिक सटीक उदाहरण है। हर वृक्ष के तीन प्रमुख भाग होते हैं - धरती के नीचे जड़ों का ताना-बाना, धरती के ऊपर तना और शाखा तंत्र। शाखा तंत्र और तना, वृक्ष के वे भाग हैं, जिनसे वृक्ष के जीवित होने का अनुमान लगता है पर जब बात मुरझाते वृक्ष को जिन्दा करने की होती है तो बिना पढ़ा-लिखा व्यक्ति भी तने या शाखा तंत्र पर पानी नहीं डालता। वह उस धरती को पानी देता है जो जड़ों के ऊपर स्थित है।
विस्थापन का रास्ता
Posted on 12 Aug, 2017 11:37 AMभारत-नेपाल की अन्तरराष्ट्रीय सीमा पर बनने वाले पंचेश्वर बाँध से तीस हजार परिवारों का विस्थापन तय है। सरकार को ऐसी योजना बनाने से पहले आबादी का ख्याल रखना चाहिए।