जलवायु परिवर्तन

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April 30, 2024 As temperatures soar, what should India do to adapt to changing conditions to mitigate the adverse impacts of climate change?
Heat waves sweep across India (Image: Maxpixel, CC0 Public Domain)
April 25, 2024 Understanding the impact of heat on our world
Rising temperatures, rising risks (Image: Kim Kestler, publicdomainpictures.net)
March 30, 2024 A recent study finds that climate change induced extreme weather events such as droughts can increase the vulnerability of women to Intimate Partner Violence (IPV).
Droughts affect women the most (Image Source: Gaurav Bhosale via Wikimedia Commons)
December 8, 2023 Climate change is the focus at COP28: Technology must be included in the dialogue
An artist's illustration of artificial intelligence (Image: Google Deepmind, Pexels)
November 13, 2023 Policy and implementation gaps in reaching women farmers with climate-smart agriculture practices
There is a need to enhance extension services to women (Image: India Water Portal Flickr)
November 5, 2023 Honeywell’s environmental sustainability index, a quarterly index reveals a growing number of organisations globally are boosting annual sustainability investments by at least 50%, and are optimistic about achieving short- and long-term objectives
Environmental Sustainability Index gauges movement in corporate sentiment and investment on the sustainability front. (Image: Needpix)
प्रदूषण के कारण घट रही है पोलर बीयर की प्रजनन क्षमता
Posted on 10 Nov, 2010 08:59 AM
प्रदूषण ने प्रकृति के मनमोहक स्वरूप को पूरी तरह बिगाड़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। इस कड़ी में अब यह बात सामने आयी है कि ऑर्गेनोहेलोजेन कंपाउंड्स (ओएचसी) नामक प्रदूषक तत्व धुव्रीय भालूओं (नर-मादा) के ऑर्गन साइज को कम कर रही है। यह रिसर्च इनवायरनमेंट साइंस एंड टेक्नोलॉजी जर्नल में प्रकाशित हुई है। ओएचसी में डाइऑक्सिन, पोलीक्लोरिनेटेड बाइफेनल्स और अन्य कीटनाशक दवाईयां शामिल है।
गर्त में जाती 'अर्थ'
Posted on 03 Nov, 2010 11:00 AM जीवेम शरद: शतम् गाने वाला भारत लंबे अर्से तक ज्ञान और पूंजी दोनों का सिरमौर रहा। वक्त बीतने के साथ यह विकासशील देशों की श्रेणी में निचली पायदान पर खड़ा नजर आया। एक बार फिर बीतते वक्त के साथ भारत पूंजी के पैमाने पर मजबूत हो उभर रहा है। इसके साथ ही पर्यावरण को लेकर इसकी चिंताओं को भी तवज्जो मिलनी शुरू हो गई है। दिसंबर में कोपेनहेगेन में होने वाली पर्यावरण के मसलों से जुड़ी वर्ल्ड कॉन्फ्रेंस क
ग्लोबल वॉर्मिंग से बढ़ते 'समुद्री रेगिस्तान'
Posted on 03 Nov, 2010 10:38 AM
ग्लोबल वॉर्मिंग के बढ़ते दुष्प्रभावों से अब धरती का कोई भाग अछूता नहीं है। कहीं गरमी से पिघलते ग्लेशियर, अतिवृष्टि से डूबती तो कभी सूखे से तिड़कती जमीन से लेकर समुद्र भी अब बदलती जलवायु के कहर से कराह रहे हैं।

ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण नुकसान सिर्फ जमीन पर ही नहीं बल्कि महासागरों पर भी होने लगा है। हवाई यूनिवर्सिटी और अमेरिका के नेशनल मरीन फिशरीज सर्विस द्वारा समुद्री पारिस्थिकीय तंत्र पर प्रकाशित एक रिपोर्ट से पता चला है
Glacier
भरी गर्मी में बारिश-ओले, कहीं लेने के देने न पड़ जाएं
Posted on 03 Nov, 2010 08:47 AM
अमेरिका के दक्षिण पूर्वी इलाके में पिछले कुछ दशकों से गर्मी के मौसम में अधिक वर्षा हो रही है। मौसम विज्ञानियों का मानना है कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण हो रहे इन बदलावों के चक्कर में लेने के देने पड़ सकते हैं। ड्यूक यूनिवर्सिटी के पर्यावरणविदों ने इसके पीछे भी ग्लोबल वार्मिंग को जिम्मेदार माना है। उन्होंने इसका संबंध उत्तरी अटलांटिक उपोष्णकटिबंधीय (नैश) से जोड़ा है। शोधकर्ताओं ने बताया कि नैश
तूफानों के सामने को रहें तैयार, ग्लोबल वार्मिंग से बढ़ी ताकत
Posted on 03 Nov, 2010 08:32 AM
दुनिया को धीरे-धीरे अपनी चपेट में ले रही ग्लोबल वार्मिंग ने अपना रंग दिखाना शुरू कर दिया है। मौसम वैज्ञानिकों का कहना है कि अटलांटा, चीन और इंडोनेशिया में तूफानों के कहर में ग्लोबल वार्मिंग की अहम भूमिका है। पिछले कुछ सालों में दुनिया भर के कई देशों में तूफानों की संख्या में इजाफा हुआ है। नवीनतम शोध के मुताबिक इस सदी के अंत तक अटलांटा और न्यूयॉर्क में तूफानों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। रिसर्
सुंदरबन के आखिरी रक्षक
Posted on 02 Nov, 2010 10:07 AM बताया जाता है कि सुंदरबन के लगभग पाँच प्रतिशत बाघ आदमखोर हैं। यह अ
ग्लोबल वॉर्मिंग का बढ़ता असर
Posted on 02 Nov, 2010 09:51 AM

पिघलती बर्फ से तापमान में वृद्धि

जर्मन मौसम विभाग (डीडब्ल्यूडी) द्वारा इस साल का अप्रैल महीना 1820 से अब तक का सबसे गर्म अप्रैल माह दर्ज किया गया है। डीडब्ल्यूडी ने यह भी रिपोर्ट की है कि बीते साल की गर्मियाँ अपेक्षाकृत गरम रही हैं और तापमान औसतन 8.3 के बजाय 9.2 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ा है। तापमान में होती इस बढोतरी के चलते इस धारणा को भी बल मिला है कि ग्लोबल वॉर्मिंग अनुमान से ज्यादा औ

जलवायु परिवर्तन का जानलेवा असर बच्चों पर
Posted on 28 Oct, 2010 02:13 PM बच्चे जलवायु-परिवर्तन के जिम्मेदार तो नहीं हैं लेकिन जलवायु परिवर्तन की सबसे गहरी चोट उन्हीं को लगेगी। जलवायु-परिवर्तन से बच्चों की जिन्दगी को सबसे ज्यादा खतरा है।बाल अधिकारों की वैश्विक संस्था सेव द चिल्ड्रेन द्वारा जारी फीलिंग द हीट-चाइल्ड सरवाईवल इन चेजिंग क्लाइमेट नामक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर बच्चों की सेहत को सबसे बड़ा खतरा जलवायु परिवर्तन से है।(देखें नीचे दी गई लिंक)
जहाँ मीठा पानी एक सपना है
Posted on 27 Oct, 2010 12:46 PM चेतावनी जारी हो गई है। पता नहीं हम कहाँ जाएंगे। वह मंदिर जहाँ छह महीने पहले तक घंटियां गूंजा करती थी, वह चाय की छोटी दूकान जहाँ लोग चाय पर अपनी सुबहे, शामें बांटा करते थे...सब डूबने के इंतजार में हैं। बांध नंगे हो चुके हैं। तूफानी हवा, और खारे पानी को रोकने वाले मैन्ग्रूव जंगल गायब है। उसकी जड़े जो मजबूती से जमीन को पकड़ कर रखती थी वे उजड़ चुकी हैं। पानी को आना है, द्वीप को उसी तरह डूबना है जैसे कुछ साल पहले सागर आईलैंड के पास का एक द्वीप लोहाछाड़ा डूब गया था।अनादि राय दरार पड़े खेत की तरफ फटी फटी आंखों से देख रहा है। वहाँ से उसकी निगाहें खारे पानी के तालाब की तरफ जाती है और उसकी आंख में तालाब का खारा पानी भर जाता है।

डूबते द्वीप के साथ उसका दिल भी डूब रहा है। ना फटी जमीन का कोई रफूगर है ना उसकी फूटी किस्मत का।

गीली आंखों से देखता है, दूर से उसकी माँ गैलन में मीठा पानी लेकर चली आ रही है। चाची छवि राय अपनी बेटी को पुकार रही है...वह जिस द्वीप पर है वहाँ कुछ भी अनुकूल नहीं है...जीवन हर पल खतरे में। छह महीने पहले आए समुद्री चक्रवात आइला ने उनके समेत पूरे द्वीप के लोगो का जीवन तबाह कर दिया है। खेतों में खारा पानी क्या घुसा, किस्मत में दरारे पड़ गई। अब तीन साल तक गाँव में कोई खेती नहीं हो पाएगी। जमीन फटी रहेगी। कोई फसल नहीं उग सकती। तालाब ना जाने कब अपने खारेपन से उबरेगा। मीठा पानी एक सपना है। घर अब भी वैसे ही टूटे हैं, किसी भी रात गाँव का कोई एक सदस्य गायब हो सकता है।
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