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लवणीय जल सिंचाई द्वारा तुलसी की खेती (Cultivation of basil by saline water irrigation)
उचित जलनिकास के बिना सिंचाई क्षेत्र का दायरा बढ़ाना, जलभराव की समस्या, लवणीयता एवं क्षारीयता जैसी मूलभूत समस्याओं को बढ़ाने में अहम कारक होगा। देश में वर्तमान समय में लवणग्रस्त क्षेत्र 6.74 मिलियन हैक्टर है तथा 2025 तक बढ़कर 11.7 मिलियन हैक्टर होने की संभावना है। Posted on 22 Nov, 2023 03:11 PM

परिचय

देश के मूलभूत प्राकृतिक संसाधनों जैसे भूमि, जल तथा जैव विविधता इत्यादि की गुणवत्ता दिनोंदिन अत्यधिक तेजी से घटती जा रही है। प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक दोहन व अवैज्ञानिक कृषि पद्धतियाँ इसके प्रमुख कारण हैं। देश की खाद्यान्न एवं पोषण की सुरक्षा को स्थिर रखने के लिए कृषि अनुसंधान तथा विकास के हमारे वर्तमान दृष्टिकोण में एक बड़े बदलाव की आवश्यकता है। इसमें

लवणीय जल सिंचाई द्वारा तुलसी की खेती
हिमालय के गढवाल क्षेत्र की प्राकृतिक आपदाऐं
गढ़वाल हिमालय क्षेत्र भूकम्पों एवं बाढ़ों से अक्सर प्रभावित रहा है। जो कि भूस्खलन का मुख्य कारण है। पिछले 40 से 50 वर्षों में इस क्षेत्र में अनगिनत भूकम्प, बाढ़ एवं भूस्खलन की घटनायें घटित हुई हैं जिनमें 1970 में अलकनन्दा की प्रलयकारी बाढ़, 1991 का उत्तरकाशी भूकम्प, 1999 काचमोली भूकम्प एवं 16 जून 2013 की केदारघाटी में भूस्खलन की घटना गढ़वाल के इतिहास में भीषणतम श्रासदियों में से एक है। Posted on 17 Nov, 2023 03:02 PM

प्राकृतिक संसाधनों के अन्धाधुंध दोहन ने हिमालय के अस्तित्व को संकट में डाल दिया है। विभिन्न अध्ययनों से पता चलता है कि हिमालय का अपरदन तेज हो रहा है। भूस्खलनों की संख्या बढ़ रही है, बाढ़ों का क्रम तेज हो रहा है। जिससे न सिर्फ हिमालय के निवासियों अपितु मैदानी क्षेत्रों पर भी इसका अत्यधिक प्रभाव पड़ रहा है। मैदानी क्षेत्रों में बाढ़ों तथा जल में गाद के घनत्व में अप्रत्याशित वृद्धि ने खेतों, नहरों

प्राकृतिक आपदा
नदियों को बाजार की वस्तु बनाने की साजिश
भारतीय संस्कृति तो नदियों को पोषणकारी मां मानकर व्यवहार करती रही है। आज की शोषणकारी सभ्यता नदियों का इस्तेमाल उद्योगों के लिए मालगाड़ी की तरह करती है। नदियों को बाजार की बस्तु बनाने की साजिश दिखती है। इस साजिश को रोकना हमारे समय का सबसे जरूरी काम है। नदियों का अतिक्रमण, प्रदूषण और शोषण रोकने वाली नीतियां कभी नहीं बनीं। हमने नदी नीति तैयार की है। नदियों के लिए अगर कोई नीति हो, तो ऐसी होनी चाहिए Posted on 04 Nov, 2023 01:57 PM

भूमिका :

नदी सिर्फ बहते स्वच्छ जल की धारा नहीं है। यह एक परिपूर्ण जलतंत्र, भूआकृति, पारिस्थितिकी तंत्र और जैव-विविधता संपन्न व्यवस्था होती है। यह न केवल स्वच्छ जल का प्रवाह बनाए रखने में एक अहम भूमिका अदा करती है, बल्कि वृष्टिपात (वर्षा या हिमपात के जरिए), हिम संपदा (जिसमें ग्लेशियर भी शामिल हैं), सतही पानी और भूमिगत जल-भंडारों के बीच एक आवश्यक संतुलन बनाने का

नदियों को बाजार की वस्तु बनाने की साजिश
केदारनाथ से नहीं लिया सबक
उत्तराखंड में इस बार एक जून से अभी तक की बारिश को भारतीय मौसम विभाग सामान्य से 13 फीसद अधिक बता रहा है। उसका कहना है कि सामान्य से 19 फीसद से अधिक होने ही बारिश को असामान्य माना जा सकता है, लेकिन इस बार बाढ़ ने ऐसी तबाही मचाई कि लोगों की खेती बर्बाद हो गई। कई लोग और पशु मारे गए। घरों तथा दुकानों के अंदर पानी घुस गया। बाढ़ का ऐसा प्रकोप हुआ कि सरकार को पानी में डूबे हरिद्वार के क्षेत्रों को आपदाग्रस्त क्षेत्र घोषित करना पड़ा। Posted on 27 Oct, 2023 03:38 PM

जून , 2013 में उत्तराखंड के केदारनाथ में भयावह आपदा आई थी। घटना में हजारों लोग मारे गए। इस हिमालयी सुनामी ने इलाके का भूगोल भी बदल कर रख दिया था। तब जलवायु परिवर्तन के कारण केदारनाथ के हिमालयी क्षेत्र में हुई अप्रत्याशित बारिश, नदियों पर मानकों की अवहेलना कर बांध बना लेने, ऑलवेदर रोड का मलबा नदियों में डाल देने, नदियों के किनारे अनधिकृत निर्माण, नदियों में अवैध खनन आदि को आपदा की विभीषिका और नु

केदारनाथ की भयावह आपदा
संदर्भ दरकते पहाड़ : खतरनाक नीति को कहा जाए अलविदा
जब हम बात तबाही के मंजर की करते हैं, तो बात सिर्फ हिमाचल की ही नहीं होनी चाहिए। बात पूरे हिमालय क्षेत्र की है जिसकी सत्ता, समाज और सियासत, तीनों ने मिलकर बेतरतीब तरीके: से इसका दोहन किया है। Posted on 27 Oct, 2023 01:37 PM

हिमाचल प्रदेश में भारी बारिश से होने वाली आफत का सिलसिला खत्म होने का नाम नहीं ले रहा। लैंडस्लाइड, घरों के भरभरा कर गिरने और फ्लैश फ्लड की तबाही ने जहां सैकड़ों लोगों की जिंदगी को ख़त्म कर दिया है, वहीं हजारों जिंदगियों को ऐसी मुसीबत में डाल दिया है जहां से निकल कर फिर से खड़े होना उनके लिए बड़ी चुनौती है। कहा तो यहां तक जा रहा है कि देवभूमि हिमाचल प्रदेश 25 साल पीछे चला गया है। ऐसे में इस बात क

 लैंडस्लाइड फ्लैश फ्लड की तबाही
भरतपुर, राजस्थान की मिट्टी में क्लोरपाइरीफोस, साइपरमेथ्रिन और एंडोसल्फान कीटनाशकों का विद्युत रासायनिक निर्धारण
क्लोरपाइरोफोस, साइपरमेथ्रिन और एंडोसल्फान कीटनाशकों का विद्युत रासायनिक अध्ययन मरकरी ड्रॉप इलेक्ट्रोड की सहायता से डिफरेंशियल पल्स पोलरोग्राफी विधि द्वारा भरतपुर (राजस्थान) को मिट्टी में किया गया। इस शोध से पता चला है कि मिट्टी में कीटनाशकों का मरकरी ड्रॉप इलेक्ट्रोड द्वारा विद्युत विश्लेषण एक सटीक और सस्ती विधि है। इस विधि में नमूनों की आसानी से तैयारी की जाती है और कम लागत वाले अभिकर्मकों का उपयोग अतिरिक्त लाभ है। Posted on 16 Oct, 2023 01:42 PM

सारांश

क्लोरपाइरोफोस, साइपरमेथ्रिन और एंडोसल्फान कीटनाशकों का विद्युत रासायनिक अध्ययन मरकरी ड्रॉप इलेक्ट्रोड की सहायता से डिफरेंशियल पल्स पोलरोग्राफी विधि द्वारा भरतपुर (राजस्थान) को मिट्टी में किया गया। ELICO CL-362 पालरोग्राफिक विश्लेषक का उपयोग करंट वोल्टेज रिलेशनशिप ( पालरोग्राम) के मापन के लिए किया गया था, इसके पोलरोग्राफिक सेल में इलेक्ट्रोलाइजिंग इलेक्ट्

 भरतपुर, राजस्थान की मिट्टी में क्लोरपाइरीफोस, साइपरमेथ्रिन और एंडोसल्फान कीटनाशक
भारत में जल प्रबंधन की संभावनाएं और चुनौतियां : एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण (Prospects and challenges of water management in India: A scientific approach)
सामाजिक-आर्थिक प्रक्रियाओं में बदलाव और जनसंख्या में वृद्धि के कारण पिछले कुछ दशकों में भारत में पानी की मांग बढ़ रही है।भारत के जल संसाधनों के सतत, न्याय संगत और कुशल प्रबंधन को विकसित करने में कई चुनौतियाँ हैं। पहला, विभिन्न क्षेत्रों में पानी की मांग, प्रकृति और गुणवत्ता दूसरा प्रौद्योगिकी चुनौतियां। Posted on 14 Oct, 2023 01:25 PM

सारांश 

पूरे भू-गर्भीय युग में भारत एक जल कुशल देश रहा है। लेकिन पिछले कुछ दशकों के दौरान देश के कई हिस्सों में पानी की कमी के कारण अभूतपूर्व घटनाएँ हुई हैं। सामाजिक-आर्थिक प्रक्रियाओं में बदलाव और जनसंख्या में वृद्धि के कारण पिछले कुछ दशकों में भारत में पानी की मांग बढ़ रही है। भू-जल संसाधनों का अत्यधिक दोहन हो रहा है, जिससे जल स्तर गिरता जा रहा है और भूजल की

भू-जल संसाधनों के अत्यधिक दोहन
हरियाणा में भूमिगत जल की उपलब्धता एवं उपयोग | Availability and Use of Underground Water
हरियाणा में भूमिगत जल की उपलब्धता और उपयोग के भौगोलिक अध्ययन के बारे में जानकारी प्राप्त करें | Get information about geographical study of availability & use of underground water in hindi. Posted on 14 Oct, 2023 01:19 PM

सारांश

जल का मानव जीवन में अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। एक संसाधन के रूप में किसी भी देश के आर्थिक विकास के लिए जल अत्यंत आवश्यक माना जाता है। हरियाणा एक कृषि प्रधान राज्य है जहाँ धरातलीय जल के अभाव में अर्थव्यवस्था के विकास के लिए भूमिगत जल का प्रयोग किया जाता है। अतः भूमिगत जल की सही उपलब्धता एवं उपयोग की व्याख्या सारणियों एवं मानचित्र की सहायता से की गई है। व

हरियाणा में भूमिगत जल की उपलब्धता एवं उपयोग
ज्वार भाटा का क्या महत्व है
समुद्री जलस्तर के उतार एवं चढ़ाव को ज्वार-भाटा कहा जाता है। समुद्री जलस्तर के चढ़ाव के समय समुद्र का पानी तट की ओर बढ़ता है जिसे ज्वार कहते हैं और इसके विपरीत उतरते के समय समुद्र का जल तट से समुद्र की ओर घटता है और इस घटना को भाटा या निम्न ज्वार कहा जाता है। जो समुद्री तरंग ज्वार के द्वारा उत्पन्न होती है उसे ज्वारीय तरंग (Tidal (wave) कहते हैं। उच्च ज्वार एवं निम्न ज्वार के अंतर को ज्वारीय सीमा (Tidal Range) कहा जाता है।  Posted on 13 Oct, 2023 12:56 PM

पृथ्वी का लगभग 21 प्रतिशत भाग पानी से ढका हुआ है। केवल 20 प्रतिशत भू-भाग में दीप और महाद्वीप अवस्थित हैं। पृथ्वी का बड़ा भाग जो पानी से ढका हुआ है, उसे हम समुद्र कहते हैं और इस समुद्र को कई सागरों और महासागरों में विभाजित किया गया है। समुद्र की गतिविधियों के बारे में हमें बहुत कम ज्ञान है और समुद्र से संबंधित जो भी साहित्य उपलब्ध है वह उच्चकोटि का है। जो आम आदमी की समझ से बाहर है। जो व्यक्ति सम

ज्वार-भाटा की स्थिति
घटती जल गुणवत्ता से कैंसर जनित संभावनाएं
यूरिया से प्रदूषित भूजल श्मेरिन डेड जोन बनाने का कार्य करता है। जल में घुलनशील नाइट्रेट पौधों की वृद्धि के साथ-साथ काई की अनियंत्रित वृद्धि जिसे एल्गल ब्लूम भी कहते हैं को बढ़ावा देते हैं। शैवालों या काई की मात्रा बेहद अधिक होने से इनका अपघटन होता है Posted on 12 Oct, 2023 03:47 PM

सारांश 

प्राकृतिक जल संसाधनों के संरक्षण की अपेक्षा उनके लगातार और अत्यधिक दोहन से भूजल स्तर पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है जिसको दूर करने के लिए विभिन्न माध्यम से जल संरक्षण किया जाता है। परन्तु सबसे अधिक चिंता भूजल की तेजी से घटती गुणवत्ता को लेकर है जिसका मुख्य कारण उत्सर्जित पदार्थों को भूमि की गहरी पतों में विसर्जित करना, कीटनाशकों आदि का अत्यधिक उपयोग, व्य

घटती जल गुणवत्ता से कैंसर,PC-Wikipedia
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