अजमेर के आठों ब्लॉक अब भू-गर्भीय जल की मौजूदगी के मामले में अत्यधिक दोहित ब्लॉक्स बन गए हैं। यह कहना है केंद्रीय भूमिगत जल बोर्ड के वरिष्ठ वैज्ञानिक एमएन खान का। उन्होंने बताया कि साल 2000 में इनकी संख्या 6 थी, लेकिन पिछले 10 सालों में बिगड़े हाल तो सुधरे नहीं, लेकिन दो और ब्लॉक भिनाय और केकड़ी में भी हालात परम-चरम पहुंच गए हैं। खान गुरुवार को अजमेर में बोर्ड द्वारा आयोजित जल चेतना समारोह में आए थे।
इस कार्यक्रम में एमडीएसयू यूनिवर्सिटी के प्रो. सुब्रोतो दत्ता, जीसीए की वरिष्ठ व्याख्याता डॉ. सुनीता पचौरी, वनस्थली विद्यापीठ में ज्योग्राफी की विभागाध्यक्ष डॉ. रश्मि शर्मा और अजमेर के डीएफओ एमके अग्रवाल बतौर मुख्य अतिथि मौजूद थे। वहीं डिप्टी मेयर अजीत सिंह राठौड़ बतौर अध्यक्ष भी मौजूद थे। अपने भाषण में डॉ. सुनीता पचौरी ने बताया कि वे खुद बचपन में 3 किलोमीटर दूर से पानी लाती थीं, और अजमेर के लोगों को पता है कि जल का महत्व क्या है।
वहीं प्रो. दत्ता ने इस मौके पर बताया कि अगर हमने आनासागर को प्रदूषित नहीं किया होता तो आज बीसलपुर बांध से पानी लाने के लिए बड़ी रकम खर्चने की जरूरत नहीं पड़ती। डीएफओ अग्रवाल ने बताया कि किस तरह जंगल खत्म होने से बारिश कम होने लगी है और अंतत: इसका प्रभाव भू-जल स्तर पर पड़ रहा है।
डॉ. शर्मा ने इस मौके पर बताया कि किस तरह अजमेर में पिछले 30 सालों में आबादी तो 26 प्रतिशत बढ़ी, लेकिन भू-जल का दोहन 50 प्रतिशत बढ़ गया है। इस पर काबू नहीं किया गया तो पानी पूरी तरह सूख जाएगा।
युवा करेंगे जांच, नापेंगे पानी
इस मौके पर बोर्ड ने अजमेर के नेहरु युवा केंद्र के सदस्यों को अपने दल में शामिल किया और उन्हें अजमेर में भू-जल की स्थिति पर नजर रखने को कहा है। ये सदस्य अजमेर में बोर्ड द्वारा चिह्न्ति 30 कुओं और 9 पिजोमीटर (पाइप के आकार के भू-जल जांचने के लिए खोदे गए कुएं) की जांच करेंगे। इसके जरिए यहां भू-जल स्तर और उसमें मौजूद प्रदूषण के स्तर को नापा जा सकेगा।
आनासागर ने खतरनाक स्तर तक बढ़ाया भू-जल में नाइट्रेट
इस मौके पर खान ने बताया कि आनासागर को अजमेर का सैप्टिक टैंक बनाया जा रहा है, जिसके खतरनाक परिणाम अभी से सामने आने लगे हैं। उन्हांेने आनासागर के किनारे के क्षेत्रों में मौजूद भू-जल को प्रदूषित बताया और कहा कि इसमें नाइट्रेट की मात्रा बहुत बढ़ गई है। यह बेहद खतरनाक है।
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