/topics/rivers
नदियां
मंदाकिनी घाटी में आग
Posted on 14 Jul, 2011 12:37 PMमहात्मा गांधी की पुण्यतिथि 30 जनवरी को मंदाकिनी नदी पर ‘लार्सन एंड टूब्रो’ कंपनी द्वारा बनाई जा रही सिंगोली-भटवाड़ी जल विद्युत परियाजना का विरोध कर रहे दो आन्दोलनकारियों, सुशीला भण्डारी एवं जगमोहन झिंक्वाण को पुलिस प्रशासन ने गिरफ्तार कर लिया। ये लोग प्रदर्शन कर वापस लौट रहे थे तभी बिना आरोप बताये प्रशासन ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। सेवानिवृत्त सैनिक जगमोहन झिंक्वाण के साथ पुलिस द्वारा मौके पर
जल विद्युत परियोजनाओं से त्रस्त किसान
Posted on 14 Jul, 2011 12:21 PMउत्तराखंड में बन रही 558 जल-विद्युत परियोजनाओं के बारे में बहुत सारी अफवाहें हैं। सबसे बड़ी अफवाह यह है कि इन परियोजनाओं के लिये सरकार और उसके अफसर निजी कंपनियों से पैसा ले रहे हैं। जल-विद्युत बनाने और बेचने में बहुत अधिक फायदा है, जिसका एक छोटा सा भाग यदि योजना की स्वीकृति पाने के लिए नेता-अफसरों को दिया जाये तो वह फायदे का ही सौदा है। नदी का पानी, जिससे बिजली बनती है, लगातार मुफ्त मिलता रहता
कुछ बड़ी परियोजनाओं के सफल प्रयोग
Posted on 02 Jul, 2011 11:13 AMअंतरबेसिन जल स्थानांतरण द्वारा सिंचाई, बाढ़ की रोकथाम और जल प्रबंधन के प्रयास इससे पहले भी किए गए हैं। देश और विदेश में ऐसे सफल प्रयोगों द्वारा जनजनित समस्याओं को दूर करके खुशहाल जीवन जिया जा रहा है।
प्रस्तावित नदी जोड़ परियोजना (National River Linking Project)
Posted on 02 Jul, 2011 10:44 AMएनडब्लूडीए के नेशनल पर्सपेक्टिव प्लान के तहत हिमालयी और प्रायद्वीपीय क्षेत्र की चिह्नित नदियों एवं स्थानों को कुल 30 नहरों द्वारा आपस में जोड़ा जाना है। इनमें हिमालयी क्षेत्र में 14 और प्रायद्वीपीय क्षेत्र में 16 संयोजक नहरें शामिल हैं।
थम न जाए धारा
Posted on 02 Jul, 2011 10:14 AMदेश की जल समस्या के लिए नदी जोड़ने का नुस्खा डेढ़ सौ साल से भी पुराना है, लेकिन इस नुस्खे की पेचीदगियों ने हर बार ऐसी किसी भी कोशिश का रास्ता रोका है। इस कोशिश का सबसे बड़ा अवरोध पर्यावरण को होने वाला नुकसान है। नदियों को जोड़ना चाहिए या नहीं, जोड़ें तो कैसे व कितना और किस कीमत पर, ऐसे ढेरों सवाल नदियों के जोड़े जाने की कवायद पर मंडराते रहते हैं। करीब एक दशक पहले जब राजग सरकार के समय नदियों को
जल संकट से निजात का रास्ता
Posted on 24 Jun, 2011 12:26 PMमध्यप्रदेश में नदियों के पुनर्जीवन पर चल रहा है काम
नदियों पर संकट
Posted on 23 May, 2011 04:13 PMउत्तरी चीन की पीली नदी, भारत की गंगा नदी, पश्चिम अफ्रीका की नाइजर, संयुक्त राज्य अमेरिका की कोलोराडो घनी आबादी वाले इलाकों की प्रमुख नदियां हैं, जिनके प्रवाह में गिरावट आई है।
देश में पानी की स्थिति कमोबेश ऐसी हो गई है कि हर साल पानी को लेकर कुछ राज्यों में हाहाकार मच जाता है। कुछ राज्यों के शहरी क्षेत्रों में तो स्थिति खतरनाक स्तर तक पहुंच चुकी है। ठंड के एक-दो महीने छोड़ दिए जाएं तो शहरी क्षेत्रों में टैंकरों और सार्वजनिक पानी के नलों के आसपास बर्तनों की भीड़ के बीच अपना नंबर आने की आशा में महिलाओं और बच्चों का मजमा लगना आम हो गया है। पानी को लेकर मारपीट तो आम बात है। लगता है कि वह दिन दूर नहीं जब एक बाल्टी पानी के लिए आंखों से पानी आ जाए तो बड़ी बात नहीं होगी। जिस तरह से साल-दर-साल पानी की समस्या का सामना हम कर रहे हैं, उससे यह बात निश्चित है कि सब को एकजुट होकर प्रयास करने होंगे, नहीं तो हर पानी की बूंद पैसा मांगेगी और स्थिति यह भी हो सकती है कि भले ही हमारी जेब में पैसा तो हो लेकिन पीने के लिए पानी नहीं मिलेगा।बाँधों के सुनामी मुखाने में है उत्तराखंड
Posted on 21 May, 2011 01:09 PMउत्तराखण्ड के 10 पहाड़ी जनपदों का अधिकांश क्षेत्र भारत के अधिकतम भूकंप के क्षेत्र 5 माप पर आता है। जबकि मैदानी क्षेत्रों के चार जनपद 4 माप पर आते हैं। हिमालय की उम्र अभी बहुत कम है। भूवैज्ञानिकों के अनुसार हिमालय का निर्माण यूरेशियन व एशियन (बर्मीज प्लेटस) की आपसी टक्कर के कारण हुआ था। 100 मिलीयन वर्ष पहले गोडवाना लैंड वर्तमान अफ्रीका व अंटार्कटिका से टूटकर आये, भारतीय उपमहाद्वीप का ऊपरी हिस्सा
मिथक बन गई काली नदी
Posted on 13 May, 2011 11:01 AMकभी गांव वालों को विश्वास था कि इस नदी में स्नान करने से उम्र लंबी होती है, लेकिन वर्तमान में त
टौंस घाटी में पर्यावरण व मानवाधिकार पर हमला
Posted on 06 May, 2011 09:14 AMप्रस्तावित नैटवाड - मोरी जल विद्युत परियोजना (60 मेवा) 03.05.2011 की जन सुनवाई में असली मुद्दे गायब
03.05.2011 की जन सुनवाई स्थगित मानी जाये और पुनः मांगो के अनुसार हो
टौंस घाटी में प्रस्तावित 16 जल विद्युत परियोजनाओं में पहली जल विद्युत परियोजना, प्रस्तावित नैटवाड-मोरी जल विद्युत परियोजना (60 मेवा) की जनसुनवाई 3.5.2011 को हुई। यहां पर भी वही हुआ जैसा आज तक उत्तराखंड में होता आया है कि लोगों को जनसुनवाई में कोई जानकारी नहीं दी जाती है, वैसा ही हुआ।